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कई चुनौतियों के बाद भी FY22 घरेलू शेयर बाजार के लिए बेहतर साबित हुआ है. (image: pixabay)
FY23 Stock Market Outlook: कई चुनौतियों के बाद भी FY22 घरेलू शेयर बाजार के लिए बेहतर साबित हुआ है. निफ्टी और सेंसेक्स वित्त वर्ष 2022 में करीब 20 फीसदी की अच्छी बढ़त के साथ बंद हुए हैं. वित्त वर्ष की पहली छमाही बाजार के लिए शानदार रही. जबकि दूसरे फेज में जियोपॉलिटिकल रिस्क, रेट हाइक साइकिल, एफआईआई द्वारा सेलिंग और कुछ अन्य ग्लोबल फैक्टर के चलते अनिश्चितता रही है. बीते वित्त वर्ष में आईटी, मेटल, पावर और बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया तो कमोडिटी की हाई कीमतों के चलते आटो और एफएमसीजी सेक्टर पर दबाव देखने को मिला है. वित्त वर्श 2023 की शुरूआत भी बाजार में उतार चढ़ाव के साथ हुई है. हालांकि एक्सपर्ट इस साल गबाजार में तेजी देख रहे हैं और इसके पीछे कई बड़े फैक्टर भी हैं.
Nifty FY23 में पार करेगा 20000 का लेवल!
Swastika Investmart Ltd के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील न्याती का कहना है कि बाजार में मौजूद कई चिंताओं का घरेलू इक्विटी मार्केट ने अच्छे से सामना किया है. वहीं नए फाइनेंशियल में यह बेहतर प्रदर्शन करने का तैयार है. हालांकि हाई इनफ्लेशन, बए़ रही ब्याज दरें नियर टर्म में अनिश्चितता की वजह हो सकती है. वहीं अगर कोविड 19 में भी कोई नया डेवलपमेंट हो जाए तो यह निगेटिव फैक्टर है. वहीं कच्चे माल की ऊंची कीमतों के चलते इंडिया इंक के लिए अगली कुछ तिमाही चुनौतीपूर्ण होंगी. फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से अर्थव्यवस्था का सामना करने वाले सेक्टर के लिए लॉन्ग टर्म आउटलुक बहुत ज्यादा बुलिश है. निफ्टी वित्त वर्ष 2023 में 20,000 का लेवल क्रॉस कर सकता है. बहुत ज्यादा बुलिश केस में यह 21,000 के लेवल तक भी पहुंच सकता है.
Nifty कंपनियों का मुनाफा 20% बढ़ने की उम्मीद
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड (इंस्टीट्यूशनल रिसर्च) संजय चावला ने एक नोट में कहा कि क्रूड और कमोडिटी के दाम बढ़ने, सख्त मॉनेटरी पॉलिसी के चलते बाजार में चुनौतियां हैं. ये चुनौतियां इस साल रहेंगी. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक सख्त रुख अपना रहे हैं. वहीं, शॉर्ट टर्म में घरेलू स्तर पर LIC का IPO बाजार में लिक्विडिटी पर असर डाल सकता है. उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2023 तक निफ्टी के लिए फेयर वैल्यू 19,000 का लेवल दिख रहा है. इस दौरान निफ्टी 50 की कंपनियों का मुनाफा करीब 20 फीसदी बढ़ सकता है.
Crude की कीमतें बाजार के लिए बड़ी चिंता
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के CEO (इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज) नीरव सेठी का कहना है कि जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव एक बड़ी चिंता है. इससे टर्म्स ऑफ ट्रेड (ToT) और उसका जीडीपी पर असर दिख सकता है. अगर तेल की कीमतें औसतन 100 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर बनी रहती हैं, तो वित्त वर्ष 2023 में CAD-to-GDP रेश्यो 3 फीसदी हो सकता है. उनका कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में RBI अकोमेडिटव रुख बनाए रख सकता है. लेकिन कमोडिटी की कीमतें लंबे समय तक हाई रहीं तो सेंट्रल बैंक महंगाई को लेकर एक्शन ले सकता है.
निवेश के लिए किस थीम और सेक्टर पर रखें नजर
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल के अनुसार सरकार का फोकस डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के अलावा प्राइवेट कैपेक्स को सपोर्ट करने पर है. वहीं अब इकोनॉमिक रिकवरी के चलते क्रेडिट ग्रोथ बढ़ रही है. ऐसे में कैपेक्स रीवाइवल थीम से जुड़े सेक्टर और क्वालिटी शेयर, कंजम्पशन थीम वाले सेक्टर से जुड़े क्वालिटी शेयर और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड सेक्कर पर नजर रखनी चाहिए. ब्रोकरेज हाउस बैंकिंग सेक्टर पर ओवरवेट है. वहीं कंज्यूमर सेक्टर पर अंडरवेट रेटिंग दी है. जबकि फार्मा और IT सेकटर पर भी ओवरवेट नजर आ रहा है.
क्या IPO की लंबी कतार से मजबूत होंगे सेंटीमेंट?
सुनील न्याती का कहना है कि FY21 की पहली छमाही में बाजार एक मजबूत बुल रन में था, जिससे प्राइमरी मार्केट में जोश नजर आया. कई घाटे में चल रही कंपनियां इस दौरान अनरीयलिस्टिक वैल्युएशन के साथ बाजार में आईपीओ लेकर आईं. अब उनके शेयर इश्यू प्राइस की तुलना में बहुत नीचे ट्रेड कर रहे हैं. इसलिए, FY22 की दूसरी छमाही में IPO बाजार में निगेटिव सेंटीमेंट देखने को मिला.