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SME IPO में निवेशक खूब कर रहे हैं कमाई, साल 2023 में 20% शेयर बन गए मल्‍टीबैगर, क्‍यों हैं इसकी इतनी ज्‍यादा डिमांड

Multibagger Share: साल 2023 में कई एसएमई आईपीओ निवेशकों के लिए मल्टीबैगर साबित हुए और पैसा डबल या ट्रिपल कर दिया.

Multibagger Share: साल 2023 में कई एसएमई आईपीओ निवेशकों के लिए मल्टीबैगर साबित हुए और पैसा डबल या ट्रिपल कर दिया.

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Sushil Tripathi
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SME IPO Return

IPO Market: इस साल करीब 40 फीसदी एमएमई आईपीओ ने 50 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया है.

SME IPO Performance: साल 2023 में मेनबोर्ड आईपीओ का रिस्‍पांस मिला जुला रहा है और गिने चुने ही नए लिस्‍ट होने वाले शेयर हैं, जिनमें निवेशकों को हाई रिटर्न मिला. इसके लिए महंगाई, ग्‍लोबल बाजारों में अनिश्चितता, रेट हाइक, मंदी का डर, कंपनियों की एवरेज अर्निंग जैसे प्रमुख फैक्‍टर्स जिम्‍मेदार रहे हैं. हालांकि दूसरी ओर इन तमाम चुनौतियों के बाद भी एसएमई आईपीओ (SME IPOs) का क्रेज देखने को मिला है. SME आईपीओ की निवेशकों में जमकर डिमांड है, वहीं इनके शेयरों का लिस्टिंग के बाद प्रदर्शन भी मजबूत है. इस साल करीब 49 SME आईपीओ लॉन्‍च हुए हैं, जिनमें 9 ने इश्‍यू प्राइस की तुलना में 100 फीसदी से ज्‍यादा और 19 ने 50 फीसदी से ज्‍यादा रिटर्न दिया है.

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पैसे डबल करने वाले SME IPOs

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Krishca स्‍ट्रैपिंग सॉल्‍यूशंस: 109%
Quicktouch टेक्‍नोलॉजीज: 113%
Infinium फार्माचेम: 107%
Exhicon इवेंट्स मीडिया सॉल्‍यूशंस: 134%
MCON रसायन इंडिया: 159%
Systango टेक्‍नोलॉजीज: 116%
Macfos लिमिटेड: 159%
लीड रिक्‍लेम एंड रबर प्रोडक्‍ट्स: 184%
Homesfy रियल्‍टी: 136%

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50% से 90% रिटर्न वाले IPO

De Neers Tools: 91%
Innokaiz इंडिया लिमिटेड: 79%
Pattech फिटवेल ट्यूब कंपोनेंट्स: 65%
Sancode टेक्‍नोलॉजीज: 55.3%
क्‍वालिटी फ्वॉइल्‍स (India): 92%
Srivasavi एडहेसिव टेप्‍स: 90%
शेरा एनर्जी: 81%
गायत्री रबर्स एंड केमिकल्‍स: 60%
Ducol ऑर्गेनिक्‍स एंड कलर्स: 55%
RBM Infracon: 81%

रिटर्न चार्ट देखें तो 49 में से 19 आईपीओ या करीब 40 फीसदी ऐसे हैं, जिनका रिटर्न कम से कम 50 फीसदी है. वहीं 9 आईपीओ में कम से कम पैसे डबल हो गए हैं. मैक्सिमम इस साल 184 फीसदी तक रिटर्न मिला है. यानी पैसे ट्रिपल भी हो गए हैं. 49 में 14 एसएमई आईपीओ ने निगेटिव रिटर्न दिया है.

क्‍या है इसकी वजह

तेजी मंदी के पार्टफोलियो मैनेजर राज व्‍यास का कहना है कि‍ पिछले साल कई न्‍यू एज कंपनियां बाजार में हो हल्‍ला के साथ किलस्‍ट हुईं, लेकिन उनका प्रदर्शन कमजोर रहा. इनके जरिए मेनबोर्ड आईपीओ में घाटा सहने के बाद निवेशकों में SME आईपीओ की डिमांड बढ़ी है. SME आईपीओ के बेहतर प्रदर्शन के चलते भी निवेशक इस ओर अट्रैक्‍ट हुए. इससे इन आईपीओ को न सिर्फ हाई सब्‍सक्रिप्‍शन मिला, बल्कि मजबूत लिस्टिंग के बाद ज्‍यादातर के शेयरों में तेजी बनी रही. ये बड़ी वजह है कि मेनबोर्ड आईपीओ की तुलना में SME आईपीओ का प्रदर्शन मजबूत है. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक्सचेंजों पर 100 से ज्यादा SME आईपीओ आए, जिनमें से आधे मल्टीबैगर साबित हुए. कुछ में तो करीब 8-10 गुना रिटर्न मिला. महत्वपूर्ण रूप से संस्थागत निवेशकों की तुलना में इसमें रिटेल और एचएनआई से मांग आ रही है.

निवेशकों को किन बातों का रखना चाहिए ध्‍यान

राज व्‍यास का कहना है कि‍ मेनबोर्ड आईपीओ और SME आईपीओ के बीच बड़ा अंतर यह है कि जब एक कंपनी रेगुलर आईपीओ के लिए फाइल करती है, तो उन्हें सेबी को डीआरएचपी जमा करने की आवश्यकता होती है. जबकि SME आईपीओ के मामले में, कंपनियों को केवल एक्सचेंजों से अप्रूवल की आवश्यकता होती है न कि सेबी की. एसएमई के पास कम रेगुलेशंस हैं, इसलिए निवेशक हाई प्रीमियम और कम फ्री फ्लोट के कारण लिस्टिंग की तारीख पर पैसा कमा रहे हैं. हालांकि निवेशकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि रेगुलर आईपीओ के लिए न्यूनतम राशि लगभग 15,000 रुपये है, जबकि SME आईपीओ के लिए यह लगभग 1 लाख रुपये है. निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि शुरू में स्टॉक हाइली लिक्विड होते हैं लेकिन लिस्टिंग के अगले 2-3 महीनों में यह धीरे-धीरे गिरने लगते हैं. जबकि मेनबोर्ड आईपीओ को लॉन्‍ग टर्म वैल्‍यू के लिए होल्‍ड रखा जा सकता है, SME आईपीओ केवल उनको अट्रैक्‍ट करते हैं, जो शॉर्ट टर्म में मुनाफा चाहते हैं.

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