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छोटी और मध्यम श्रेणी की 60 से अधिक कंपनियां एक साल में लिस्टेड हो सकती हैं और अपनी कारोबारी जरूरतों के लिए इक्विटी फंड जुटा सकती हैं.
छोटी और मध्यम श्रेणी की 60 से अधिक कंपनियां एक साल में लिस्टेड हो सकती हैं और अपनी कारोबारी जरूरतों के लिए इक्विटी फंड जुटा सकती हैं. ये कंपनियां बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड होंगी. बीएसई एसएमई एंड स्टार्टअप के प्रमुख अजय ठाकुर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल सिर्फ 16 एसएमईज ने ही आईपीओ लाया था और 100 करोड़ रुपये जुटाए थे. ठाकुर के मुताबिक बीएसई एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग के लिए 400 प्रॉस्पेक्टस फाइल हो चुके हैं जिसमें से 337 लिस्टेड हो चुके हैं और 63 को एक साल के भीतर लिस्टेड किया जाएगा. ये कंपनियां आईटी, ऑटो कंपोनेंट्स, फार्मा, इंफ्रा और हॉस्पिटैलिटी से संबंधित हैं.
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SMEs के बीच जागरूकता के लिए 150 वेबिनार्स का आयोजन
ठाकुर के मुताबिक एसएमईज के बीच इक्विटी कल्चर को प्रोत्साहित करने के लिए एक्सचेंज राज्य सरकारों और अन्य प्रोफेशनल एसोसिएशंस के साथ मिलकर वेबिनार आयोजित करता है. ठाकुर ने जानकारी दी कि महामारी के बीच एक्सचेंज ने एसएमईज के बीच इक्विटी फंडिंग और लिस्टिंग के फायदों को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए करीब 150 वेबिनार्स आयोजित किए हैं.
लिस्टिंग को लेकर जागरुकता के अभाव में यह धारणा बनी हुई है कि इससे कंप्लायंस लेवल बढ़ेगा और लागत भी बढ़ जाएगी. उन्होंने समझाया कि लिस्टिंग से एसएमई को अपनी ब्रांड बिल्डिंग में मदद मिलेगी, क्रेडिट रेटिंग में सुधार होगा और उन्हें आसानी से फाइनेंस मिलेगा और ग्रोथ के अवसर प्राप्त होंगे.
मार्च 2012 में लांच हुआ था SME प्लेटफॉर्म
बीएसई ने करीब नौ साल पहले मार्च 2012 में एसएमई प्लेटफॉर्म लांच किया ताकि इन कंपनियों को ग्रोथ और विस्तार के लिए पूंजी जुटाने का मौका मिल सके. एसएमई सेग्मेंट में अब तक 337 कंपनियां लिस्टेड हो चुकी हैं और इन्होंने 3500 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इन कंपनियां का मार्केट कैप 26,300 करोड़ रुपये से अधिक का है. इन 337 कंपनियों में 99 अब मेन बोर्ड प्लेटफॉर्म पर माइग्रेट हो चुकी हैं. इसके अलावा 10-12 कंपनियां बीएसई के स्टार्टअप प्लेटफॉर्म्स पर लिस्टेड हैं जिसे दिसंबर 2018 में लांच किया गया था ताकि स्टार्टअप बाजार से पूंजी जुटा सकें.