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एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार 97 लाख बैरल की कटौती क्रूड में गिरावट थामने के लिए पर्याप्त नहीं होगी.
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हाल ही में ओपेक और क्रूड के अन्य बड़े तेल उत्पादक देशों में क्रूड का प्रोडक्शन प्रति दिन 97 लाख बैरल तक कम करने पर सहमति बनी है. क्रूड की कीमतों में स्थिरता लाने के लिए ये देश प्रोडक्शन कम करने पर सहमत हुए. हालांकि इस समझौत के बाद भी क्रूड की इंटरनेशनल कीमतों में गिरावट जारी है. क्रूड अभी 27 डॉलर प्रति बैरल के आस पास ट्रेड कर रहा है. यह 18 साल का सबसे निचला स्तर है. हाल ही में जारी एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में क्रूड के 10 डॉलर तक सस्ता होने की आशंका जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार प्रति दिन 97 लाख बैरल की कटौती क्रूड में गिरावट थामने के लिए पर्याप्त नहीं होगी.
अभी ब्रेंट क्रूड का भाव 27.82 डॉलर प्रति बैरल है, वहीं डबल्यूटीआई क्रूड 19.87 डॉलर प्रति बैरल के करीब है. यह फरवरी 2002 के बाद इसका सबसे निचला स्तर है. बता दें कि क्रूड में इस साल अबतक करीब 56.57 फीसदी गिरावट आ चुकी है. वहीं, 1 साल में यह 58.87 फीसदी टूटा है. क्रूड में गिरावट इस साल के शुरू से ही बनी हुई है.
10 डॉलर तक जाएंगे भाव
एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट के अनुसार 97 लाख बैरल की कटौती क्रूड में गिरावट थामने के लिए पर्याप्त नहीं होगी. यह आने वाले दिनों में 10 डॉलर तक सस्ता हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल आयल स्टोरेज कैपेसिटी अभी 9 बिलियन बैरल है. इसमें से 7.2 बिलियन बैरल यूटिलाइज है. जबकि 1.8 बिलियन बैरल का यूटिलाइजेशन नहीं हो पा रहा है. 1.8 बिलियन बैरल 180 दिनों के सप्लाई के बराबर है.
ग्लोबल मार्केट में ओवरसप्लाई की स्थिति है. 97 लाख बैरल की कटौती के बाद भी Q2, Q3 और Q4 में भी ओवरसप्लाई की स्थिति 15 mbpd, 7 mbpd और 2 mbpd बनी रहेगी. वहीं फ्यूल स्टोरेज प्राइस भी मिड मार्च के बाद से 50-100 फीसदी ग्लोबली बढ़ चुका है. ऐसे में यह भी एक चुनौती है. ऐसे में क्रूड आने वाले दिनों में 10 डॉलर तक जाता दिख रहा है.
क्रूड में क्यों आई इतनी बड़ी गिरावट
इसके पीछे 3 प्रमुख वजह हैं. सबसे पहले ईरान और अमेरिका के बीच मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से क्रूड में गिरावट आई. दूसरा कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने से क्रूड इंपोर्ट करने वाले देशों की ओर से मांग ठप पड़ गई. तीसरा ओपेक और रूस के बीच प्राइस वार छिड़ने से पिछले दिनों सउदी अरब ने क्रूउ प्रोडक्शन बढ़ा दिया और कीमतें कम कर दीं. सऊदी अरब की दिग्गज तेल कंपनी अरामको ने मई महीने के लिए जिस तरह से तेल की कीमतें घोषित की हैं, उससे तो प्राइस वार कम होने की बजाए बढ़ती दिख रही है.