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24 जनवरी 2023 को सामने आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर कई गंभीर आरोप लगाए गए, जिन्हें अडानी ग्रुप बेबुनियाद बताकर खारिज कर चुका है. (File Photo: REUTERS)
SC panel on Adani : अडानी समूह से जुड़े कथित स्टॉक प्राइस मैनिपुलेशन के मामले में अब तक कोई रेगुलेटरी नाकामी सामने नहीं आई है, ऐसा सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी का मानना है. यह दावा अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में किया है. रॉयटर्स का कहना है कि उसने वो रिपोर्ट देखी है, जो अडानी मामले की जांच के लिए बनी एक्सपर्ट कमेटी ने कोर्ट में फाइल की है. कमेटी की यह रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है.
सेबी को 13 ऑफशोर फंड्स पर अडानी से जुड़े होने का शक
रॉयटर्स ने इसी रिपोर्ट के हवाले से यह दावा भी किया है कि सेबी (SEBI) को शक है कि अडानी समूह में निवेश करने वाले 13 ऑफशोर (विदेशों से संचालित होने वाले) फंड्स का ग्रुप के प्रमोटर्स के साथ कनेक्शन है. लिहाजा उनकी शेयरहोल्डिंग को पब्लिक फ्लोट यानी निवेशकों की सार्वजनिक हिस्सेदारी नहीं कहा जा सकता. हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा है कि सेबी के पास अब तक ऐसे ठोस सबूत नहीं हैं, जिनके आधार पर वो अपने इस शक को मजबूत केस में तब्दील करके नियमों के उल्लंघन के आरोप में कार्रवाई शुरू कर सके.
13 FPI पर सेबी को क्यों हुआ शक?
रॉयटर्स के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी को विदेशों से संचालित होने वाली इन 13 एंटीटीज़ पर शक इसलिए हुआ, क्योंकि इनका ढांचा काफी अस्पष्ट और संदिग्ध था. इन 13 ओवरसीज़ एंटीटिज़ के असली मालिक कौन हैं, इसका खुलासा नहीं किया जा सका. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन एंटीटिज़ के असली मालिकों का पता लगाने के लिए हुई छानबीन के दौरान बहुत से देशों में जांच की गई, जिसमें कई भारतीय और विदेशी एजेंसियों से मदद ली गई, फिर भी सेबी को कुछ पता नहीं चल सका. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अडानी ग्रुप में जो पैसा लगाया, वो असल में कहां से आया है, इसका पता लगाना और सबूत खोजना बेहद मुश्किल काम है. रॉयटर्स के मुताबिक पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, “साफ दिख रहा है कि यह काफी बड़ा काम है, लेकिन आखिरकार यह ऐसा सफर साबित हो सकता है, जिसकी कोई मंजिल नहीं है.” न्यूज एजेंसी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने यह भी कहा है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स और फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर (FPI) के बेनिफिशियल ओनर - दोनों ही यह भरोसा दिला चुके हैं कि FPI इनवेस्टमेंट को अडानी ग्रुप ने फंड नहीं किया है.
अडानी ग्रुप की कंपनियों में शॉर्ट पोजिशन्स लेने वालों की हो रही जांच
रॉयटर्स के मुताबिक एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी को अडानी ग्रुप की कंपनियों की ओनरशिप से जुड़ी अपनी जांच में अब तक कुछ भी नहीं मिला है. लेकिन इस बात के सबूत जरूर मिले हैं कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने से पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में बड़े पैमाने पर शॉर्ट पोजिशन्स बिल्ड की गई थीं. कमेटी के मुताबिक सेबी ने कहा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशित होने से पहले 6 एंटीटीज ने जिस तरह से ट्रेडिंग की, वो संदेहजनक है. इस दौरान अडानी ग्रुप की कंपनियों में बड़े पैमाने पर शॉर्ट पोजिशन्स बनाने वाले कारोबारियों ने रिपोर्ट के बाद आई गिरावट में भारी मुनाफा बनाया. सेबी का कहना है कि इन 6 एंटीटीज़ के बारे में गहराई से छानबीन की जा रही है.
अडानी ग्रुप सभी आरोपों को गलत बता चुका है
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट के सामने आने के बाद मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी नियुक्त की थी. अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर स्टॉक प्राइस मैनिपुलेशन, ऑफशोर फंड्स के जरिये निवेश में नियमों की अनदेखी करने और टैक्स हैवेन्स के गलत इस्तेमाल समेत कॉरपोरेट गवर्नेंस से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए थे. हालांकि अडानी ग्रुप ने इन सभी आरोपों को गलत ठहराते हुए इसे भारत पर हमला बताया था. फिर भी इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी.
सेबी को जांच के लिए और वक्त देने पर कोई टिप्पणी नहीं
पीटीआई के मुताबिक एक्सपर्ट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट सामने आने के बाद भारतीय शेयर बाजार में कुल मिलाकर बहुत असामान्य उथल-पुथल देखने को नहीं मिली थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है कि सेबी को इस मामले की जांच पूरी करने के लिए और वक्त दिया जाना चाहिए या नहीं.