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सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार 23 जुलाई को टेलीकॉम कंपनियों की एजीआर बकाया की दोबारा गणना की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी है. भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने याचिका में बकाया एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की गणना में गलती का आरोप लगाया था. जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने यह याचिका खारिज किया है. वोडोफान आइडिया के शेयर इस फैसले के बाद से 8 फीसदी से अधिक टूट गए और एनएसई पर अभी यह 8.11 फीसदी की गिरावट के साथ 8.50 रुपये के भाव पर ट्रेड हो रहा है.
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बकाए राशि की गणना में गलती की शिकायत पर याचिका
टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में शिकायत की थी कि एजीआर बकाए की गणना में गलती हुई है और इसे सुधारा जा सकता है. कंपनियों द्वारा दाखिल याचिका के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने एजीआर बकाए का जो कैलकुलेशन किया है, उसमें कई बिलों को दो बार जोड़ा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिनों पहले 19 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दस साल में चुकाना है बकाए की रकम
पिछले साल सितंबर 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाए की रकम को चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत देते हुए 10 साल का समय दिया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को 10 फीसदी एडवांस में चुकाना होगा और फिर हर साल समय पर किश्तें चुकानी होंगी. दूरसंचार विभाग के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों पर 1,19,292 करोड़ रुपये का बकाया था जिसमें से 25,896 करोड़ रुपये चुका दिए गए हैं और अब इन्हें 93,520 करोड़ रुपये चुकाने हैं. सितंबर 2020 में सुनाए गए फैसले के मुताबिक हर साल 7 फरवरी को कंपनियों को बकाए की रकम चुकानी है और इससे चूकने पर पेनाल्टी और ब्याज देना होगा. इस समय भारती एयरटेल पर 25,976 करोड़ रुपये, वोडाफोन आइडिया पर 51,400 करोड़ रुपये और टाटा टेली सर्विसेज पर 12,601 रुपये बकाया है.