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IPO: डाक्यूमेंट्स फाइलिंग की समयसीमा घटाने की तैयारी, SEBI ने दी जानकारी

SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बताया कि ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग में लगने वाले समय को कम करने की तैयारी हो रही है.

SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बताया कि ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग में लगने वाले समय को कम करने की तैयारी हो रही है.

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FE Hindi Desk
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SEBI अध्यक्ष ने बताया कि रेगुलेटरी क्लीयरेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में काम हो रही है.

SEBI to Cut Timeline to clear IPO Documents Filing : सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (IPO) से जुड़े ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग में लगने वाले समय को घटाने की तैयारी कर रही है. SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने यह जानकारी दी है. सेबी अध्यक्ष ने बताया कि रेगुलेटरी क्लीयरेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में काम हो रही है.

डाक्यूमेंट्स फाइलिंग आसान बनाने पर हो रहा काम : SEBI चेयरपर्सन

इसी शुक्रवार को इनवेस्टमेंट बैंकर्स के साथ हुई बैठक को संबोधित करते हुए माधबी पुरी बुच ने कहा कि मार्केट रेगुलेटर SEBI ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग में लगने वाले समय को कम करने की दिशा में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि रेगुलेटरी क्लीयरेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने पर काम चल रही है. जानकारी के मुताबिक 2022 में SEBI के पास से किसी ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग और उसकी अप्रूवल हासिल करने के बीच औसत समय का अंतराल बढ़कर 115 दिन हो गया है. मौजूदा कैलेंडर ईयर में ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग और अप्रूवल के बीच का समय अंतराल बीते 8 सालों में सबसे अधिक है.

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इस वजह से फाइलिंग में होती है देरी

SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने बताया कि ऑफर डाक्यूमेंट को मंजूरी देने में सबसे अधिक देरी इनवेस्टमेंट बैंकर्स की तरफ की गई. और ऑफरिंग से जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी इनवेस्टमेंट बैंकर्स की ही है. इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि मार्केट रेगुलेटर SEBI के लिए किसी आईपीओ के ऑफर डाक्यूमेंट को फाइनल अंजाम देने से पहले 3 या 4 बार इनवेस्टमेंट बैंकर्स से संपर्क करना कोई आसान काम नहीं है. इन्हीं सब कारणों के चलते ऑफर डाक्यूमेंट की फाइलिंग और अप्रूवल में ज्यादा समय लग जाता है.

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IPO मूल्य निर्धारण में पारदर्शिता पर ज्यादा जोर : SEBI

उम्मीद की जा रही है कि मार्केट रेगुलेटर SEBI इनवेस्टमेंट बैंकर्स के लिए समयसीमा तय कर सकती है ताकि ये सेबी के सवालों का जवाब देने समय रहते दें. जवाब न मिलने की स्थिति में ऑफर डाक्यूमेंट्स की दोबारा फिलिंग की जा सके इसके लिए ये डाक्यूमेंट्स इनवेस्टमेंट बैंकर्स को रिटर्न भेजा जा सकता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि इस तरह के कागजी प्रक्रियाओं को मंजूरी देने में लंबा समय लगता है. उनकी माने तो कम से कम एक महीने का समय लग सकता है, भले ही SEBI संबंधित प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नए नियम की तैयारी कर रही है. SEBI चेयरपर्सन ने शुक्रवार को कहा कि प्रमोटर्स के दबाव में आने के बजाय इनवेस्टमेंट बैंकर्स को किसी कंपनी का मूल्यांकन करते समय पेशेवर तौर-तरीके से फैसला लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि SEBI आईपीओ के मूल्य निर्धारण में अधिक पारदर्शिता हो, इस पर जोर दे रही है.

(Article : Ashley Coutinho)

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