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Sovereign Gold Bond: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की 11वीं सीरीज 1 फरवरी से निवेश के लिए खुल रही है.
Sovereign Gold Bond: अगर आप निवेश के बेहतर विकल्प की तलाश में हैं तो आज यानी 1 फरवरी से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में पैसा लगाने का मौका है. गोल्ड बॉन्ड की 11वीं सीरीज 1 फरवरी से निवेश के लिए खुल रही है, जो 5 फरवरी तक खुली रहेगी. गोल्ड बांड के लिए इस बार सरकार ने इश्यू प्राइस 4912 रुपये प्रति ग्राम यानी 49120 रुपये प्रति 10 ग्राम तय किया है. वहीं, अगर ऑनलाइन गोल्ड बांड खरीदते हैं तो हर ग्राम पर 50 रुपये की छूट भी मिलेगी. ऑनलाइन इन्वेस्टर्स के लिए इश्यू प्राइस 4862 रुपये प्रति ग्राम यानी 48620 रुपये प्रति 10 ग्राम होगा. बता दें कि सरकार सॉवरेन गोल्ड बांड की यह सीरीज तब लेकर आई है, जब सोना इस साल अपने रिकॉर्ड हाई से करीब 7000 रुपये डिस्काउंट पर बिक रहा है. एक्सपर्ट का कहना है कि पोर्टफोलियो में सोना रखने वालों के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड बेहतर विकल्प है.
नॉमिनल वैल्यू 4912 रुपये
आरबीआई ने कहा है कि बॉन्ड का नॉमिनल वैल्यू 4912 रुपये तय हुआ है. बॉन्ड का मूल्य इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन लिमिडेट (IBJA) द्वारा दी गई 27 से 29 जनवरी के बीच 999 प्योरिटी वाले गोल्ड के औसत क्लोजिंग प्राइस के आधार पर तय की गई है. बता दें कि इसके पहले जारी हुए सीरीज 10 के गोल्ड बॉन्ड के लिए इश्यू प्राइस 5104 रुपये प्रति ग्राम था. यह इश्यू 11 जनवरी से 15 जनवरी तक सब्सक्रिप्सन के लिए खुला था.
कहां से खरीद सकते हैं गोल्ड बॉन्ड
एसजीबी के हर आवेदन के साथ निवेशक के पास PAN होना जरूरी है. गोल्ड बॉन्ड को ऑनलाइन खरीद सकते हैं. इसके अलावा इसकी बिक्री बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएचसीआईएल), चुनिंदा डाकघरों और एनएसई व बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज के जरिए भी होगी. स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक में इनकी बिक्री नहीं होती है. इन बॉन्डों की सेटलमेंट डेट 9 फरवरी 2021 तक की गई है.
कितना कर सकते हैं निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में एक वित्त वर्ष में एक व्यक्ति अधिकतम 400 ग्राम सोने के बॉन्ड खरीद सकता है. वहीं न्यूनतम निवेश एक ग्राम का होना जरूरी है. वहीं HUFs एक वित्त् वर्ष में 4 किलोग्राम तक निवेश कर सकेंगे, जबकि ट्रस्ट इसमें 20 किलोग्राम तक निवेश कर सकेंगे.
गोल्ड बांड के क्या हैं फायदे
- गोल्ड बांड मेच्योरिटी पर यह टैक्स फ्री होता है. वहीं इसमें एक्सपेंस रेश्यो कुछ भी नहीं है. भारत सरकार द्वारा समर्थित होने से डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता है.
- यह HNIs के लिए भी बेहतर विकल्प है, जहां इसमें मेच्योरिटी तक होल्ड करने में कैपिटल गेंस टैक्स नहीं देना होता है. इक्विटी पर 10 फीसदी कैपिटल गेंस टैक्स लगता है. ऐसे में लंबी अवधि के निवेश विकल्पों में यह बेहतर साबित हो रहा है.
- फिजिकल गोल्ड की बजाए गोल्ड बांड को मैनेज करना आसान और सेफ होता है.
- इसमें प्योरिटी का कोई झंझट नहीं होता और कीमतें सबसे शुद्ध सोने के आधार पर तय होती हैं.
- इसमें एग्जिट के आसान विकल्प हैं. गोल्ड बांड के अगेंस्ट लोन की सुविधा भी मिलती है.