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किसी कंपनी के शेयर प्राइस को मैनिपुलेट करना वैध नहीं है और इस पर नियामकीय कार्रवाई हो सकती है.
किसी कंपनी के शेयर प्राइस को मैनिपुलेट करना वैध नहीं है और इस पर नियामकीय कार्रवाई हो सकती है. बाजार नियामक सेबी ने सोमवार 6 सितंबर को सनराइज एशियन लिमिटेड समेत 85 कंपनियों पर एक साल तक कैपिटल मार्केट से प्रतिबंधित किया है. यह कार्रवाई कंपनी के शेयर भाव को मैनिपुलेट करने के लिए किया गया है. सेबी ने अपने आजेश में सनराइज एशियन और इसके पांच निदेशकों को कैपिटल मार्केट्स से एक साल के लिए और इससे संबंधित 79 कंपनियों को छह महीने के लिए प्रतिबंधित किया है.
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने सनराइज एशियन के स्क्रिप की 16 अक्टूबर 2012 और 30 सितंबर 2015 की अवधि के लिए जांच किया था. यह जांच कोलकाता के इनकम टैक्स (जांच) के प्रिंसिपल डायरेक्टर से मिले रिफरेंस पर शुरू किया गया था. यह जांच यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि क्या ट्रेडिंग के दौरान कुछ कंपनियों द्वारा पीएफयूटीपी (प्रॉहिबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज) के प्रावधानों को कोई उल्लंघन हुआ है या नहीं.
इस तरह हुई धोखाधड़ी
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि विलय योजना के तहत शेयरों के आवंटन के लिए सनराइज एशियन और उसके तत्कालीन निदेशकों ने एक नई व्यवस्था तैयार की. इसके तहत 83 संबंधित एंटिटीज ने जांच अवधि के दौरान शेयरों की कीमतों को ट्रेडिंग के चार हिस्सों में मैनिपुलेट किया जो पीएफयूटीपी के प्रावधानों का उल्लंघन है. इसके अलावा इन 83 एंटिटीज में 77 कंपनियां 1059 एंटिटीज/एलॉटीज द्वारा शेयरों की बिक्री में भाव के मैनिपुलेशन में काउंटरपार्टीज थीं जो नियमों का उल्लंघन है.
एक अन्य मामले में कोरल हब पर लगा प्रतिबंध
सेबी ने शुक्रवार को एक अन्य आदेश के तहत कोरल हब को कैपिटल मार्केट से तीन साल के और छह इंडिविजुअल्स को नियमों के उल्लंघन को लेकर 2-3 के लिए प्रतिबंधित किया. ये छह लोग नियमों के उल्लंघन के समय या तो कंपनी के निदेशक थे या कोरल हब की ऑडिट कमेटी के हिस्सा थे. इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2008-09 और 2009-10 के दौरान बढ़ा-चढ़ाकर और भ्रामक वित्तीय परिणाम घोषित किया था और वित्त वर्ष 2009-10 की सालाना रिपोर्ट में संबंधित पार्टी को दिखाए गए ट्रांजैक्शन का खुलासा करने में असफल रही. यह पीएफयूटीपी के नियमों का उल्लंघन है. सेबी ने यह आदेश एक शिकायत पर सुनाया है जिसमें कोरल हब के रेवेन्यू व प्रॉफिट पर सवाल उठाए गए थे. इस मामले में सेबी ने अप्रैल 2008 से जून 2010 के बीच सेबी एक्ट व पीएफयूटीपी नॉर्म्स के उल्लंघन को लेकर जांच प्रक्रिया शुरू किया था जिस पर शुक्रवार को फैसला सुनाया.