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Rupee at all-time low: अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर, 29 पैसे गिरकर 83.11 पर आया

Rupee at all-time low: सोमवार को रुपये में आई गिरावट के लिए अमेरिकी डॉलर में मजबूती और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को प्रमुख कारण माना जा रहा है.

Rupee at all-time low: सोमवार को रुपये में आई गिरावट के लिए अमेरिकी डॉलर में मजबूती और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली को प्रमुख कारण माना जा रहा है.

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Viplav Rahi
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Rupee at all-time low, Rupee against US dollar, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया, रुपया सबसे निचले स्तर पर, रुपये में गिरावट

Rupee at all-time low: सोमवार को डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया. (File Photo : Reuters)

Rupee falls 29 paise to close at all-time low : भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरकर अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया. कारोबारी हफ्ते के पहले दिन भारतीय करेंसी में डॉलर के मुकाबले 29 पैसे की गिरावट दर्ज की गई, जिसके बाद एक डॉलर की कीमत बढ़कर 83.11 रुपये हो गई. यह भारतीय करेंसी का डॉलर की तुलना में अब तक का सबसे निचला स्तर है.

FII की बिकवाली का भी पड़ा असर

जानकारों का मानना है कि रुपये में यह गिरावट मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने और विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली की वजह से देखने को मिल रही है. भारतीय एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 3,073.28 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और कुल मिलाकर नेट सेलर रहे.

डॉलर के मुकाबले 83.04 पर खुला रुपया

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इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज (Interbank Foreign Exchange) मार्केट में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 83.04 पर खुला और आखिरकार कारोबारी दिन समाप्त होते समय 83.11 (प्रॉविजनल) पर बंद हुआ, जो इसके पिछले बंद भाव की तुलना में 29 पैसे की गिरावट दिखाता है. दिन भर कारोबारी सत्र के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया अधिकतम 82.94 तक उछला और फिर 83.11 के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ. शुक्रवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 16 पैसे गिरकर 82.82 पर बंद हुआ था.

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IIP के उम्मीद से खराब आंकड़े

डॉलर में मजबूती के अलावा घरेलू बाजारों की कमजोरी को भी रुपये में गिरावट की बड़ी वजह माना जा रहा है. बीएनपी पारिबा (BNP Paribas) की इकाई शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी ने कहा कि भारत में आईआईपी (Index of Industrial Production -IIP) के ताजा आंकड़े उम्मीद से खराब रहे हैं, जबकि अमेरिकी पीपीआई (The Producer Price Index) डेटा अनुमान से बेहतर रहा है. यही वजह है कि ग्लोबल मार्केट्स में जोखिम से बचने और सुरक्षित निवेश के लिए डॉलर की मांग में तेजी देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि "हमें उम्मीद है कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचने की कोशिश (risk aversion) और अमेरिकी डॉलर में बढ़ोतरी के कारण रुपया नकारात्मक पूर्वाग्रह (negative bias) के साथ कारोबार करेगा. इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के आउटफ्लो का असर भी रुपये पर पड़ सकता है. हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में आई ताजा गिरावट से रुपये को निचले स्तर पर कुछ समर्थन भी मिल सकता है. कारोबारी भारत के इंफ्लेशन के आंकड़ों के आधार पर अपनी आगे की रणनीति बना सकते हैं, जो पिछले महीने के 4.81 प्रतिशत से बढ़कर 6.4 प्रतिशत तक पहुंचने की आशंका है. चौधरी ने यह भी बताया कि वे कम अवधि (near term) के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के स्पॉट रेट 82.50 से 83.50 के दायरे में रहने की उम्मीद कर रहे हैं.''

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जून में महज 3.7% रहा भारत का IIP

पिछले शुक्रवार यानी 11 अगस्त 2023 को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून के महीने में भारत का आईआईपी गिरकर 3.7 फीसदी पर आ गया, जबकि मई में यह 5.2 फीसदी रहा था. यह आईआईपी का तीन महीने का सबसे निचला स्तर है. इस बीच, 6 करेंसी के बास्केट के मुकाबले डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला डॉलर इंडेक्स 0.01 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी के साथ 102.85 पर पहुंच गया. वहीं ग्लोबल ऑयल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स (Brent crude futures) 0.28 फीसदी गिरकर 86.57 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गया.

Falling Rupee Value Rupee Vs Us Dollar Indian Rupee