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कंज्‍यूमर के टेस्‍ट और पंसद से बदल रहा बाजार! असल में कितनी गंभीर है FMCG सेक्‍टर की सुस्‍ती

SBI Ecowrap की रिपोर्ट की माने तो एफएमसीजी में सुस्‍ती की तस्‍वीर थोड़ी अलग है. कंज्‍यूमर की पसंद बदल रही है.

SBI Ecowrap की रिपोर्ट की माने तो एफएमसीजी में सुस्‍ती की तस्‍वीर थोड़ी अलग है. कंज्‍यूमर की पसंद बदल रही है.

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Ashutosh Ojha
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एक रिपोर्ट की माने तो एफएमसीजी में सुस्‍ती की तस्‍वीर थोड़ी अलग है. (तस्‍वीर- सांकेतिक)

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अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती के मौजूदा दौर के बीच FMCG यानी रोजमर्रा के खपत वाली चीजें जैसे बिस्किट, नमकीन, शैंपू, साबून आदि बनाने वाली कंपनियों में स्‍लोडाउन की खबरों ने सभी का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है. यह सभी के लिए चौंकाने वाला है. हाल ही में पारले के इस बयान, कि उसकी बिक्री घट रही है और इससे वह कर्मचारियों की छंटनी करने वाली है, ने हालात को और गंभीर बना दिया. लेकिन, असल सवाल यह है कि क्‍या वास्‍तव में FMCG सेक्‍टर संकट में है. SBI Ecowrap की रिपोर्ट की मानें तो FMCG में सुस्‍ती की तस्‍वीर थोड़ी अलग है. कंज्‍यूमर की पसंद बदल रही है.

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रिपोर्ट को सीधे शब्‍दों में समझें तो कंज्‍यूमर का टेस्‍ट और पसंद बदल रही है. यानी, मार्केट ट्रांसफॉर्म हो रहा है. SBI इकोरैप का कहना है कि, 87 लिस्‍टेड कंपनियों ने वित्‍त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही के जो नतीजे जारी किए, उनमें सालाना आधार पर टॉपलाइन ग्रोथ 11 फीसदी और बॉटमलाइन ग्रोथ 14 फीसदी रही.

नतीजे बताते हैं कि कुछ कंपनियों की वॉल्‍यूम ग्रोथ अधिक रही. इनमें KRBL लिमिटेड में यह 21 फीसदी, नेस्‍ले-ब्रिटानिया में 12 फीसदी और पर्सनल केयर प्रॉडक्ट बनाने वाली कंपनी कोलगेट पामोलीव-HUL में 4-5 फीसदी दर्ज की गई. इसके अलावा, कुछ होम केयर, फूड एंड रिफ्रेशमेंट प्रॉडक्ट कंपनियों की वॉल्‍यूम ग्रोथ में भी इजाफा देखने को मिला है.

क्‍या है 'स्‍लोडाउन' की वजह?

SBI इकोरैप की रिपोर्ट के अनुसार, नतीजों से साफ है कि कंज्‍यूमर की पसंद में एक स्ट्रक्चरल शिफ्ट हो रहा है. ब्रिटानिया जो कि खासकर बिस्‍किट बनाती है, उसके वॉल्‍यूम में ग्रोथ है. जबकि दूसरी ओर, पारले की स्थिति इस मामले में अच्‍छी नहीं है. पारले बिस्किट की सेल्‍स में गिरावट आ रही है. इसका संबंध कस्‍टमर की पसंद में बदलाव से हो सकता है, जो कि अब बिस्‍किट और स्‍नैक्‍स में अधिक हैल्‍दी ऑप्‍शन तलाश रहा है.

रिपोर्ट का मानना है कि दूसरी बड़ी वजह है कि कंज्‍यूमर का रुझान ब्रांडेड प्रॉडक्‍ट्स की ओर बढ़ रहा है.  एक अन्‍य अहम बिंदु है बेस इफैक्‍ट. Q1 FY19 में कंपनियों की ग्रोथ Q1 FY18 के मुकाबले अधिक रही. इससे वॉल्‍यूम ग्रोथ में बड़ा बदलाव आया. यदि हम HUL को ही देखें तो Q1 FY18 में कंपनी की वॉल्‍यूम ग्रोथ 4 फीसदी थी, Q1 FY19 में 12 फीसदी हो गई और Q1 FY20 में यह केवल 5 फीसदी है.

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दुनियाभर में बदल रहा है FMCG सेक्‍टर

इकोरैप के अनुसार, FMCG सेक्‍टर में सुस्‍ती केवल भारत तक ही सीमित नहीं है. एशिया पैसेफिक FMCG रिपोर्ट के अनुसार, Q4 FY18 में वॉल्‍यूम ग्रोथ 4.4 फीसदी की ऊंचाई पर थी, जो Q4 FY19 में 2.9 फीसदी और Q1 FY20 में घटकर 2.3 फीसदी रह गई. इससे साफ है कि FMCG सेक्‍टर में बदलाव वैश्विक स्‍तर पर है. वैश्विक स्‍तर पर बीते 5 साल में कंज्‍यूमर का ग्रॉसरी पर खर्च 44 फीसदी, टेक्‍नोलॉजी एवं कम्‍युनिकेशन पर 36 फीसदी, शिक्षा पर 34 फीसदी, ट्रैवल पर 33 फीसदी और हेल्‍थकेयर पर 32 फीसदी बढ़ा है.

नोटबंदी और GST ने बदला FMCG मार्केट

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नोटबंदी और GST ने FMCG का मार्केट बदल दिया है. कंज्‍यूमर के बीच डिजिटल पेमेंट का चलन तेजी से बढ़ा है. कंज्‍यूमर अपनी सुविधा के अनुसार ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों मोड में पेमेंट का विकल्‍प अपना रहा है. वहीं, मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए भी खरीदारी का चलन बढ़ा है.

FMCG सेक्‍टर की मौजूदा सुस्‍ती से इनकार नहीं किया जा सकता है. इसकी वजह भले ही अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती हो या कंज्‍यूमर का स्‍ट्रक्‍चरल शिफ्ट. SBI इकोरैप की रिपोर्ट से साफ है कि FMCG सेक्‍टर भारत ही नहीं दुनिया भर में कई तरह बदलाव से गुजर रहा है.

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