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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को NBFC और म्यूचुअल फंडों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी. (Image: PTI)
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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने लोन रिपेमेंट पर रोक यानी EMI मोरेटोरियम सुविधा का विस्तार नकदी की कमी से जूझ रहे NBFC क्षेत्र को भी देने का फैसला किया है, ताकि वे इस संकट से उबर सकें. रिजर्व बैंक ने बैंकों को तीन महीने मार्च, अप्रैल और मई 2020 के दौरान सभी तरह के सावधि कर्जदारों से किस्त अदायगी पर रोक लगाने की अनुमति दी है.
बैंक के प्रबंध निदेशक दिनेश कुमार खारा ने बताया कि एसबीआई प्रत्येक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) के नकदी बजट और ‘रोक’ की इस सुविधा का उन तक लाभ पहुंचाने की जरूरत की जांच परख करने के बाद मामला दर मामला आधार पर निर्णय लेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए की नकदी प्रवाह में कोई फासला नहीं बने और संकट की इस स्थिति से उन्हें उबारा जा सके, यही सोचकर SBI ने यह फैसला किया है.
RBI गवर्नर ने सोमवार को की थी बैठक
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को NBFC और म्यूचुअल फंडों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान नकदी की स्थिति और MSME को अधिक कर्ज देने के प्रयासों की समीक्षा की थी. सरकार द्वारा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने के बाद NBFC ने सोमवार से अपना कामकाज फिर शुरू किया है.
SBI ने MCLR और जमा दरें भी घटाई
SBI ने गुरुवार को विभिन्न अवधि के लिए MCLR में 0.15 फीसदी की कटौती की है, जो 10 मई से लागू होगी. एक साल अवधि के लिए MCLR सालाना 7.40 फीसदी से घटकर 7.25 फीसदी हो गया है. इसी के साथ पात्र होम लोन (जो MCLR से लिंक हैं) पर EMI घट जाएंगी. बैंक ने बताया कि 30 साल के लिए 25 लाख के लोन पर ईएमआई लगभग 255 रुपये सस्ती हो गई है.
दूसरी ओर, SBI ने रिटेल FD पर ब्याज दरें 3 साल तक की अवधि के लिए 0.20 फीसदी घटा दी हैं. यानी, अब SBI की एफडी पर मिलने वाला फायदा कम हो गया है. नई ब्याज दरें 12 मई 2020 से लागू होंगी. देश में पारंपरिक, सुरक्षित और निश्चित ब्याज इनकम के लिए बड़े पैमाने पर सावधि जमा (FD) में निवेश किया जाता है