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Tata-Mistry Case: देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से टाटा संस को बड़ी राहत मिली है.
Tata-Mistry Case: देश के सबसे बड़े कॉरपोरेट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट से टाटा संस को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को कंपनी का दोबारा चेयरमैन नियुक्त करने का नेशनल कंपनी लॉ अपीलीय ट्राइब्यूनल NCLAT का फैसला पलट दिया. टाटा संस ने इस फैसले खिलाफ याचिका दायर की थी. NCLAT ने 17 दिसंबर 2019 को यह फैसला सुनाया था कि टाटा संस के चेयरमैन पद पर मिस्त्री की दोबारा बहाली होगी. सुप्रीम कोर्ट ने आज यह फैसला पलट दिया है.
एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था. चीफ जस्टिस एसए बोब्दे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 17 दिसंबर 2020 को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. बेंच ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने के कदम को सही माना है. लेकिन साथ ही कहा कि शेयर से जुड़े मामले को टाटा और मिस्त्री दोनों ग्रुप मिलकर सुलझाएं.
टाटा ग्रुप की दलील
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था. शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह ने 17 दिसंबर को न्यायालय से कहा था कि अक्टूबर, 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था. यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था. वहीं टाटा समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था.
क्या था NCLAT का पुराना फैसला
NCLAT ने अपने ऑर्डर में 24 अक्टूबर 2016 के फैसले को अवैध बताया जिसमें मिस्त्री को डायरेक्टर और चेयरमैन पद से हटाया गया था. ट्राइब्यूनल का कहना है कि यह फैसला गलत ढंग से लिया गया है, लिहाजा अब मिस्त्री को बहाल कर दिया गया है. ट्राइब्यूनल ने यह भी कहा कि टाटा संस के नए चेयरमैन के तौर पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति लीगल नहीं है. इस फैसले को लागू करने में 4 हफ्ते का वक्त दिया गया है ताकि टाटा ग्रुप अपील कर सके.
फैसले के दूसरे हिस्से में कोर्ट ने कहा है कि तीन कंपनियों में मिस्त्री को तत्काल प्रभाव से लागू करने को कहा है. यह फैसला सिर्फ उन्हीं तीन कंपनियों पर लागू होगा जिससे मिस्त्री को हटाया गया था. सेबी के नियम के मुताबिक, किसी भी कंपनी में किसी भी बदलाव की जानकारी शेयर बाजार को देनी होगी क्योंकि उन फैसलों का असर शेयरों पर होता है. हालांकि टाटा ग्रुप ने अभी तक शेयर बाजार को मिस्त्री की बहाली की जानकारी आधिकारिक तौर पर नहीं दी है.
क्या है पूरा मामला
शापूरजी पालोनजी समूह की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है. पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन चार साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया था. इस फैसले के खिलाफ साइरस मिस्त्री ने कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर किया. ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि टाटा संस को यह अधिकार है कि वह चेयरमैन को किसी भी वक्त हटा सके. इस फैसले के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में चुनौती दी गई. एनसीएलएटी ने दिसंबर 2019 में साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने को अवैध करार दिया. इसके अलावा टाटा संस में कई तरह की अनियमितता होने की भी बात कही.