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Stock Tips: Zoamato की ग्रोथ का बढ़ा-चढ़ाकर हो रहा आकलन? HSBC ने 15% नीचे रखा टारगेट प्राइस

कई घरेलू व विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि जोमैटो के शेयर में अभी और मजबूती आ सकती है लेकिन HSBC ने 'Reduce' रेटिंग के साथ इस ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी की कवरेज शुरू की है.

कई घरेलू व विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि जोमैटो के शेयर में अभी और मजबूती आ सकती है लेकिन HSBC ने 'Reduce' रेटिंग के साथ इस ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी की कवरेज शुरू की है.

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Stock Tips Zomato near-term growth overestimated HSBC initiates with reduce sees 15 percent downside in stock price

एचएसबीसी के एनालिस्ट्स के मुताबिक कैलोरी को लेकर सतर्क रहने वाले लोगों या जोमैटो के वैल्यूएशन को लेकर सतर्क रहने वाले निवेशकों के लिए जोमैटो नहीं है.

Zomato Outlook: स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टिंग के कुछ ही हफ्तों में इसके भाव आईपीओ प्राइस के मुकाबले 71 फीसदी प्रीमियम पर हैं. कई घरेलू व विदेशी ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि जोमैटो के स्टॉक भाव में अभी और मजबूती आ सकती है लेकिन एचएसबीसी (HSBC) ने 'Reduce' रेटिंग के साथ इस ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी की कवरेज शुरू की है. एचएसबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में फूड डिलीवरी इंडस्ट्री घर के बने खाने से रेस्तरां के खाने तक एक महत्वपूर्ण बदलाव की कगार पर है और अब यह खुद एक प्रॉडक्ट बन रही है. रिपोर्ट के मुताबिक लांग टर्म में ग्रोथ की संभावना बेहतर है लेकिन शॉर्ट टर्म में मार्केट इस ग्रोथ को ओवर-एस्टीमेट कर सकता है. इस समय इसके शेयर के भाव 130 रुपये पर हैं. HSBC के मुताबिक जोमैटो के शेयर 15 फीसदी तक लुढ़क सकते हैं और इसलिए टारगेट प्राइस 112 रुपये रखा है.

जोमैटो के लाइव प्राइस यहां देखें

Zomato के सामने ये हैं बड़ी चुनौतियां

एचएसबीसी के एनालिस्ट्स के मुताबिक कैलोरी को लेकर सतर्क रहने वाले लोगों या जोमैटो के वैल्यूएशन को लेकर सतर्क रहने वाले निवेशकों के लिए जोमैटो नहीं है. ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक अधिकतर भारतीयों के मन में बाहर के खाने को लेकर अच्छी धारणा नहीं है. इसके अलावा एचएसबीसी के मुताबिक जोमैटो ई-ग्रॉसरी की तरफ शिफ्ट होना आसान नहीं है क्योंकि इसमें अधिक कैश की जरूरत पड़ेगी. इसके अलावा एचएसबीसी के एनालिस्ट्स के मुताबिक जोमैटो के सामने तीसरी सबसे बड़ी चुनौती वैल्यूएशन को लेकर है जिसके चलते कंपनी की ग्रोथ एग्रेसिव दिख रही है.

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एचएसबीसी एनालिस्ट्स के मुताबिक जोमैटो ने यूनिट इकोनॉमिक्स में सुधार किया है लेकिन इसके बने रहने की संभावना कम दिख रही है. निअर से लेकर मीडियम टर्म (पोस्ट-कोविड19) में ऑफिसेज से ऑर्डर बढ़ने के चलते जोमैटो की सेल्स बढ़ सकती है लेकिन इससे औसतन ऑर्डर वैल्यू में कमी आएगी. एचएसबीसी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 20211-22 में औसतन ऑर्डर वैल्यू में 5 फीसदी की गिरावट आ सकती है और इसके बाद इसमें 6 फीसीदी की अतिरिक्त गिरावट आ सकती है.

जोमैटो के लिए प्रतियोगिता कोई समस्या नहीं

कंपटीशन की बात करें तो एनालिस्ट्स इसे जोमैटो के लिए कोई चुनौती नहीं समझ रहे हैं. इसके लिए एचएसबीसी के एनालिस्ट्स ने देश के छह से अधिक शहरों में 150 से अधिक रेस्टोरेंट्स में जोमैटो और स्विगी के डिस्काउंट्स की तुलना की. एनालिस्ट्स के मुताबिक स्विगी अधिक डिस्काउंट देती है लेकिन जोमैटो से ग्राहक स्विगी की तरह शिफ्ट नहीं हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ जोमैटो को अमेजन से भी कड़ी टक्कर मिल रही है जो स्विगी के बराबर ही अधिक डिस्काउंट देती है लेकिन अभी इसकी मौजूदगी सिर्फ बेंगलूरू में है.

(आर्टिकल: क्षितिज भार्गव)

(स्टोरी में दिया गया स्टॉक रिकमंडेशन संबंधित रिसर्च एनालिस्ट व ब्रोकरेज फर्म का है. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. पूंजी बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)

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