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Fixed Income: एक्सपर्ट माने रहे हैं कि आगे या तो रेट पर पॉज रहेगा या फिर रेट कट देखने को मिल सकता है.
RBI MPC Decision Impact: रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024 की दूसरी मॉनेटरी पॉलिसी में अनुमान के हिसाब से रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. इस कदम से साफ लग रहा है कि महंगाई कम होने के जोखिम के साथ साथ ग्रोथ में तेजी आ रही है. हालांकि सेंट्रल बैंक इनफ्लेशन रिस्क को लेकर अलर्ट भी नजर आ रहा है. रिजर्व बैंक की कमेंट्री से साफ है कि मैक्रो लेवल पर चीजें अब बेहतर हो रही हैं. महंगाई में लगातार नरमी है. ऐसे में कुछ एक्सपर्ट माने रहे हैं कि अगली तिमाही में ही रिजर्व बैंक रेट कट का निर्णय ले सकता है. ऐसा नहीं हुआ तो साल 2023 की आखिरी तिमाही के इस बात की उम्मीदें बहुत ज्यादा हैं.
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आगे रेट कट होने की संभावना
ICICI Securities के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रसेनजीत बासु का कहना है कि एमपीसी द्वारा ब्याज दरों में बदलाव न करने की उम्मीद पहले से थी, इसलिए इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि CPI इनफ्लेशन कई महीनों तक 5% से नीचे बनी रहेगी, और "अकोमोडेशन की वापसी" का रुख अगस्त तक बदल जाएगा. एक बार जब यह साफ हो जाए कि महंगाई की लड़ाई निर्णायक रूप से जीत ली गई है, तो सेंट्रल बैंक द्वारा अगली मॉनेटरी पॉलिसी में रेट कट होने की संभावना है.
HDFC Bank के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ का कहना है कि आरबीआई ने ग्रोथ को लेकर अपने Q1 विकास पूर्वानुमान को 8% तक रिवाइज किया, जबकि अपने सालाना पूर्वानुमान को 6.5 फीसदी पर बनाए रखा है, जो कि 6-6.2% के हमारे अनुमान से अधिक है. उनका कहना है कि आरबीआई के इस कदम का अनुमान पहले से था, लेकिन आगे अगर रेट कट होता है तो यह बॉन्ड मार्केट के लिए बेहतर होगा.
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मिड से लॉन्ग ड्यूरेशन फंड बेहतर
LIC म्यूचुअल फंड के CIO -डेट मर्जबान ईरानी का कहना है कि आरबीआई द्वारा रेट पॉज और आगे अगर कट होता है तो बॉन्ड मार्केट के लिए बेहतर है. निवेशकों को सलाह है कि अपनी जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर जितना हो सके, उतनी लंबी अवधि तक बाजार में बने रहें. यील्ड में हालिया गिरावट बॉन्ड मार्केट को आकर्षक बना रहा है. मिड से लॉन्ग ड्यूरेशन फंड निवेश के लिए पसंदीदा निवेश विकल्प हो सकते हैं.
बैंक सेक्टर: लेंडर्स को मिलेगा फायदा
L&T Finance की ग्रुप चीफ इकोनॉमिस्ट, डॉ. रुपा रेगे नित्सुरे का कहना है कि RBI ने महंगाई के तय किए गए टारगेट को पाने करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई है. सेंट्रल बैंक के रुख से साफ है कि वह वित्त वर्ष 2024 की दूसरी छमाही के दौरान ग्रोथ रिस्क की तुलना में महंगाई से जुड़े रिस्क के बारे में अधिक चिंतित है. अतिरिक्त उपायों जैसे बैंकों द्वारा कॉल और नोटिस मनी मार्केट में उधार लेने के मानदंडों को उदार बनाना और रेगुलेटेड संस्थाओं के लिए प्राकृतिक आपदाओं के कारण रीस्ट्रक्चरिंग पर प्रूडेंशियल (विवेकपूर्ण) मानदंडों का रेशनलाइजेशन समय पर किया जाना, लेंडर्स को बेहतर फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करेगा.
MSMEs: मिड टर्म आउटलुक मजबूत
प्रोफेक्टस कैपिटल लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ, के वी श्रीनिवासन का कहना है कि RBI द्वारा रेपो रेट को होल्ड किए जाने से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि महंगाई कम होने के जोखिम के साथ साथ ग्रोथ में तेजी आ रही है. Q4 में अप्रत्याशित रूप से GDP में शॉर्प ग्रोथ और ब्याज दरों में स्थिरता आगे कैपेक्स साइकिल बढ़ने के भी संकेत हैं. MSMEs के लिए खासतौर से मिड टर्म के लिए आउटलुक मजबूत है और वे अपने बिजनेस के विस्तार और आधुनिकीकरण में निवेश करना शुरू कर सकते हैं. हालांकि, इस दौरान एक्सटर्नल रिस्क यानी बाहरी जोखिम बने रहेंगे.
बॉन्ड यील्ड में आएगी तेजी या रेंजबाउंड
मिरे एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के CIO – फिक्स्ड इनकम महेंद्र जाजू का कहना है कि ग्लोबल अनिश्चितता, एल नीनो और जियो पॉलिटिकल टेंशन अभी भी चिंता बने हुए हैं. जिससे तुरंत रेट कट की बात मुश्किल लग रही है. लेकिन यहां से रेट हाइक की उम्मीद कम है. आगे भविष्य में रेट कट भी हो सकता है. ऐसे में बॉन्ड यील्ड के रेंज बाउंड रहने की संभावना है. 10 साल के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 7-7.10% के रेंज ट्रेड कर सकती है. मनी मार्केट रेट 10-15 बीपीएस तक बढ़ सकते हैं. कुल मिलाकर फिक्स्ड इनकम को लेकर आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है.
बड़ौदा BNP परिबास एसेट मैनेजमेंट इंडिया के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर प्रशांत पिंपल का कहना है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए सीपीआई अनुमानों को 5.20% से घटाकर 5.10% करना अनुमान के मुताबिक रहा है. हालांकि एमपीसी ने वेट एंड वॉच मोड में रहना पसंद किया है. अनुमान है कि अब सेंट्रल बैंक लंबे समय तक रेट को पॉज पर रखेंगे, उम्मीद है कि यहां से बॉन्ड यील्ड में तेजी आएगी.