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सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको ने मई महीने के लिए जिस तरह से तेल की कीमतें घोषित की हैं, उससे प्राइस वार बढ़ता दिख रहा है.
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हाल ही में ओपेक और कच्चे तेल (Crude Oil) के अन्य बड़े उत्पादक देशों में क्रूड प्रोडक्शन घटाने को लेकर सहमति बनी तो लगा कि क्रूड पर प्राइस वार कम होगा. लेकिन अब सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको ने मई महीने के लिए जिस तरह से तेल की कीमतें घोषित की हैं, उससे तो प्राइस वार कम होने की बजाए बढ़ती दिख रही है. रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग जैसी न्यूज वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के अनुसार अरामको ने एशियाई देशों के लिए क्रूड की कीमतों को कम कर दिया है. जबकि यूएस के लिए इसे बढ़ा दिया है. हालांकि यूरोप के देशों के लिए कीमतें फ्लैट रखी गई हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि तेल प्रोडक्शन कट करने पर जो हालिया समझौता हुआ है, उसे अरामको खुश नहीं है. वह दुनियाभर में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए एग्रेसिव तरीके से काम कर रही है.
एशियाई देशों को मिला डिस्काउंट
रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरामको ने एशियाई देशों के लिए 4.20 डॉलर प्रति बैरल का डिस्काउंट दिया है. जबकि यूएस बॉयर्स के लिए 2.50 डॉलर प्रति बैरल कीमतें बढ़ाई गई हैं. ये कीमतें मई महीने के लिए हैं. रॉयटर्स के मुताबिक एयिायन रिफाइनरीज ने सउदी अरब से लगातार तीसरे महीने में कीमतों में कटौती करने के लिए कहा था. वहीं यह कटौती बाजार के अनुमानों के मुताबिक ही माना जा रहा है.
2 दिन पहले कीमतें कंट्रोल करने पर बनी थी सहमति
अभी दिन पहले ही कच्चे तेल सबसे बड़े उत्पादक देश इसके उत्पादन में करीब 97 लाख बैरल प्रतिदिन तक की कटौती करने पर सहमत हुए थे. जिसके बाद से क्रूउ की कीमतों में तेजी देखने को मिली थी. इसमें मैक्सिको भी शामिल है, जो अंत तक उत्पादन में कटौती करने को तैयार नहीं था. असल में इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट के बाद इसकी कीमतों को कंट्रोल करने अब अरामको ने मई के लिए फिर तेल के भाव घटा दिए हैं.
मार्केट पर कब्जे का खेल, प्राइस वार अभी खत्म नहीं
एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट, कमोडिटी एंड करंसी, अनुज गुप्ता का कहना है कि यह पूरा खेल मार्केट में हिस्सेदारी बढ़ाने का है. कोराना वायरस के चलते जहां पूरी दुनिया में बिजनेस एक्विविटी ठप होने से क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट आई है, अरामको सस्ता तेल बेचकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाए रखना चाहता है. मई के लिए उसने कीमतें कम कर दी हैं. इससे अमेरिका और रूस जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों की बजाए सउदी अरब से तेल की मांग ज्यादा बढ़ेगी.
क्रूड ऑयल की वायदा कीमतों की बात करें, तो मंगलवार सुबह क्रूड ऑयल WTI का फ्यूचर भाव 1.16 फीसद या 0.25 डॉलर की तेजी के साथ 22.68 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा था. इसके अलावा ब्रेंट ऑयल का फ्यूचर भाव मंगलवार सुबह 1.67 फीसद या 0.53 डॉलर के उछाल के साथ 32.25 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेंड कर रहा था.
भारत पर क्या असर
अनुज गुप्ता का कहन है कि अगर एशियाई देशों को सस्ता तेल मिलता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से बेहतर है. भारत में जरूरतों का 82 फीसदी क्रूड इंपोर्ट किया जाता है. ऐसे में इंपोर्ट बिल पर सरकार को राहत मिलेगी. जहां तक कंज्यूमर की बात है, उसे ज्यसादा फायदा मिलता नहीं दिख रहा है. लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ गया है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल की मांग कम रहने की ही आशंका है. फिर सरकार अगर पेट्रोल और डीजल के रेट कम ही करती है तो फायदा कंज्यूमर को नहीं मिलने वाला. लॉकडाउन के बाद हालांकि पेट्रोल और डीजल पर कुछ राहत मिल सकती है.