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देश के सबसे बड़े बैंक SBI को लेकर मार्केट वाचर्स पिछले दो दशकों में कभी भी इतने बुलिश नहीं रहे हैं जितना इसके बेहतर होते एसेट क्वालिटी के चलते अब हैं. इस स्टॉक को कवर करने वाले 48 एनालिस्ट्स में 47 ने इसे Buy और एक ने Hold रेटिंग दी है. 98 फीसदी का यह एनालिस्ट रेशियो जून 2004 के बाद से सबसे अधिक है. 12 महीने के लिए प्राइस टारगेट 18 फीसदी गेन का रखा गया है जो कि एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स बेंचमार्क पर लगभग दोगुना है. इसका मतलब हुआ कि अगले एक साल में सेंसेक्स की तुलना में एसबीआई से दोगुना रिटर्न मिलेगा. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगले एक साल में सेंसेक्स 9 फीसदी की दर से बढ़ेगा जबकि एसबीआई में 18 फीसदी का गेन हो सकता है.
स्ट्रेटजिस्ट्स का अनुमान है कि देश के प्रमुख लेंडर्स मजबूत प्रावधान (प्रोविजनिंग) और नई मानकों की बदौलत धीमी अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटेंगे और इससे उन्हें 2022 तक अपने बैड लोन्स के वास्तविक आंकड़े छिपाने में मदद मिलेगी. इससे सेक्टर का इक्विटी मार्केट में परफॉर्मेंस बेहतर होगा.
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पिछली तिमाही में एसबीआई को रिकॉर्ड प्रॉफिट
देश के लोन मार्केट के लगभग 1/5 भाग में एसबीआई की हिस्सेदारी है. इसे जनवरी-मार्च 2021 तिमाही में अनुमान के विपरीत रिकॉर्ड प्रॉफिट हुआ था. बैड लोन्स में कम प्रोविजनिंग के चलते बैंक के मुनाफे में बढ़ोतरी हुई थी. इसके अलावा पिछले वित्त वर्ष में स्लिपेज रेशियो ( नए स्ट्रेस्ड एसेट्स) और ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में भी गिरावट आई.
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड गौतम दुग्गाड के मुताबिक एसबीआई की कमाई आगे बढ़ेगी क्योंकि बैलेंसशीट अब बेहतर है और जो सफाई की जानी थी, वह काफी हद तक पूरी हो चुकी है. गौतम दुग्गाड के मुताबिक एसबीआई की रिटेल एसेट क्वालिटी बैंकिंग सेक्टर के अन्य बैंकों के मुकाबले कम स्लिपेज के चलते बेहतर है.
बैंक की एसेट क्वालिटी पर बना रह सकता है दबाव
ब्लूमबर्ग की इंटेलीजेंस एनालिस्ट दिक्षा गेरा के एक नोट के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में बेहतर एसेट क्वालिटी के चलते इक्विटी पर रिटर्न चार फीसदी तक बढ़कर 12 फीसदी से अधिक हो सकता है. हालांकि इस नोट में स्टॉक को लेकर कोई रेटिंग नहीं दी गई है. हालांकि इसमें कहा गया है कि बैंक ने कोरोना के कारण अनिश्चितता के चलते स्लिपेज रेशियो को लेकर कोई गाइडेंस नहीं दिए हैं. इसके कारण मार्च में बैड लोन क्लासिफिकेशन से रिस्ट्रिक्शंस हटाए जाने के बाद बैंक की एसेट क्लालिटी पर दबाव बना रहेगा. हालांकि इसके बावजूद Societe Generale SA के स्ट्रेटजिस्ट्स बैंकिंग में निवेश को लेकर सकारात्मक हैं.