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IPO Alert: शुरू होने वाली है आईपीओ पार्टी, क्या पैसा लगाकर फंस सकते हैं आप? या निवेश का सही है समय

IPO Investment: अगर मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनी मुनाफे में है और बिजनेस लंबे समय तक सस्टेन करने वाला दिख रहा है तो लंबी अवधि के नजरिए से पैसा लगा सकते हैं.

IPO Investment: अगर मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनी मुनाफे में है और बिजनेस लंबे समय तक सस्टेन करने वाला दिख रहा है तो लंबी अवधि के नजरिए से पैसा लगा सकते हैं.

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Sushil Tripathi
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Global Surfaces IPO opened for subscription on 13 March and the issue has been booked 1221% on day 3.

Should You Invest in IPO: साल 2023 में आईपीओ मार्केट का सूखा खत्‍म हो चुका है. करीब 2 महीने के सूखे के बाद मेनबोर्ड पर Divgi TorqTransfer Systems का आईपीओ (IPO) 1 मार्च को खुला था, जिसकी लिस्टिंग सुस्त रही. वहीं Global Surfaces का IPO 13 मार्च को खुल चुका है, जो 15 मार्च को बंद होगा. रिपोर्ट के अनुसार अगले 2 से 3 महीने में कई कंपनियां आईपीओ ला सकती है और उनके द्वारा बाजार से करीब 17000 करोड़ रुपये जुटाए जाने की योजना है. सवाल उठता है कि जब बाजार के सेंटीमेंट कमजोर बने हुए हैं. ग्लोबल और घरेलू स्तर पर कुछ फैक्टर दबाव बढृा रहे हैं, क्या आईपीओ में पैसे लगाकर निवेशक फंस सकते हैं. या यह आईपीओ में पैसा लगाने का सही समय है.

इन कंपनियों के आ सकते हैं IPO

रिपोट्र के अनुसार आने वाले 2 से 3 महीनों में मैनकाइंड फार्मा करीब 5000 करोड़ का, नेक्‍सस माल्‍स रीट करीब 4000 करोड़ का, टीवीएस लॉजिस्टिक करीब 4000 करोड़ का, एवलॉन टेक्‍नोलॉजी करीब 1025 करोड़ का, सिग्‍नेचर ग्‍लोबल करीब 1000 करोड़ का, कैपिलरी टेक्‍नोलॉजी करीब 850 करोड़ का, कोजेंट सिस्‍टम्‍स करीब 350 करोड़ का और उत्‍कर्ष स्‍माल फाइनेंस बैंक करीब 500 करोड़ का आईपीओ ला सकते हैं.

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क्या IPO में करें निवेश?

IIFL के VP-रिसर्च, अनुज गुप्ता का कहना है कि मौजूदा समय की बात करें तो बाजार सेंटीमेंट निगेटिव हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि अभी निवेश का कोई मौका ही नहीं है. अगर कोई मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनी मुनाफे में है और उसका बिजनेस लंबे समय तक सस्टेन करने वाला दिख रहा है तो लंबी अवधि के नजरिए से पैसा लगा सकते हैं. हालांकि यह जरूर देख लें कि उसका वैल्युएशन वाजिब है या नहीं. पिछले साल का सबक भी याद रखें, जब कई नए जमाने के बिजनेस वाली कंपनियों मार्केट में लिस्ट हुईं, लेकिन उनके शेयरों ने सिर्फ घाटा कराया. अगर कोई स्टार्टअप आईपीओ लाती है तो वेट एंड वाच की रणनीति अपनाएं. उनका कहना है कि भारतीय बाजारों के सेंटीमेंट तुलना में बेहतर है, इसलिए मजबूत कंपनी के साथ लंबी अवधि के लिए जा सकते हैं.

Swastika Investmart के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट आयुश अग्रवाल का कहना है कि मार्केट सेंटीमेंट्स को देखते हुए, आईपीओ में निवेश करने की मौजूदा स्थिति तब तक अनफेवरेबल लगती है जब तक कि कंपनी के फंडामेंटल बहुत मजबूत न हों. बाजार में करेक्शन खत्म होने और स्थिरता आने के बाद आईपीओ में निवेश करना एक बेहतर स्ट्रैटेजी हो सकता है. दूसरी तरफ, एनएफओ या म्यूचुअल फंड में निवेश करना सही विकल्प है क्योंकि स्टॉक की कीमतें और एनएवी में सुधार हुआ है.

अनुज गुप्ता का कहना है कि रिटेल निवेशकों को आईपीओ पर दांव लगाना चाहिए, लेकिन उन्हें कंपनी मैनेजमेंट की क्वालिटी, बिजनेस मॉडल की सस्टेनिबिलिटी, फाइनेंशियल ट्रैक रिकॉर्ड, बैलेंस शीट और वैल्युएशन जैसे प्रमुख मापदंडों पर ध्यान देना चाहिए.

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IPO के लिए कठिन समय

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि निफ्टी अपने हाई से लगभग 10 फीसदी नीचे आ चु​का है. वहीं मौजूदा समय में बाजार में कई निगेटिव फैक्टर मसलन महंगाई, रेट हाइक, आर्थिक अनिश्चितता, अडानी ग्रुप क्राइसिस, यूएस बैंकिंग क्राइसिस मौजूद हैं, जिनके चलते मार्केट सेंटीमेंट कमजोर हुए हैं. दुनियाभर के बाजारों का प्रदर्शन कमजोर है. ऐसे में यह आईपीओ और एनएफओ के लिए अनुकूल समय नहीं है. हालांकि इस बीच आकर्षक वैल्युएशन वाले आईपीओ निवेशकों को आकर्षित करेंगे, लेकिन यह कठिन समय होगा. अगर पैसा लगा चुके हैं तो निवेश में बने रहें और बेहतर समय आने यानी बाजार में तेजी आने का इंतजार करें. जहां तक एनएफओ की बात है, मौजूदा फंड में एसआईपी के माध्यम से निवेश एक अच्छी रणनीति होगी.

IPO चुनते समय किन बातों का रखें ध्यान

ऐसी कंपनियों की पहचान करें, जिनका बिजनेस मॉडल आगे भी सस्टेमन करने वाला हो. डाइवर्सिफाइड बिजनेस वाली कंपनियां बेहतर विकल्प हो सकती हैं. कई बार आकर्षक दिखने वाला आईपीओ भी नुकसान करा देता है. इसलिए शेयर चुनते समय देख लें कि कंपनी मुनाफे में है या नहीं. बेहतर फाइनेंशियल वाली कंपनी पर ही विचार करें.

कंपनी मैनेजमेंट का रिकॉर्ड जरूर चेक करें. कंपनी के मैनेजमेंट टीम और प्रमोटर्स की विश्वसनीयता और योग्यता के बारे में जानकारी लें. इसलिए DRHP को सही से पढ़ें. इश्यू प्राइस का वैल्युएशन जरूर देखें कि कहीं ये समान बिजनसे करने वाली दूसरी लिस्टेड कंपनियों से महंगा तो नहीं है.

अर्निंग प्रति शेयर (EPS) पर फोकस करें. EPS से भी किसी कंपनी की फाइनेंशियल स्थिति का पता लगाया जा सकता है. P/E रेश्यो की दूसरी उन कंपनियों से तुलना करें, जो एक ही इंडस्ट्री और करीब एक ही साइज की हों.

(डिस्क्लेमर: शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है. इसमें किसी भी रूप में निवेश करने से पहले पूरी पड़ताल कर लें. अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह कर लें.)

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