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Sensex, Nifty Crash: फिच द्वारा यूएस की रेटिंग घटाए जाने का असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला है. (pixabay)
Stock Market Fall Today: एशियाई बाजारों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है. इसमें घरेलू शेयर बाजार भी शामिल हैं. आज के कारोबार में सेंसेक्स करीब 1000 अंक तक टूट गयार. जबकि निफ्टी भी 19450 के लेवल के नीचे चला गया. बाद में निचले स्तरों से हल्की रिकवरी आई, लेकिन बाजार भारी गिरावट पर बंद हुए. इस गिरावट के बीच आज बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप करीब 3.5 करोड़ घट गया. ग्लोबल बाजारों में गिरावट के पीछे अमेरिकी बाजारों की रेटिंग डाउनग्रेड किया जाना है. असल में फिच रेटिंग्स ने अमेरिका सरकार की क्रेडिट रेटिंग (साख) को घटा दिया है. फिच ने अमेरिका की रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है. 2011 के बाद यह पहला मौका है जबकि अमेरिका की रेटिंग घटाई गई है. इसी के चलते दुनियाभर के बाजारों पर दबाव दिख रहा है. एक्सपर्ट का मानना है कि इसका असर शॉर्ट टर्म के लिए होगा, लेकिन इस दौरान बाजार में करेक्शन बढ़ सकता है.
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क्यों घटाई अमेरिका की रेटिंग
बता दें कि फिच ने अमेरिका की रेटिंग को AAA से घटाकर AA+ कर दिया है. 2011 के बाद यह पहला मौका है जबकि अमेरिका की रेटिंग घटाई गई है. रेटिंग एजेंसी ने संघीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर बढ़ते कर्ज और पिछले 2 दशक में कामकाज के संचालन के मानकों में लगातार गिरावट का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है. हालांकि, यह अब भी निवेश श्रेणी की रेटिंग है. फिच ने कहा कि यह इस स्तर पर सबसे ऊंची संभावित रेटिंग है. फिच का यह कदम दर्शाता है कि बढ़ते राजनीतिक ध्रुवीकरण और खर्च व टैक्स पर अमेरिका में बार-बार होने वाले गतिरोध के कारण अमेरिकी टैक्सपेयर्स को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है. क्रेडिट रेटिंग में कमी अमेरिका सरकार के लिए कर्ज की लागत बढ़ा सकती है. अमेरिका के इतिहास में यह दूसरा मौका है जबकि जबकि उसकी साख घटाई गई है. इससे पहले 2011 में रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने सरकार की डेट सीलिंग पर चले लंबे गतिरोध के बाद उसकी AAA रेटिंग को घटा दिया था.
बाजार पर क्या होगा असर
AUM कैपिटल के नेशनल हेड-वेल्थ, मुकेश कोचर का कहना है कि फिच ने डेट सीलिंग समझौते पर पहुंचने से पहले मई में संभावित गिरावट का संकेत दिया है। हालांकि, इसकी टाइमिंग ने बाजार को चौंकाया है. अमेरिका में होने वाली कोई भी घटना हमेशा ग्लोबल मार्केट पर असर डालती है। हालांकि, हमारा मानना है कि यह प्रभाव शॉर्ट टर्म के लिए होना चाहिए क्योंकि एक रेटिंग एजेंसी S&P ने पहले ही अमेरिका की रेटिंग घटाकर AA+ कर दी है. इस बार असर कुछ दिनों तक रहना चाहिए और बाजार अन्य फंडामेंटल फैक्टर्स पर फोकस कर सकता है. भारतीय बाजार पर प्रभाव भी शॉर्ट टर्म के लिए होना चाहिए और अन्य फैक्टर जैसे अर्निंग, कच्चे तेल की कीमतें और आरबीआई पॉलिसी और फंड फ्लो बाजार के लिए अहम होंगे. दुनियाभ्ज्ञर के बाजारों पर दबाव है, जिसके चलते भारतीय बाजारों में भी और करेक्शन देखने को मिल सकता है.
कितनी बढ़ सकती है गिरावट
Swastika Investmart के रिसर्च हेड संतोषष मीना का कहना है कि फिच द्वारा हाल ही में अमेरिकी रेटिंग में गिरावट का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है, लेकिन यह एक बड़ी चिंता का विषय होने की संभावना नहीं है. क्योंकि रेटिंग में बदलाव अक्सर कुछ निश्चित असर के साथ आते हैं. फिर भी, यह कुछ निवेशकों के लिए प्रॉफिट बुक करने के अवसर की तरह हो सकता है. उनका कहना है कि मार्च में निचले स्तर से मजबूत रैली के बाद, हायर मार्केट लेवल पर थकावट के संकेत स्पष्ट हैं. विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पिछले कुछ दिनों में नेट सेलर्स बन गए हैं, जो बाजार में सतर्क रुख का संकेत देता है. अगर निफ्टी अपने 20-दिनों के मूविंग एवरेज से नीचे 19,600 के आसपास आता है तो इसमें 19,300 और 18,888 के स्तर तक गिरावट देखने को मिल सकती है.