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RCom के एसेट्स के लिए 25,000 करोड़ की बोलियां मिलीं; Jio, UV एसेट रहीं टॉप बिडर

रिलायंस जियो ने आरकॉम की अनुषंगी कंपनी के मोबाइल टावर एवं फाइबर परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाई है.

रिलायंस जियो ने आरकॉम की अनुषंगी कंपनी के मोबाइल टावर एवं फाइबर परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाई है.

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PTI
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Jio, UVARC emerge top bidders for RCom assets

Image: Reuters

Jio, UVARC emerge top bidders for RCom assets Image: Reuters

रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) की परिसंपत्तियों के लिए रिलायंस जियो और यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (यूवीएआरसी) जैसे खरीदारों से करीब 25,000 करोड़ रुपये की बोलियां मिली हैं. रिलायंस जियो और यूवी एसेट रिकंस्ट्रक्शन की बोलियां अपनी-अपनी श्रेणी में सबसे ऊपर बताई जा रही है. बैंकिंग सूत्रों ने यह जानकारी दी.

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रिलायंस जियो ने दिवाला संहिता के तहत नीलाम की जा रही आरकॉम की अनुषंगी कंपनी के मोबाइल टावर एवं फाइबर परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाई है. यूवी एसेट की रुचि आरकॉम के स्पेक्ट्रम और रियल एस्टेट में है. मामले के जानकार सूत्र ने बताया कि जियो और यूवीएआरसी 13 जनवरी को कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) की बैठक में सबसे ऊंची बोली लगाने वाले खरीदार के रूप में उभरी हैं. सूत्रों के अनुसार आरकॉम की सम्पत्तियों के लिए करीब 25,000 करोड़ रुपये की बोलियां लगाई गई हैं.

4700 करोड़ की रही जियो की बोली

बताया जा रहा है कि रिलायंस जियो ने रिलायंस इंफ्राटेल लिमिटेड के मोबाइल टावर एवं फाइबर परिसंपत्तियों के लिए 4,700 करोड़ रुपये की पेशकश की है. इसी तरह यूवी एसेट की बोलियां कुल मिला कर 16,000 करोड़ रुपये के स्तर की हैं. सूत्र ने बताया कि बोली लगाने वाली कंपनियों ने 30 फीसदी पैसा 90 दिन के अंदर जमा कराने की पेशकश की है. इस तरह कर्जदाता बैंकों को तीन महीने में सात-आठ हजार करोड़ रुपये वसूल हो सकते हैं.

RCom पर 33,000 करोड़ का बकाया

जानकार सूत्रों के अनुसार रिलायंस कम्युनिकेशंस पर बैंकों समेत कुल 38 कर्जदाताओं/उधार देने वालों का करीब 33,000 करोड़ रुपये का बकाया है. इस तरह दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत बकाए के तीन चौथाई धन की वसूली होने का अनुमान है. यह प्रस्ताव परवान चढ़ा तो बैंकों के दूरसंचार क्षेत्र में फंसे कर्ज की यह अब तक की सबसे बड़ी वसूली होगी.

साल 2012 के बाद संक्रमण काल से गुजर रहे दूरसंचार सेवा क्षेत्र में निजी क्षेत्र की 12 बड़ी कंपनियों में से नौ कंपनियां या तो बंद हो चुकी हैं या बाजार से निकल चुकी हैं. सूत्र ने कहा, "इसके अलावा कर्जदाता, चीनी ऋणदाताओं (1,300 करोड़ रुपये) और भारतीय ऋणदाताओं (3000 करोड़ रुपये) को प्राथमिक रूप से किए गए करीब 4,300 करोड़ रुपये के भुगतान को वापस लेंगे.

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