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RIL: उत्तराधिकार योजना के तहत होल्डिंग कंपनी में बदल सकती है रिलायंस इंडस्ट्रीज, क्‍या हैं इसके मायने

Holding Company: बता दें कि होल्डिंग कंपनियां अन्य लिस्‍टेड और नॉन-लिस्‍टेड कंपनियों के शेयर रखती हैं. इन होल्डिंग कंपनियों के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा अन्य बिजनेस में उनकी हिस्सेदारी से प्राप्त होता है.

Holding Company: बता दें कि होल्डिंग कंपनियां अन्य लिस्‍टेड और नॉन-लिस्‍टेड कंपनियों के शेयर रखती हैं. इन होल्डिंग कंपनियों के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा अन्य बिजनेस में उनकी हिस्सेदारी से प्राप्त होता है.

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FE Hindi Desk
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Reliance Industries News

Report on RIL: विभिन्न कारोबार से जुड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक होल्डिंग कंपनी बन सकती है. (file image)

Report on Reliance Industries: विभिन्न कारोबार से जुड़ी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड एक होल्डिंग कंपनी बन सकती है. इसके तहत प्रमुख कारोबार को संभाल रही स्वतंत्र रूप से काम करने वाली इकाइयों में इसका मेजॉरिटी स्‍टेक होगा. फिच ग्रुप की यूनिट क्रेडिट साइट्स ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्ज के मोर्चे पर बेहतर स्थिति के साथ इसके टेलिक‍ॉम और रिटेल सेक्‍टर के लिये अर्निंग आउटलुक बेहतर रहने का अनुमान है. ये फैक्‍टर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और इसकी बढ़ी हुई पूंजीगत व्यय जरूरतों के बीच रिलायंस की रिफाइनिंग और मार्केटिंग सेक्‍टर के मामले में कमजोर आउटलुक की भरपाई करते हैं.

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क्या होती है होल्डिंग कंपनी

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बता दें कि होल्डिंग कंपनियां अन्य लिस्‍टेड और नॉन-लिस्‍टेड कंपनियों के शेयर रखती हैं. इन होल्डिंग कंपनियों के मूल्य का एक बड़ा हिस्सा अन्य बिजनेस में उनकी हिस्सेदारी से प्राप्त होता है. वे अंडरलाइंग कंपनियों से डिविडेंड इनकम और/या इंटरेस्‍ट इनकम अर्जित करते हैं.

उत्तराधिकार योजना से विवाद की गुंजाइश खत्‍म

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में ग्रुप की उत्तराधिकार योजना को आगे बढ़ाया है. इसके तहत ग्रुप के मुखिया मुकेश अंबानी ने घोषणा की है कि उनके तीनों संतान आकाश, ईशा और अनंत को कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल किया जाएगा. अंबानी ने कहा कि वह अगले 5 साल तक चेयरमैन और सीईओ के रूप में अपना काम करते रहेंगे. रिलायंस इंडस्ट्रीज में मुकेश अंबानी की उत्तराधिकार योजना टॉपिक से जारी रिपोर्ट में क्रेडिट साइट्स ने कहा कि हमारा मानना है कि अंबानी की उत्तराधिकार योजना आगे बढ़ेगी. इसका कारण एक ही कर्ता-धर्ता के होने से जुड़े जोखिम कई निवेशकों के लिये चिंता का विषय रहा है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि अंबानी के तीनों संतान को आरआईएल के प्रत्येक प्रमुख यूनिट (टेलिक‍ॉम, रिटेल और न्‍यू एनर्जी) में लीड करने वाले पद दिये गये हैं. इसको देखते हुए हमारा मानना ​​​​है कि इस प्रकार से स्पष्ट विभाजन से भाई-बहनों के बीच भविष्य में किसी भी विवाद से बचा जा सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराधिकार की जो योजना बनायी गई है, उसमें ऐसा नहीं है कि अंबानी अचानक से ग्रुप से बाहर हो जाएंगे. अगर ऐसा होता, तो ऑपरेशन और कंपनी का प्रदर्शन बाधित होता. बल्कि इस योजना में अगली पीढ़ी को तैयार करना और उन्‍हें गाइडेंस प्रदान करना शामिल है.

फाइनेंसिंग के ज्यादा विकल्प

क्रेडिट साइट्स ने कहा कि हमारा मानना ​​​​है कि आरआईएल आगे पूरी तरह से एक होल्डिंग कंपनी (होल्डको) में बदल सकती है. इसके तहत इसका उन इंडिपेंडेंट यूनिट्स में मेजॉरिटी स्‍टेक होगा, जो प्रमुख कारोबार का संचालन करती हैं. रिपोर्ट के अनुसार इस तरह के विभाजन से प्रत्येक यूनिट की संपत्ति और कैश फ्लो के बीच अंतर स्पष्ट होगा. साथ ही संबंधित पक्ष क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सकेंगे. फाइनेंसिंग के ज्यादा विकल्प उपलब्ध होंगे और बेहतर तरीके से कैपिटल अलोकेशन के साथ निगरानी व्यवस्था दुरुस्त होगी. प्रत्येक लिस्‍टेड यूनिट के अपने शेयरधारक और शायद निदेशक मंडल होंगे.

रिपोर्ट के अनुसार अंबानी के व्यक्तिगत कारोबार की बागडोर बच्चों को सौंपने के बाद आरआईएल एक परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी बनी रहेगी. एक संभावित व्यवस्था एक न्यास बनाने की हो सकती है. इस न्यास का स्वामित्व और नियंत्रण अंबानी, तीनों भाई-बहन तथा उनके परिवार के सदस्य के जरिये संयुक्त रूप से किया जाएगा. वहीं आरआईएल का प्रबंधन एक पेशेवर प्रबंधन टीम करती रहेगी. अंबानी ने पहली बार 2022 में अपनी उत्तराधिकार योजना को सार्वजनिक किया था. उन्होंने घोषणा की थी कि उनके तीनों संतान में से प्रत्येक कंपनी के विभिन्न प्रभागों के प्रमुख होंगे. इसके तहत आकाश को टेलिकॉम यूनिट का प्रमुख, ईशा को रिटेल कारोबार का प्रमुख और अनंत को न्‍यू एनर्जी का प्रमुख बनाये जाने की घोषणा की गयी.

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