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येस बैंक को 2020 में संकट के समय SBI और अन्य बैंकों के समूह ने बचाया था. तब लिक्विडिटी क्राइसिस के कारण RBI ने बोर्ड को भंग कर दिया था. (Reuters)
SBI to sell stake in Yes Bank : प्राइवेट बैंकिंग स्टॉक येस बैंक आज करीब 10 फीसदी मजबूत होकर 20 रुपये के पार बंद हुआ है. ऐसा इस सेंटीमेंट के चलते हुआ कि देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसआई अपनी येस बैंक की कुछ हिस्सेदारी बेच सकता है. और हुआ भी कुछ ऐसा ही. रॉयटर्स के अनुसार भारतीय स्टेट बैंक (SBI) निजी बैंक यस बैंक में अपनी 13.19% हिस्सेदारी जापान की सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) को बेच देगा. यह सौदा 88.89 अरब रुपये ($1.04 अरब) में होगा. यह जानकारी दोनों बैंक के बोर्ड मीटिंग के बाद दी गई.
सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप की मालिकाना हक वाली SMBC पिछले साल से येस बैंक के सबसे बड़े निवेशक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और भारत के केंद्रीय बैंक के साथ बातचीत कर रही है.
अभी किसके पास कितनी हिस्सेदारी
SBI के पास मार्च तिमाही में येस बैंक में 23.97 फीसदी हिस्सेदारी थी. एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक और LIC जैसे संस्थागत निवेशकों की भी इसमें हिस्सेदारी है. एलआईसी के पास यस बैंक में 3.98 फीसदी हिस्सेदारी है. Vervanta Holdings Ltd. की हिस्सेदारी 9.2 फीसदी और CA Basque Investments की 6.84 फीसदी हिस्सेदारी है. बैंक के पास लगभग 62 लाख छोटे रिटेल निवेशक हैं, जिनकी हिस्सेदारी 22.55 फीसदी है.
SBI, जो वर्तमान में यस बैंक में 23.97 फीसदी हिस्सेदारी रखता है, जो SMBC को अब 13.19 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगा. इसके साथ ही, SMBC येस बैंक में 6-7 फीसदी नई पूंजी निवेश करने की योजना बना रहा है. इस निवेश के बाद, SMBC अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी तक बढ़ाने के लिए ओपन ऑफर पेश कर सकता है.
बची हिस्सेदारी भी बेच सकता है SBI?
SBI अपनी बची हुई हिस्सेदारी भी इस ओपन ऑफर के जरिए बेच सकता है. येस बैंक में निवेश करने वाले अन्य बैंक जैसे एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और एचडीएफसी बैंक, जो मिलकर 7.36 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं, और निजी इक्विटी कंपनियां एडवेंट इंटरनेशनल और कार्लाइल भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना सकते हैं.
येस बैंक को बचाने में SBI की बड़ी भूमिका
येस बैंक को 2020 में संकट के समय SBI और अन्य बैंकों के समूह ने बचाया था. उस समय इसकी लिक्विडिटी क्राइसिस के कारण RBI ने बोर्ड को भंग कर दिया था. तब से अब तक येस बैंक के पास कोई प्रमोटर नहीं है.
भारतीय कानून के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में प्रमोटरों के वोटिंग अधिकार अधिकतम 26 फीसदी तक सीमित हैं. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट के अनुसार SMBC ने इस कानून को स्वीकार कर लिया है और येस बैंक में दिलचस्पी दिखाई है. येस बैंक के संचालन और प्रबंधन पर नियंत्रण पाने के लिए, SMBC बैंक के बोर्ड की प्रमुख समितियों में अपने प्रतिनिधियों को नामांकित कर सकता है, जिसमें नॉमिनेशन और रेम्यूनरेशन कमेटी (NRC) शामिल है.