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इस साल जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 फीसदी रही जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 3.15 फीसदी था.
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कोरोनावायरस महामारी (Corornavirus Pandemic) के बीच त्योहारी सीजन से पहले बैंक जहां क्रेडिट डिमांड बढ़ने की उम्मीद में हैं, वहीं उपभोक्ताओं को भी कर्ज और सस्ता होने की आस है. लेकिन, अब महंगाई सस्ते कर्ज की राह में बड़ा रोड़ा बन सकती है. कोरोना महामारी के चलते सप्लाई चेन बाधित होने और भारी भरकम सरकारी खरीद में रिटेल मार्केट में डिमांड-सप्लाई का गणित बिगड़ गया है. ऐसे में खुदरा महंगाई में तगड़े उछाल की आशंका जताई जा रही है. SBI की एक रिपोर्ट में कहा है कि अगस्त में खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा 7 फीसदी के पास भी जा सकता है. रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती में खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों को ध्यान में रखता है. अभी रेपो रेट 4 फीसदी पर है.
बैंकों को त्योहारी सीजन में क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने की उम्मीद है. कोविड19 महामारी के चलते कर्ज की डिमांड में काफी कमी देखी गई है. जिसके चलते गई बैंक त्योहारी सीजन से पहले रिटेल लोन पर प्रोसेसिंग फीस, डॉक्यूमेंट चार्ज को माफ करने समेत कई आफर दे सकते हैं. हाल के कुछ महीनों में ब्याज दरों में कमी के बावजूद बाजार में लोन की मांग कम बनी हुई है. हाल ही में पंजाब नेशनल बैंक ने फेस्टिवल बोनांजा पेश किया है. इसके तहत सभी तरह रिटेल लोन पर प्रोसेसिंग फीस, डॉक्यूमेंट्स फीस से 31 दिसंबर तक छूट दे ही है. इससे ग्राहकों के लिए होम लोन, कार लोन और अन्य रिटेल लोन लेना सस्ता हो जाएगा.
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जुलाई में खाने-पीने की चीजें हुईं थी महंगी
भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति अब दिसंबर के बाद ही चार प्रतिशत से नीचे आएगी. रिपोर्ट के अनुसार, इसमें इस समय आया उछाल कोविड के कारण सप्लाई चेन के टूटने और सरकार की ओर से की गई भारी खरीद के चलते है. एसबीआई इकोरैप के नए वर्जन में कहा गया है कि अगस्त का उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति का आंकड़ा सात फीसदी या उससे ऊपर बना रह सकता है.
इस साल जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 6.93 फीसदी रही जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 3.15 फीसदी था. मुद्रास्फीति में यह तेजी खास कर अनाज, दाल-सब्जियों और मांस-मछली के दाम बढ़ने की वजह से है.
अगस्त में 7 फीसदी के पार CPI?
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ हमें लगता है कि महंगाई दर का अगस्त का आंकड़ा सात फीसदी या उससे ऊपर रहेगा और यदि तुलनात्मक आधार का प्रभाव ही इसका प्राथमिक कारण है तो मुद्रास्फीति संभवत: दिसंबर या उसके बाद ही चार फीसदी से नीचे दिखेगी.’
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड- 19 का संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में जिस तरह बढ़ रहा है उससे यह मानना कठिन है कि आपूर्ति चेन जल्दी फिर से सामान्य होंगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति में महंगाई दर बढ़ने का ही खतरा है.
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फरवरी से पहले नहीं घटेंगी ब्याज दरें!
भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को हद से हद दो फीसदी घटबढ़ के साथ चार फीसदी के आसपास रखने की जिम्मेदारी दी गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मुद्रास्फीति के आउटलुक को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में नीतिगत ब्याज दर में और कमी की उम्मीद कम ही है. अगर दरों में कटौती की भी गई तो यह ज्यादा से ज्यादा 0.25 फीसदी तक हो सकती है. इस पर फैसला फरवरी की बैठक में हो सकता है. फरवरी में मौद्रिक नीति समिति के पास मुद्रास्फीति के जो आंकड़े होंगे वे केवल दिसंबर तक के होंगे.
आरबीआई का अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. वहीं, बैंक ने सीआरआर को 3 फीसदी और एसएलआर को 18 फीसदी पर बनाए रखा है.