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स्टील इकोनॉमी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 'पर कैपिटा खपत' से देश में रहने वाले लोगों के लिविंग स्टैंडर्ड और सोशियो-इकोनॉमिक स्टैंडर्ड का स्तर आंका जाता है.
अपना एक घर या कार होने का सपना महंगा होता जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह स्टील का महंगा होना है. पिछले एक महीने में कंस्ट्रक्शन बढ़ने व ऑटोमोबाइल सेक्टर से इसकी मांग बढ़ने के चलते इसके भाव 2 फीसदी से अधिक बढ़ गए हैं. इसकी मांग सिर्फ बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन और ऑटोमोबाइल सेक्टर से नहीं बढ़ी है, बल्कि यह हैवी मशीनरी, ट्रेन्स, एयरक्राफ्ट व हथियार जैसे अन्य प्रॉडक्ट्स के लिए भी बेसिक सामान है. कमोडिटी एक्सचेंज पर स्टील लांग का वायदा भाव 41,450 के करीब चल रहा है जबकि इसका हाजिर भाव 40,850 रुपये चल रहा है. स्टील लांग का हाजिर भाव मंडी गोबिंदगढ़ का है. बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, इस साल के अंत तक इसके भाव 45 हजार का लेवल दिखा सकते हैं क्योंकि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है और कोरोना महामारी के चलते इसका शॉर्टेज बना हुआ है. दूसरी लहर की आशंका के चलते इंडस्ट्रीज इसकी होर्डिंग भी कर रही हैं.
स्टील इंडस्ट्री वैश्विक विकास का मूल है. इसे इकोनॉमिक विकास के लिए महत्वपू्र्ण समझा जाता है और मानव सभ्यता का बैकबोन माना जाता है. स्टील इकोनॉमी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 'पर कैपिटा खपत' से देश में रहने वाले लोगों के लिविंग स्टैंडर्ड और सोशियो-इकोनॉमिक स्टैंडर्ड का स्तर आंका जाता है.
इन कारणों से बढ़े स्टील के भाव
- दुनिया भर में कोरोना महामारी के चलते पिछले साल 2020 ज्यादातर समय लॉकडाउन ही रहा. स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हो सकी है. स्टील उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. अभी भी स्टील उत्पादन के सभी प्लांट पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं जिसके कारण इसका शॉर्टेज बना हुआ है.
- कोरोना को लेकर दुनिया भर में अभी भी डर बना हुआ है. IIFL सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता के मुताबिक इसके चलते अधिकतर उद्योग स्टील की अधिक से अधिक खरीदारी करने पर जोर दे रही हैं. कंपनियों की इस एग्रेसिव खरीदारी से स्टील के भाव मजबूत हो रहे हैं.
- चीन स्टील की एग्रेसिव खरीदारी कर रहा है. इस साल 2021 में जनवरी व फरवरी में चीन ने 17.4 फीसदी अधिक स्टील आयात किया. चीन की एग्रेसिव खरीदारी जारी रहने वाली है क्योंकि 2030 कैलेंडर इयर तक अपने कॉर्बन पीक एक्शन प्लान को लागू करने के लिए वह उत्पादन में कटौती कर सकता है.
- तांगशान सरकार (चीन) ने सेकंड लेवल पॉल्यूशन एलर्ट जारी किया था और स्टीलमेकर्स व कोकिंग प्लांट्स समेत भारी औद्योगिक कंपनियों को उत्पादन में कटौती करने को कहा था.
- अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में स्टील के भाव 13 साल के हाई पर चले गए हैं क्योंकि मांग के मुताबिक सप्लाई नहीं हो पा रही है. वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक यूनाइटेड स्टेट्स और ईयू में स्टील प्रोडक्शन कम हुआ है. जनवरी 2021 के दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में सालाना आधार पर 9.9 फीसदी स्टील उत्पादन कम हुआ जबकि ईयू में 0.4 फीसदी.
- भारत में इस समय कंस्ट्रक्शन का काम जोरों से चल रहा है जिसके चलते स्टील की मांग बढ़ी है. इसकी मांग ऑटोमोबाइल्स, व्हाइट गुड्स व कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए बढ़ी है. मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं होने के चलते इसके भाव बढ़ रहे हैं.
मांग के मुताबिक उत्पादन नहीं
केडिया कमोडिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की बात करें तो घरेलू स्टील उत्पादन 10.3 करोड़ टन रहा जिसमें 9.4 करोड़ टन की खपत हो चुकी है. कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद धीरे-धीरे आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने लगी, इसके बाद पिछले साल दिसंबर 2020-जनवरी 2021 में 1 करोड़ करोड़ टन स्टील की खपत रही. जिस तरह से खपत है, उसके मुताबिक अगले वित्त वर्ष 2021-22 में 12 करोड़ टन स्टील की मांग रहेगी.
उत्पादन की बात करें तो वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2021 में भारत में स्टील का सालाना उत्पादन 7.6 फीसदी बढ़ा जबकि चीन में 6.8 फीसदी. हालांकि मांग के मुताबिक इसकी शॉर्टेज हो रही है. अमेरिका में मांग बढ़ी है लेकिन उत्पादन में 9.9 फीसदी की गिरावट आई. जनवरी 2021 में दुनिया भर में 16.29 लाख टन स्टील का उत्पादन हुआ था जो सालाना आधार पर महज 4.8 फीसदी अधिक था.