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IPO में निवेश के लिए RBI ने बढ़ाया यूपीआई लिमिट, अब सरकारी बॉन्ड्स में लगा सकेंगे अधिक पैसे

केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आईपीओ में निवेश के लिए यूपीआई लिमिट को बढ़ा दिया है.

केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आईपीओ में निवेश के लिए यूपीआई लिमिट को बढ़ा दिया है.

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RBI raises UPI limit for IPOs direct government bonds investment scheme to Rs 5 lakh

यूपीआई के जरिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश और आईपीओ में निवेश की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है.

केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आईपीओ में निवेश के लिए यूपीआई लिमिट को बढ़ा दिया है. पहले निवेशक आईपीओ में यूपीआई से 2 लाख रुपये तक का निवेश कर सकते थे लेकिन अब इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है. आईपीओ में निवेश के अलावा आरबीआई रिटेल डायरेक्ट स्कीम के जरिेए सरकारी बॉन्ड्स को खरीदने की यूपीआई लिमिट भी बढ़ गई है और निवेशक पांच लाख रुपये तक का निवेश कर सकते हैं.

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज (8 दिसंबर) मॉनीटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए इसकी जानकारी दी. दास ने कहा कि यूपीआई के जरिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश और आईपीओ में निवेश की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है.

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वित्तीय बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश

केंद्रीय बैंक ने अपने बयान में कहा कि वह वित्तीय बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है. उदाहरण के लिए हाल ही में सरकार बॉन्डों में खुदरा निवेशकों को सीधे निवेश के लिए रिटेल डायरेक्ट स्कीम लाया गया. इस स्कीम के तहत इंटरनेट बैंकिंग के अलावा यूपीआई के जरिए भी प्राइमरी व सेकंडरी मार्केट में खरीदारी के लिए भुगतान किया जा सकता है.

यूपीआई तेजी से बन रहा पसंदीदा विकल्प

यूपीआई को जब से लाया गया है, आईपीओ (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग्स) में निवेश के भुगतान के लिए तेजी से पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है. जानकारी के मुताबिक आईपीओ के लिए जो सब्सक्रिप्शन हासिल होते हैं, उसमें से 2-5 लाख रुपये की बोली करीब 10 फीसदी होती है. यूपीआई सिस्टम में ट्रांजैक्शन लिमिट को मार्च 2020 में 1 लाख रुपये से दोगुना बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया था और अब इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है.

(Article: Harshita Tyagi)

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