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सेमीकंडक्टर बिजनेस में उतरने की टाटा की तैयारी.
टाटा ग्रुप ( Tata Group) सेमीकंडक्टर असेंबली लगाने के लिए बड़ा निवेश कर सकता है. खबर है कि यह देश के तीन राज्यों में सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्ट यूनिट लगाने के लिए बातचीत कर रहा है. रॉयटर्स की खबर के मुताबिक इन पर यह 2250 करोड़ रुपये लगा सकता है. टाटा ग्रुप आउटर्सोस्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट ( OSAT) प्लांट लगाने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना से बात कर रहा है. इन राज्यों में प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण की बात चल रही है.
टाटा ग्रुप ने दिए थे सेमीकंडक्टर बिजनेस में उतरने के संकेत
टाटा ग्रुप ने कुछ महीनोंं पहले कहा था कि वह सेमीकंडक्टर बिजनेस में एंट्री कर सकता है. इसके बाद यह पहली खबर है जिससे ग्रुप के बड़े पैमाने पर इसमें उतरने के संकेत मिल रहे हैं. OSAT प्लांट फाउंड्री में बने सिलिकन वेफर्स की पैकेजिंग, असेंबलिंग और टेस्टिंग करते हैं और उन्हें फिनिश्ड सेमीकंडक्टर चिप में तब्दील करते हैं.
रॉयटर्स को सूत्रों ने बताया कि सेमीकंडक्टर के प्लांट के लिए जगह अगले महीने तक तय हो सकती है. टाटा समूह सॉफ्टवेयर के मामले में तो काफी मजबूत है. लेकिन अब यह हार्डवेयर में भी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. ग्रुप के लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए यह काफी जरूरी है. इंटेल (Intel), एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज ( AMD) और एसटीमाइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स (STMicroelectronics) टाटा ग्रुप के संभावित ग्राहक हो सकते हैं. ग्रुप की फैक्टरियों में अगले साल के आखिर में काम शुरू हो सकता है. इनमें 4000 लोगों को रोजगार मिल सकता है.
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सेमीकंडक्टर बिजनेस से ग्रुप के वाहन उद्योग को भी फायदा
सेमीकंडक्टर बिजनेस में उतरने का फायदा ग्रुप के ऑटो बिजनेस को भी मिलेगा. दुनिया भर में सेमीकंडक्टर चिप की कमी की वजह से कार कंपनियों को अपना उत्पादन घटाना पड़ा है. सेमीकंडक्टर की बढ़ती मांग ने गाड़ियों के दाम बढ़ा दिए हैं. अगर टाटा ग्रुप देश में ही सेमीकंडक्टर की असेंबलिंग करता है तो उसके वाहन उत्पादन की लागत में कमी आ सकती है. इससे मार्केट के कंपीटिशन में मजबूती से टिके रहने में मदद मिलेगी.