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SBI का दिवाली गिफ्ट! MCLR में कटौती, घट जाएगी होम और ऑटो लोन की EMI

SBI ने MCLR घटाया, वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार छठवीं कटौती की.

SBI ने MCLR घटाया, वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार छठवीं कटौती की.

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Ashutosh Ojha
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SBI ने MCLR घटाया, वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार छठवीं कटौती की.

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SBI festive Bonanza!  स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने कस्टमर्स को दिवाली का तोहफा दिया है. बैंक ने बुुधवार को सभी टेन्योर के मार्जिनल कॉस्ट लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.10 फीसदी की कटौती की है. इसका फायदा सभी श्रेणी के ग्राहकों को होगा. बैंक ने वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार छठवीं बार एमसीएलआर में कटौती की है. संशोधित दरें 10 अक्टूबर से प्रभावी हो जाएंगी. इससे बैंक के मौजूदा ग्राहकों की होम और ऑटो लोन की ईएमआई रिसेट पीरियड के अनुसार घट जाएगी.

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बैंक के अनुसार, एसबीआई का एक साल की अवधि के लिए एमसीएलआर अब 8.15 फीसदी से घटकर 8.05 फीसदी रह गया. ग्राहकों का होम लोन अमूमन एक साल के एमसीएलआर से लिंक्ड रहता है. ऐसे में एक साल की रिसेट अवधि जब आएगी, उन ग्राहकों की ईएमआई घट जाएगी. मान लीजिए, किसी ग्राहक के होम लोन की रिसेट अवधि अक्टूबर में ही है, तो उसे ब्याज दरों में कटौती का फौरन फायदा होगा. यदि किसी का नवंबर या दिसंबर में है, तो उसे ईएमआई घटने का इंतजार करना पड़ेगा.

रिजर्व बैंक की तरफ से पिछले सप्ताह रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती के बाद एसबीआई की तरफ से एमसीएलआर में यह कमी की गई है. बैंक की ओर से जारी बयान के अनुसार, त्योहारी सीजन को देखते हुए और अपने सभी ग्राहकों को राहत देने के लिए कर्ज की दरों में कटौती की है. हालांकि बैंक ने यह भी साफ किया है कि रेपो लिंक्ड लोन लेने वाले ग्राहकों को इस ब्याज दरों में कटौती का लाभ नहीं मिलेगा.

MCLR पर कर्ज लेने वालों को ही फायदा

एसबीआई की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का फायदा उन ग्राहकों को होगा जिनका लोन एमसीएलआर आधारित है. 1 अप्रैल 2016 से बैंक ने लेंडिंग के लिए MCLR को आधार बनाया था. यानी, बैंक इससे कम ब्याज दर पर कर्ज नहीं दे सकते थे. अब एसबीआई 1 अक्टूबर 2019 से नई एक्सटर्नल बेंचमार्किंग पर लोन दे रहा है.

SBI ने 1 अक्टूबर से एक्सटर्नल बेंचमार्क बदला

एसबीआई ने 1 अक्टूबर से लोन की ब्याज दर तय करने का तरीका बदल दिया है. बैंक ने MSME, हाउसिंग और रिटेल (Auto loan, Personal Loan etc.) को लोन देने के लिए रेपो रेट को एक्सटर्नल बेंचमार्क बनाया है. यानी, 1 अक्टूबर से एसबीआई इसी के आधार पर कर्ज देगा. इस बीच, SBI ने रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट RLLR 7.65 फीसदी तय किया था, जो 1 सितंबर 2019 से प्रभाव में आया था.

एसबीआई ने यह फैसला आरबीआई की ओर से 4 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन के आधार पर किया है. इससे पहले, SBI ने रेपो रेट से लिंक्ड होम लोन प्रोडक्ट को वापस ले लिया था. बैंक ने इस प्रोडक्ट को 1 जुलाई 2019 को लॉन्च किया था. बता दें, SBI पहला बैंक था, जिसने रेपो रेट से लिंक्ड ब्याज दर वाले होम लोन प्रोडक्ट की पेशकश की थी. इसके बाद कई अन्य बैंक इस तरह के प्रोडक्ट लेकर आए थे. रेपो रेट लिंक्ड लेंडिंग रेट पर आधारित होम लोन स्कीम एक नया प्रोडक्ट है.

क्‍या होता है MCLR?

बैंकों के एमसीएलआर में उसकी फंड की लागत दी होती है, जिसे बैंक हर महीने घोषित करते हैं. बेहतर करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट डिपॉजिट होने की वजह से छोटे बैंकों के मुकाबले बड़े बैंकों का कम एमसीएलआर होता है. एमसीएलआर को इंटरनल बेंचमार्क माना जाता है क्योंकि कम लागत वाले फंड जुटाने के लिए बैंक की अपनी क्षमता एमसीएलआर में एक महत्वपूर्ण फैक्टर है.

कोई भी बैंक एमसीएलआर पर उधार देता है लेकिन इससे कम पर बैंक उधार नहीं दे सकता है. होम लोन की ब्याज दरें या तो एमसीएलआर के बराबर होंगी या उससे ज्यादा होंगी. फिलहाल 1 साल का एमसीएलआर 8 से 9 फीसदी के बीच है. बैंकों के एमसीएलआर बढ़ने का मतलब है कि कर्ज लेने वाले को ज्यादा ईएमआई और ब्याज देना होगा.

MCLR में कैसे तय होता है लेंडिंग रेट

एमसीएलआर से जुड़े होम लोन में जब होम लोन की अवधि पूरी नहीं हो जाती है तब तक EMI की रकम स्थिर रहेगी. ऐसे लोन्स में प्रिंसिपल रिपेमेंट के मुकाबले शुरुआती वर्षों में इंटरेस्ट का हिस्सा ज्यादा होता है.

MCLR लोन में, बैंक एक मार्क-अप, स्प्रेड या मार्जिन चार्ज कर सकते हैं. मान लीजिए बैंक का MCLR 8.05 फीसदी है, तो वह मार्क-अप के 50 बेसिस प्वॉइंट के फैक्टरिंग के बाद 8.55 फीसदी पर उधार दे सकता है. लोन की रकम, लोन-टू-वैल्यू, कर्ज का अवधि, रिस्क या लोन लेने वाले का जेंडर आधार पर यह स्प्रेड मार्जिन अलग हो सकता है.