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सरकार क्रिप्टो को फाइनेंशियल एसेट्स के तौर पर रखने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है और इसके कारोबार पर सेबी निगरानी रख सकती है.
Crypto Bill: बिटक्वाइन (BitCoin) जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसीज (Cryptocurrencies) पर नियमन की तैयारियां हो रही हैं. केंद्र सरकार स्टॉक और कमोडिटी मार्केट वॉचडाग सेबी को क्रिप्टो कारोबार की निगरानी और रेगुलेट करने के लिए शक्तियां दे सकती है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार क्रिप्टो को फाइनेंशियल एसेट्स के तौर पर रखने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. जिन निवेशकों ने अभी बिटक्वाइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसीज में निवेश किया है, उन्हें कम से कम तीन महीने का समय मिल सकता है ताकि वे नए नियम-कानूनों के मुताबिक अपनी होल्डिंग का खुलासा कर सकें.
इस पर अंतिम फैसला कैबिनेट द्वारा लिया जाएगा जो आज बुधवार को क्रिप्टोकरेंसीज एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 को ड्राफ्ट कर सकती है. नए बिल में क्रिप्टोकरेंसीज की बजाय क्रिप्टो एसेट्स शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है.
शीतकालीन सत्र में ही पेश हो सकता है बिल
इस समय संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सरकार की योजना क्रिप्टो बिल को इसी सत्र में लाने की है. 23 नवंबर को प्रकाशित लोकसभा के लेजिस्टिव बिजनेस की सूची के मुताबिक बिल में सभी प्रकार की निजी क्रिप्टोकरेंसीज को प्रतिबंधित किए जाने का प्रावधान है. हालांकि नए कानून के तहत क्रिप्टो से जुड़ी तकनीक को बढ़ावा देने और इसके प्रयोग को लेकर कुछ अपवाद भी होंगे यानी कि कुछ विशेष प्रकार के डिजिटल करेंसी को मंजूरी दी जा सकती है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर के रूप में इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर सकती है और इसे फाइनेंशियल एसेट्स के रूप में घोषित कर सकती है. क्रिप्टो बिल में आरबीआई की ऑफिशियल डिजिटल करेंसी को लॉन्च करने का प्रावधान भी किया जाएगा. सरकार अगले साल फरवरी में पेश होने वाले बजट में क्रिप्टो निवेश को टैक्स के दायरे में लाने के लिए इनकम टैक्स नियमों में संशोधन करने की योजना बना रही है.
एसेट्स घोषित करना समाधान नहीं: चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर
हाल ही में एक इंटरव्यू में चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर केवी सुब्रमनियन ने कहा कि निजी क्रिप्टोकरेंसीज को फाइनेंशियल एसेट घोषित करने भी इससे जुड़े खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. सुब्रमनियन ने कहा कि इससे जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले सावधानी बरतनी जरूरी है क्योंकि क्रिप्टो की वैल्यू किसी अंडरलाइंग एसेट या आय से नहीं जुड़ी हुई है और न ही वास्तविक आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी हुई है. ऐसे में इसके भाव को आसानी से ऊपर-नीचे किया जा सकता है जिससे वोलैटिलिटी बहुत अधिक हो सकती है. खुदरा निवेशकों के लिए अधिक वोलैटिलिटी से निपटना संभव नहीं होगा.