scorecardresearch

क्रूड पर फेल हुई रूस और सऊदी अरब की बैठक, क्या 20 डॉलर के नीचे आएगा कच्चा तेल?

लगातार क्रूड की गिर रही कीमतों को थामने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच बैठक फिलहाल टल गई है.

लगातार क्रूड की गिर रही कीमतों को थामने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच बैठक फिलहाल टल गई है.

author-image
Sushil Tripathi
New Update
saudi arabia and russia meeting fail on cut crude production, stability in crude prices, crude prices falling, US crude production, OPEC countries, Non OPEC countries

लगातार क्रूड की गिर रही कीमतों को थामने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच बैठक फिलहाल टल गई है.

saudi arabia and russia meeting fail on cut crude production, stability in crude prices, crude prices falling, US crude production, OPEC countries, Non OPEC countries लगातार क्रूड की गिर रही कीमतों को थामने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच बैठक फिलहाल टल गई है.

लगातार क्रूड की गिर रही कीमतों को थामने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच बैठक फिलहाल टल गई है. डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव के बाद भी ओपेक देशों और रूस में कुछ बातों पर मतभेद के चलते यह बैठक नहीं हो पाई. इसके बाद क्रूड की कीमतों में एक बार फिर दबाव बन गया है. एक्सपर्ट का कहना है कि पहले से ही कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में क्रूड की डिमांड बहुत कम है. दूसरी ओर ओपेक देशों, रूस और अमेरिका के ओर से क्रूउ प्रोडक्शन कट करने पर किसी तरह की सहमति नहीं बन पा रही है. ऐसा ही रहा तो क्रूड वापस 20 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ जाएगा. वहीं, CNBC में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक कुछ एनालिस्ट मान रहे हैं कि क्रूड की कीमतें 10 डॉलर तक नीचे आ सकती हैं.

क्या है मौजूदा परेशानी?

Advertisment

मौजूदा समय में सबसे बड़ी परेशानी है कि सऊदी अरब समेत तमाम ओपेक देश क्रूड पर प्राइस वार को लेकर पीछे नहीं हट रहे हैं. एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट, कमोडिटी एंड करंसी, अनुज गुप्ता का कहना है कि पिछले दिनों ओपेक देशों का कुल इंपोर्ट में मार्केट शेयर कम हुआ था. यूएस और रूस में प्रोडक्शन बढ़ना, इसका एक कारण रहा. अब ओपेक देश सस्ते में क्रूड बेचकर एक बार फिर अपनी बाजार हिस्सेदारी के साथ ही कस्टमर बढ़ाने के मूड में हैं. इसलिए प्रोडक्शन में उनकी ओर से कटौती नहीं हो रही है. इसी वजह से मांग कम रहने और ओवरसप्लाई की स्थिति में क्रूड में भारी गिरावट आई है. जिसके बाद से अमेरिका यह चाह रहा है कि दुनियाभर के क्रूड उत्पादक देश कटौती कम करें, जिससे कीमतों में सिथरता आए.

प्रोडक्शन कट करने को लेकर अमेरिका का दबाव

क्रूड पर प्राइस वार के बाद से जिस तरह से क्रूड की कीमतें गिरी हैं और ओपेक देशों की ओर से एक्सपोर्ट बढ़ा है, परेशानी अमेरिका की बढ़ गई है. अमेरिका में तेल बिजनेस से जुड़ी कंपनियों की बैलेंसशीट बुरी तरह से बिगड़ी है. कई कंपनियां बंद होने के कगार पर हैं. इन कंपनियों में नौकरियों का संकट बन गया है. लाखों की नौकरी गई, जिससे जॉब डाटा बिगड़ गया है. इसी वजह से अमेरिका चाहता है कि ओपेक देश और रूस मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें.

टैरिफ लगा तो स्थिति और होगी खराब

अमेरिका ने हाल ही में चेतावनी दी है कि अगर क्रूड की कीमतों को थामने के लिए कोई हल ओपेक देशों की ओर से नहीं निकलता तो वह क्रूड इंपोर्ट पर टैरिफ बढ़ा देंगे. यह स्थिति और दबाव बढ़ाने वाली है. अगर यूएस टैरिफ लगाता है तो वहां बाहर से आने वाले क्रूड की डिमांड और घटेगी. इससे क्रूड में फिर गिरावट बढ़ सकती है. बता दें कि रूस और ओपेक देशों के बीच प्रस्ताविक बैठक के बाद से ही कच्चा तेल 12 डॉलर प्रति बैरल तक चढ़ गया था. उम्मीद थी कि बैठक में कीमतों को थामने के उपाय निकाले जाएंगे. 3 अप्रैल को क्रूड 34.11 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

Crude Prices Crude Oil Brent Crude