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Investment Tips: रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्य देखकर निवेश के विकल्प चुनने में समझदारी होती है. (Reuters)
Stock Market vs Mutual Funds: कैपिटल मार्केट ऐसी जगह है, जहां अच्छे निवेश की पहचान हो तो आप अपनी दौलत में तेजी से इजाफा कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट दोनों ही इस तरह के विकल्प हैं, जहां हाई रिटर्न की गुंजाइश होती है. लेकिन दोनों ही विकल्पों में रिस्क होता है. इसलिए बिना सोचे समझे निवेश किया तो बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. फिर स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड आखिर मौजूदा समय में कहां पैसे लगाएं. कुछ ऐसी ही उलझन आपके मन में भी हो सकती है. फाइनेंशियल एडवाइजर कहते हैं कि पैसे लगाते समय खुद के रिस्क लेने की क्षमता की पहचान जरूर करनी चाहिए. उम्र कम है और एग्रेसिव इन्वेस्टर्स हैं यानी अधिक जोखिम ले सकते हैं तब स्टॉक मार्केट अच्छा विकल्प है. लेकिन कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न के लिए म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP).
आप कितना रिस्क लेने को हैं तैयार
इक्विटी मार्केट से मिलने वाला रिटर्न देश में पॉपुलर ट्रेडिशनल इन्वेस्टमेंट स्कीम यानी स्माल सेविंग्स की तुलना में बेहतर है. लेकिन स्माल सेविंग्स जहां पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं, वहीं इक्विटी में रिस्क ज्यादा रहता है. इसलिए एक्सपर्ट की सलाह रहती है कि रिस्क लेने की क्षमता और लक्ष्य देखकर विकल्प चुनने में समझदारी होती है. रिस्क लेने को तैयार हैं और स्टॉक मार्केट की समझ है तब तो सीधे इक्विटी में पैसे लगा सकते हैं. लेकिन रिस्क लेने की क्षमता कम है तो म्यूचुअल फंड में खासतौर से सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बेहतर विकल्प है.
पहली बार निवेश करने का है प्लान
आप निवेश के मामले में नए हैं और बाजार के बारे में बहुत अच्छी समझ नहीं है तो सीधे इक्विटी में पैसा लगाने की बजाए म्यूचुअल फंड का चुनाव किया जा सकता है. क्योंकि नए होने के चलते आपको बाजार के रिस्क और रिटर्न के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है. म्यूचुअल फंड में भी SIP ज्यादा सुरक्षित है, जहां एक बार में पैसे लगाने की बजाए मंथली बेसिस पर निवेश करने की सुविधा है. इससे आपका पूरा पैसा एक साथ ब्लॉक नहीं होगा. वहीं लंबी अवधि के दौरान इसमें कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है. मंथली बेसिस पर निवेश से आप समय समय पर रिटर्न का आकलन भी कर सकते हैं. जिसके आधार पर निवेश घटा या बढ़ा सकते हैं.
म्यूचुअल फंड के कुछ सेगमेंट में निवेशकों का पैसा अलग अलग एसेट क्लास मसलन इक्विटी, डेट, गोल्ड में लगाया जाता है, जिससे पोर्टफोलियो खुद ही डाइवर्सिफाइड हो जाता है.
क्या आपके पास बाजार के लिए है पर्याप्त समय
क्या आपके पास अपने निवेश पोर्टफोलियो की देखभाल के लिए पर्याप्त समय और जानकारी है. अगर आपके पास समय है तो आप स्टॉक मार्केट में पैसे लगा सकते हैं. लेकिन अगर इसका जवाब नहीं है तो म्यूचुअल फंड का विकल्प चुनें. क्योंकि म्यूचुअल फंड में आपका निवेश कुशल फंड मैनेजर की देखरेख में होता है.
किसे सीधे इक्विटी में करना चाहिए निवेश?
आपको स्टॉक मार्केट के बारे में अच्छी जानकारी है और किसी कंपनी या शेयर के फंडामेंटल की स्टडी कर सकते हैं तो सीधे स्टॉक में पैसे लगा सकते हैं. बाजार के उतार चढ़ाव में बेहतर निर्णय लेने की क्षमता रखते है तो सीधे स्टॉक में पैसे लगा सकते हैं. अच्छे फंडामेंटल और मजबूत ग्रोथ वाली कंपनी के शेयर में निवेश कर आप बेहद कम समय में हाई रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड पर टैक्स
म्यूचुअल फंड में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स के दायरे में आता है. निवेशकों को 15 फीसदी की दर से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और 10 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) देना पड़ता है. हालांकि 1 लाख रुपये से ज्यादा आय पर ही LTCG देना होता है. म्यूचुअल फंड डिविडेंड के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) भी लगता है.
स्टॉक मार्केट से होने वाली इनकम पर टैक्स
अगर आप लिस्टेड शेयरों में निवेश से इनकम करते हैं तो 15 फीसदी STCG है. वहीं, 10 फीसदी LTCG है. शेयर से हुई डिविडेंड आय पर टैक्स निवेशक के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगता है. इंट्राडे सौदे पर सिक्युरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स 0.025 फीसदी है.