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फल और सब्जियों के महंगा होने का असर अब खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में भी दिखने लगा है.
Retail Inflation November: आम आदमी की जेब पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है. फल और सब्जियों के महंगा होने का असर खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में भी दिखने लगा है. नवंबर महीने में खुदरा महंगाई बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 4.91 प्रतिशत पर पहुंच गई. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. खुदरा महंगाई दर इस साल अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत थी. वहीं, सितंबर में यह 4.35 प्रतिशत थी. वहीं, नवंबर, 2020 की बात करें तो यह 6.93 प्रतिशत थी.
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RBI के दायरे में है महंगाई दर
हालांकि, यह आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे में बना हुआ है. सरकार ने आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत के उतार-चढ़ाव के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों के मामले में सालाना आधार पर महंगाई नकारात्मक रही. हालांकि, पिछले महीने की तुलना में इसमें तेजी है. तेल और वसा के मामले में महंगाई दर इस साल नवंबर महीने में सालाना आधार पर 29.67 प्रतिशत रही. हालांकि, अक्टूबर की तुलना में यह कम है. दूसरी तरफ, फलों के मामले में खुदरा महंगाई दर नवंबर महीने में पिछले महीने की तुलना में अधिक रही. कुल मिलाकर इस साल नवंबर महीने में खाद्य मुद्रास्फीति 1.87 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने में 0.85 प्रतिशत थी. हालांकि, यह नवंबर, 2020 के 9.5 प्रतिशत के मुकाबले कम है.
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ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि टमाटर को छोड़कर खाने के सामान के दाम में सुधार हुआ है. इससे मुद्रास्फीति में नरमी आयी है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आकलन के अनुसार, जब तक खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रहती है, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी और RBI आर्थिक वृद्धि को प्राथमिकता देंगे.’’ इफको किसान संचार लिमिटेड के प्रमुख (एग्रीटेक) एम नामगेल ने कहा कि आम आदमी के लिए अच्छी बात वार्षिक आधार पर सब्जियों की कीमतों में गिरावट है. यह काफी हद तक मौसमी कारणों और पेट्रोल व डीजल की कीमतों के घटने से ट्रांसपोर्ट लागत कम होने की वजह से है.