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Solarworld Energy IPO: 490 करोड़ का आईपीओ आज से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है. (AI Image: Gemini)
Solarworld Energy Solutions IPO opens today: रिन्यूएबल एनर्जी और सोलर सेक्टर अब प्राइमरी मार्केट में सबसे हॉट थीम बन चुका है. इस सेक्टर में कई नए खिलाड़ी कदम रख रहे हैं और निवेशकों की नजरें तेजी से इस पर टिक गई हैं. इसी कड़ी में नोएडा की सोलर वर्ल्ड एनर्जी साल्यूशंस कंपनी (Solarworld Energy Solutions), जो सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन (EPC) सेवाएं देती है, अब 490 करोड़ रुपये का आईपीओ लेकर आईहै. इस आईपीओ में आज से सब्सक्रिप्शन भी खुल चुका है. निवेश के लिए सब्सक्रिप्शन विंडो 25 सितंबर तक खुला रहेगा. निवेशकों के लिए यह सवाल अहम है कि क्या इस आईपीओ में अप्लाई करना सही रहेगा. यहां प्राइस बैंड से लेकर GMP तक और आईपीओ से जुड़ी डिटेल दी गई है, इन्हें समझकर फैसला ले सकते हैं.
Solarworld Energy IPO: इश्यू साइज और स्ट्रक्चर
नोएडा की सोलर एनर्जी कंपनी सोलर वर्ल्ड एनर्जी साल्यूशंस अब शेयर मार्केट में कदम रख रही है और अपने 490 करोड़ रुपये के आईपीओ के जरिए पैसा जुटा रही है. यह इश्यू फ्रेश इश्यू और OFS का मिला-जुला पैकेज है. कंपनी 1.25 करोड़ नए शेयर जारी करके 440 करोड़ रुपये जुटाएगी, जबकि प्रमोटर एंटिटी प्वॉइनियर फैक्टर आईटी इन्फ्राडेवलपर (Pioneer Facor IT Infradevelopers) अपने 14 लाख शेयर बेचकर करीब 50 करोड़ रुपये हासिल करेगी. आईपीओ का प्राइस बैंड 333 से 351 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है और शेयर का फेस वैल्यू 5 रुपये है. यानी रिटेल निवेशक अब इस कीमत पर शेयर खरीदने के लिए अप्लाई कर सकते हैं.
Solarworld Energy IPO GMP: पहले दिन जीएमपी 18% पर
अनलिस्टेड ग्रे मार्केट में सोलर वर्ल्ड एनर्जी साल्यूशंस के आईपीओ के लेकर जबरदस्त क्रेज नजर आ रहा है. ग्रे मार्केट में कंपनी के शेयर लगभग 68 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं. अगर यही ट्रेंड लिस्टिंग तक बरकरार रहा, तो शेयर की शुरुआती लिस्टिंग कीमत करीब 419 रुपये प्रति शेयर हो सकती है, जो आईपीओ के अपर प्राइस बैंड 351 रुपये से करीब 18% ज्यादा है. हालांकि, ध्यान रहे कि GMP अनऑफिशियल डेटा है और इसे फाइनल लिस्टिंग प्राइस के रूप में माना नहीं जा सकता.
Solarworld Energy IPO : प्रमोटर और मैनेजमेंट
सोलर वर्ल्ड एनर्जी साल्यूशंस के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं कार्तिक तेलटिया (Kartik Teltia), जिनका तीन साल का मौजूदा टर्म सितंबर 2024 में शुरू हुआ था. कंपनी के प्रमोटर्स में Pioneer Facor IT Infradevelopers, Kartik Teltia और Mangal Chand Teltia शामिल हैं, और ये कंपनी में मुख्य हिस्सेदारी रखते हैं. बोर्ड में कुल छह डायरेक्टर्स हैं, जिनमें दो स्वतंत्र सदस्य शामिल हैं, जिनमें एक महिला डायरेक्टर भी हैं. वित्तीय तौर पर कंपनी ने सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) सेवाओं पर अपने बिज़नेस को आधार बनाया है. पिछले तीन सालों में कंपनी की रेवेन्यू ग्रोथ लगातार रही—FY24 में 501.02 करोड़ रुपये से बढ़कर FY25 में 544.77 करोड़ रुपये हो गया. प्रॉफिट में और भी तेजी आई है, जो FY25 में 77.05 करोड़ रुपये तक पहुँच गया.
Solarworld Energy IPO: जुटाए गए फंड का कहां होगा इस्तेमाल
Solarworld Energy Solutions IPO से जुटाई गई बड़ी रकम का इस्तेमाल अपने विस्तार में करेगी. खास तौर पर Kartik Solarworld Private Limited (KSPL) में Pandhurana प्रोजेक्ट के लिए 575.30 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे. बाकी पैसा सामान्य कॉर्पोरेट खर्चों और जरूरतों के लिए अलग रखा जाएगा.
इंडस्ट्री के लिहाज से, Solarworld एक भीड़-भाड़ और प्रतिस्पर्धी सेक्टर में काम कर रही है. इसके कुछ प्रमुख लिस्टेड प्रतिस्पर्धी हैं NTPC Green Energy, Adani Green, ACME Solar और Tata Power.
हालांकि Solarworld मुख्य रूप से EPC कॉन्ट्रैक्ट्स पर ध्यान केंद्रित करती है, बजाय कि पूरे पैमाने पर पावर जनरेशन के. इसका फायदा यह है कि कंपनी जल्दी और लचीले ढंग से प्रोजेक्ट्स ले सकती है, लेकिन इसका जोखिम भी है क्योंकि प्राइसिंग दबाव की स्थिति में मुनाफा प्रभावित हो सकता है.
Solarworld Energy IPO: क्या है रिस्क फैक्टर?
Solarworld Energy Solutions ने अपनी DRHP फाइलिंग में कुछ जोखिमों का जिक्र किया है, जिन पर निवेशकों को ध्यान देना चाहिए:
कंपनी के इंस्टॉलेशन और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में लागत बढ़ने, देरी या पूरा न होने का जोखिम रहता है, जो ऑपरेशंस पर नकारात्मक असर डाल सकता है.
फिक्स्ड-प्राइस EPC कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत सही लागत का अनुमान न लगा पाना या सप्लायर संबंधों को सही से मैनेज न करना कंस्ट्रक्शन कॉस्ट और वर्किंग कैपिटल जरूरतों को बढ़ा सकता है, जिससे कंपनी की वित्तीय स्थिति, कैश फ्लो और ऑपरेशन के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं.
EPC कॉन्ट्रैक्ट्स के तहत क्वालिटी और परफॉर्मेंस गारंटी बनाए रखने में विफलता या सोलर प्रोजेक्ट्स में देरी होने पर भी लागत बढ़ सकती है और कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.