scorecardresearch

Bharat Petroleum का निजीकरण फिर अटका, 3 में 2 संभावित खरीदारों के पीछे हटने के बाद सरकार ने किया फैसला

सरकार ने BPCL में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए जारी टेंडर रद्द कर दिए हैं, यह फैसला टेंडर भरने वाली 3 में से 2 कंपनियों के पीछे हट जाने के बाद किया गया है.

सरकार ने BPCL में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए जारी टेंडर रद्द कर दिए हैं, यह फैसला टेंडर भरने वाली 3 में से 2 कंपनियों के पीछे हट जाने के बाद किया गया है.

author-image
FE Hindi Desk
एडिट
New Update
bPCL plans to invest Rs 500 crore on EV fast charging corridors in the next 6 months

Government droppes plans to privatise BPCL for now: सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (BPCL) के निजीकरण की प्रक्रिया एक बार फिर से खटाई में पड़ गई है. सरकार ने कंपनी में अपनी पूरी करीब 53% हिस्सेदारी बेचने से जुड़ी सभी गतिविधियों को रोक दिया है. बीपीसीएल ने सरकार के इस फैसले की जानकारी स्टॉक एक्सजेंच फाइलिंग में दी है. इसके साथ ही भारत पेट्रोलियम ने विनिवेश के लिए खोले गए डेटा रूम समेत विनिवेश से जुड़ी सभी गतिविधियों को भी रोक दिया है.

मोदी सरकार ने भारत पेट्रोलियम के निजीकरण की प्रक्रिया को फिलहाल रोकने का फैसला कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए टेंडर भरने वाली 3 में से 2 कंपनियों के पीछे हटने के बाद लिया है. कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को जानकारी दी है कि सरकार ने 3 जून 2022 को एक पत्र के जरिए कंपनी में अपनी करीब 53 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए जारी टेंडर को रद्द कर दिया है.

Advertisment

Latest MSP for Kharif Crops: धान समेत 14 खरीफ फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी, किसानों को लागत पर 85% तक मुनाफा

इसलिए सरकार ने पीछे खींचे हाथ

मोदी सरकार ने भारत पेट्रोलियम के विनिवेश से हाथ इसलिए पीछे खींचे हैं क्योंकि तीन में दो बिडर्स बाहर हो गए थे. माइनिंग-टू-ऑयल कांग्लोमेरेट वेदांता और निजी सेक्टर की इक्विटी फर्म्स अपोलो ग्लोबल और आई स्क्वायर्ड कैपिटल की इकाई Think Gas को ड्यू डिलिजन्स प्रोसेस के तहत रिफाइनरी और डिपो के फिजिकल इंस्पेक्शन की मंजूरी मिल गई थी. ड्यू डिलिजन्स पूरा होने और शेयर पर्चेज एग्रीमेंट की शर्तों पर मोलभाव होने के बाद सरकार फाइनेंशियल बिड्स मंगाने वाली थी. हालांकि इस स्थिति तक नही पहुंचा जा सका. कोरोना की कई लहर और जियोपॉलिटिकल सिचुएशंस से तेल और गैस इंडस्ट्री गहरे प्रभावित हुई और दोनों निजी इक्विटी फर्म्स पीछे हट गईं. इस वजह से सरकार को भारत पेट्रोलियम के निजीकरण पर अपना विचार बदलना पड़ा.

Cancer Treatment: कैंसर का सटीक इलाज खोजने में पहली बार मिली बड़ी सफलता, कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं

डेटा रूम का क्या है मतलब?

भारत पेट्रोलियम ने पिछले साल अप्रैल 2021 में एक ऑनलाइन डेटा रूम खोल था जिसमें कॉन्फिडेंशियलिटी अंडरटेकिंग (सीयू) पर हस्ताक्षर करने वाले क्वालिफाइड बिडर्स के लिए कंपनी की अधिकतर वित्तीय जानकारियां थीं. इसके अलावा एक क्लीन डेटा रूम भी बिडर्स के लिए खोला गया जिसके जरिए एक अतिरिक्त कॉन्फिडेंशियलिटी एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर के बाद बिडर्स को कंपनी की कॉमर्शियली सेंसेटिव इंफॉर्मेशन थी.

Credit Card-UPI Linking: यूपीआई से लिंक होंगे क्रेडिट कार्ड, शुरुआत में इन कार्ड्स पर मिलेगी सुविधा

विनिवेश के बाद खरीदार को क्या मिलता?

सरकार भारत पेट्रोलियम में अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान सरकार ने विनिवेश के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये का जो लक्ष्य तय किया था, उसमें भी बीपीसीएल का विनिवेश शामिल था. लेकिन कोरोना महामारी के चलते उस साल ऐसा नहीं किया जा सका. इसके बाद सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारत पेट्रोलियम के निजीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया. लेकिन इस बार फिर सरकार को इस मामले में अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं. अगर यह विनिवेश होता तो खरीदार को भारत के तेल रिफाइनिंग कैपेसिटी में 15.33 फीसदी और तेल मार्केटिंग शेयर का 22 फीसदी हिस्सा मिलता. भारत पेट्रोलियम के पास देश भर में 20,088 पेट्रोल पंप और 6220 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर एजेंसियां हैं. इसके अलावा 270 में से 60 एविएशन फ्यूल स्टेशंस भी भारत पेट्रोलियम के हैं.

(Input: PTI)

Disinvestment Bharat Petroleum