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सुप्रीम कोर्ट ने आज टेलिकॉम कंपनियों को AGR बकाए की रकम को लेकर बड़ा झटका दिया है.
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Supreme Court On AGR Issue: सुप्रीम कोर्ट ने आज टेलिकॉम कंपनियों को बड़ा झटका देते हुए समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाए की बड़ी रकम आज यानी शुक्रवार को ही जमा करने को कहा है. कोर्ट ने AGR बकाये का भुगतान करने के आदेश का अनुपालन न करने पर शुक्रवार को दूरसंचार कंपनियों को फटकार लगाई. कोर्ट ने दूरसंचार एवं अन्य कंपनियों के निदेशकों, प्रबंध निदेशकों से यह बताने को कहा कि एजीआर बकाये के भुगतान के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों नहीं की जाये. इस मामले में नोटिस भी भेजा है. उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी दूरसंचार कंपनियों को आदेश जारी कर शुक्रवार आधी रात से पहले वैधानिक बकाये का भुगतान करने को कहा है.
उसके बाद विभाग ने दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को सर्किल के आधार पर बकाये के संबंध में नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश (पश्चिम) दूरसंचार र्सिकल ने शुक्रवार को सभी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को नोटिस जारी कर शुक्रवार को 11.59 तक बकाये का भुगतान करने को कहा है. हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि बकाया राशि में से कितने का भुगतान आधी रात तक करने को कहा गया है.
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट में दूरसंचार कंपनियों पर सरकार के एजीआर के भुगतान की नई समयसीमा तय करने संबंधी याचिका पर सुनवाई थी. इन कंपनियों को दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये के पुराने सांविधिक बकाये का भुगतान करना है. टेलिकॉम कंपनियों को उम्मीद थी कि कोर्ट की ओर से कुछ राहत मिल सकती है. यह याचिका भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलिसविर्सिज ने दायर की है. याचिका में दूरसंचार सेवा देने वाली इन कंपनियों ने एजीआर संबंधी बकाये का भुगतान करने के लिये न्यायालय से अधिक समय दिये जाने की गुहार लगाई थी. हालांकि कोर्ट ने सभी आवेदन खारिज कर दिए.
वोडाफोन आइडिया पर सबसे बड़ी देनदारी
कुल बकाए में से वोडाफोन आइडिया लि. (वीआईएल) पर 53,038 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया है. इसमें 24,729 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम बकाया और 28,309 करोड़ रुपये लाइसेंस शुल्क शामिल हैं. कंपनी ने पिछले दिनों कहा था कि उसे अगर राहत नहीं मिली तो अपना कारोबार बंद कर देगी. वोडाफोन आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुके हैं कि अगर सरकार या न्यायालय ने राहत नहीं दी तो कंपनी बंद हो जाएगी.इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी वोडाफोन आइडिया की है.
कौन ये बेतुकी हरकतें कर रहा
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम.आर.शाह की पीठ ने आदेश का अनुपालन नहीं होने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के उस आदेश पर अफसोस जताया, जिससे एजीआर मामले में दिये गये फैसले के अनुपालन पर रोक लगी. पीठ ने कहा कि हमें नहीं मालूम कि कौन ये बेतुकी हरकतें कर रहा है, क्या देश में कोई कानून नहीं बचा है. बेहतर है कि इस देश में न रहा जाए और देश छोड़ दिया जाए. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एक डेस्क अधिकारी अटॉर्नी जनरल और अन्य संवैधानिक प्राधिकरणों को पत्र लिखकर बता रहा है कि उन्हें दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाये के भुगतान पर जोर नहीं देना चाहिय
तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए
कोर्ट ने कहा कि अगर एक डेस्क अधिकारी न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की धृष्टता करता है तो फिर उच्चतम न्यायालय को बंद कर दीजिये. न्यायालय ने कहा कि हमने एजीआर मामले में समीक्षा याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसके बाद भी एक भी पैसा जमा नहीं किया गया. देश में जिस तरह से चीजें हो रही हैं, इससे हमारी अंतरआत्मा हिल गयी है. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एजीआर बकाये को लेकर सुनवाई करते हुए दूरसंचार कंपनियों तथा कुछ अन्य कंपनियों को दूरसंचार विभाग को 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था. इसके भुगतान की समयसीमा 23 जनवरी थी.