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Stock Market Crash: इजराइल हमास जंग से बाजार में बिगड़े हालात, चंद घंटों में निवेशकों के डूबे 3 लाख करोड़, अब आगे क्या

Stock Market View: बाजार की नजरें कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पर रहेंगी. कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पॉजिटिव रहने से बाजार को नई दिशा मिल सकती है. वहीं स्टेट इलेक्शन भी बाजार के लिए एक बड़ा सेटीमेंट होगा.

Stock Market View: बाजार की नजरें कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पर रहेंगी. कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पॉजिटिव रहने से बाजार को नई दिशा मिल सकती है. वहीं स्टेट इलेक्शन भी बाजार के लिए एक बड़ा सेटीमेंट होगा.

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Sushil Tripathi
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Share Market Fall

Stock Market Crash: मिडिल ईस्ट में जियो पॉलिटिकल रिस्क बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और बाजार में हाई वोलेटिलिटी का अनुमान है. (pixabay)

Sensex, Nifty Fall Today: इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध ने ग्‍लोबल बाजारों सहित घरेलू बाजार का भी मूड खराब कर दिया है. आज घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली दिख रही है. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों इंडेक्‍स में बड़ी गिरावट है. सेंसेक्‍स में करीब 450 अंकों की कमजोरी है तो निफ्टी भी 19500 के नीचे आ गया है. सेंसेक्स के लिए आज का लो 65435 रहा तो निफ्टी के लिए 19481 आज का लो लेवल रहा. आज के कारोबार में तकरीबन हर सेक्‍टर में बिकवाली देखने को मिल रही है. निफ्टी पर बैंक, फाइनेंशियल, मेटल, एफएमसीजी, ऑटो, फार्मा और रियल्‍टी इंडेक्‍स लाल निशान में हैं. लार्जकैप, मिड​कैप और स्मॉलकैप सभी सेग्मेंट पर दबाव है. सवाल यह है कि क्या जियो पॉलिटिकल टेंशन से बाजार के हालात और बिगड़ेंगे.

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3 लाख करोड़ घट गया मार्केट कैप

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आज बाजार की बिकवाली में बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3 लाख करोड़ से ज्यादा घट गया है. शुक्रवार को जब बाजार बंद हुआ था तो बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 3,19,86,272.55 करोड़ था. जबकि आज दोपहर 12:30 बजे तक यह 3,16,69,488.44 करोड़ दिख रहा था. यानी निवेशकों की दौलत में 3 लाख करोड़ की कमी आई है.

बैंक शेयरों में बिकवाली

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मेटल शेयरों में बिकवाली

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क्रूड महंगा, बाजार में वोलेटिलिटी

Master Capital Services की डायरेक्टर पलका अरोड़ा चोपड़ा का कहना है कि फिलिस्तीनी इस्लामी ग्रुप ने दशकों में इजराइल पर सबसे बड़ा सैन्य हमला किया है. मिडिल ईस्ट में जियो पॉलिटिकल रिस्क बढ़ने से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और बाजार में हाई वोलेटिलिटी का अनुमान लगाया जा सकता है. इसका आयल मार्केट पर स्थायी और सार्थक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि सप्लाई में लगातार कमी हो सकती है. कच्चे तेल में उछाल से घरेलू महंगाई पर असर पड़ सकता है और लंबी अवधि के लिए ब्याज दरें ऊंचे स्तर पर रह सकती हैं. हाई बॉन्ड यील्ड के कारण एफआईआई लगातार बिकवाली कर रहे हैं और कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और अधिक समस्याएं पैदा कर सकती हैं. युद्ध की प्रकृति पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इसके लंबे समय तक चलने पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. शेयर बाजार में पेंट और केमिकल्स जैसे सेक्टर पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि इससे शार्ट से मिड टर्म में उनके मार्जिन पर असर पड़ेगा.

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अर्निंग सीजन और मैनेजमेंट कमेंंट्री पर नजरें

Tejimandi के वीपी रिसर्च, राज व्यास का कहना है कि जहां तक ​​भारतीय शेयर बाजार का सवाल है तो ऐसा नहीं लगता कि घबराहट की कोई वजह है, लेकिन बाजार का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि वैश्विक बाजार कैसा प्रदर्शन करते हैं. फिलहाल बहुत ज्यादा कंसर्न नहीं है, क्योंकि इजराइल-हमास के बीच यह अभी एक इवोल्विंग सिचुएशन है और इस पर कुछ दिनों तक नजर बनाए रखने की जरूरत है. हालांकि पिछले हफ्ते करीब 10 फीसदी की गिरावट के बाद क्रूड की कीमतों पर इसका तुरंत असर दिख रहा है. सप्लाई कंसर्न के चलते इसमें 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अगर अजराइल और हमास के बीच जंग लंबा चला तो क्रूड मार्केट के लिए चिंता वाली बात होगी. अर्निंग सीजन 11 अक्टूबर 2023 से शुरू होगा, ऐसे में बाजार की नजरें कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पर रहेंगी. कंपनियों की अर्निंग और मैनेजमेंट की कमेंंट्री पॉजिटिव रहने से बाजार को नई दिशा मिल सकती है. वहीं स्टेट इलेक्शन भी बाजार के लिए एक बड़ा सेटीमेंट होगा.

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