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Mutual Fund Investment: मिडकैप फंड में निवेश दिलाएगा बंपर रिटर्न, बस इन बातों का रखें ध्यान

Midcap Mutual Funds: स्मॉलकैप और मिडकैप फंड हाई बीटा फंड होते हैं. ये उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जो जोखिम लेने को तैयार रहते हैं.

Midcap Mutual Funds: स्मॉलकैप और मिडकैप फंड हाई बीटा फंड होते हैं. ये उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जो जोखिम लेने को तैयार रहते हैं.

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FE Online
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स्मॉलकैप और मिडकैप फंड हाई बीटा फंड होते हैं. ये उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं, जो जोखिम लेने को तैयार रहते हैं.

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स्मॉलकैप और मिडकैप फंड हाई बीटा फंड माने जाते हैं क्योंकि ये उन निवेशकों के लिए बेहतर विकल्प हैं, जो बाजार का जोखिम लेने को तैयार रहते हैं. हाई बीटा फंड का मतलब यहां ऐसे म्यूचुअल फंड से हैं, जिनमें रिटर्न देने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है. साथ ही उनके साथ ज्यादा जोखिम भी जुड़े होते हैं. जहां तक ​​म्यूचुअल फंड का संबंध है, मिडकैप और स्मालकैप फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श विकल्प हो सकते हैं, जो बाजार से मिलने वाले रिटर्न से अधिक का लक्ष्य रखना चाहते हैं.

क्यों मिडकैप और स्मालकैप में आएगी तेजी

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मार्केट के मौजूदा माहौल में यह मिडकैप और स्मालकैप फंड में निवेश करने का बिल्कुल सही समय है. हालांकि बाजार इस समय बेहद कठिन है और गलतियों की संभावना बहुत ज्यादा है. फिर भी अगर बाजार के रूझान समझदारी से समझें, तो यह पोर्टफोलियो को मजबूत करने का भी अच्छा समय है. अनुमान है कि इस साल ब्रॉडर मार्केट में अच्छी रैली देखने को मिलेगी जो पिछले 1 साल से दबाव में है. लॉर्जकैप और फ्रंटलाइन शेयर पहले ही कुछ महीनों में अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. अभी लॉर्जकैप और मिडकैप के बीच डाइवर्जेंस हिस्टोरिकल हाई पर है. ये सभी संकेत यह दिखाते हैं कि रिकॉर्ड हाई पर पहुंच चुके बाजार में आगे भी तेजी जारी रहेगी और मिडकैप आउटपरफॉर्म कर सकते हैं.

किनके लिए बेहतर

इसलिए, जो निवेशक छोटी कंपनियों में निवेश से जुड़े जोखिमों को समझते हैं, उनके लिए निवेश करने का यह सही समय है. इन कंपनियों में निवेश करने के लिए बहुत अधिक रिसर्च और जानकारियों की आवश्यकता होती है. चूंकि अधिकांश निवेशकों के पास क्वालिटी रिसर्च के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है, इसलिए उनके लिए म्यूचुअल फंड रूट के जरिए निवेश करना बेहतर साबित होगा.

फंड चुनते समय ध्यान रखें

जब भी मिडकैप या स्मालकैप फंड का चुनाव करना हो, जो छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं, या तो फाइनेंशियल एडवाइजर्स की सहायता लें या खुद से रिसर्च करें. निवेश के पहले स्कीम की तुलना उसी सेग्मेंट की दूसरी स्कीम से करें और साथ ही बेंचर्मा इंडेक्स के रिटर्न से भी तुलना करें. फंड का साइज क्या है, कितनी अवधि के लिए निवेश करना है, इस सभी बातों पर अच्छे से गौर करें. अगर किसी फंड का कॉर्पस बड़ा है और वह बाजार में लंबे समय से मौजूद है तो इनमें स्टेबल रिटर्न की उम्मीद ज्यादा होती है. वहीं, निवेश करते समय म्यूचुअल फंड स्कीम का एक्सपेंस रेश्यो भी चेक करें. अगर एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा है तो आपके रिटर्न पर ​असर पड़ सकता है. ऐसे फंड में निवेश से बचें, जहां फंड मैनेजर हाल ही में बदले हों या जिस फंड का आॅब्जेक्टिव बदला हो. मिडकैप और स्मालकैप का नेचर वोलेटाइल होता है, इसलिए इनमें SIP के जरिए निवेश बेहतर हो सकता है.

(By Ashish Kapur, CEO, Invest Shoppe India Ltd)

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