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NCLAT ने मिस्त्री की बर्खास्तगी को गलत बताते हुए उन्हें टाटा ग्रुप के कार्यकारी चेयरमैन पद पर दोबारा नियुक्त करने का आदेश दिया था.
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टाटा ग्रुप (Tata Group) ने सायरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को दोबारा टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल करने NCLAT के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी है. नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मिस्त्री की बर्खास्तगी को गलत बताते हुए उन्हें टाटा ग्रुप के कार्यकारी चेयरमैन पद पर दोबारा नियुक्त करने का आदेश दिया था. इसके अलावा, NCLAT ने टाटा संस के चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) की नियुक्ति को भी इलीगल बताया था. NCLAT ने टाटा संस की ओर से पब्लिक फर्म से प्राइवेट कंपनी में बदलने के निचली अदालत के फैसले को भी खारिज कर दिया था.
Tata Sons moves Supreme Court against the National Company Law Appellate Tribunal (NCLAT) order that directed reinstatement of Cyrus Mistry as Executive Chairman of Tata Sons. pic.twitter.com/TiLIF7DzHt
— ANI (@ANI) January 2, 2020
बता दें, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में टाटा संस से केस हारने के बाद मिस्त्री ने अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की थी. अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इस साल जुलाई में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. बीते 18 दिसंबर को एनसीएलएटी ने मिस्त्री के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें दोबारा टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बनाने पर दोबारा बहाल करने का आदेश दिया था. हालांकि, NCLAT ने फैसले के खिलाफ अपील के लिए टाटा संस को चार हफ्ते का समय दिया था. तब तक अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू करने पर रोक थी.
टाटा संस के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में उनके पद से हटा दिया गया था. मिस्त्री टाटा संस के 6वें चेयरमैन बने थे. रतन टाटा की तरफ से रिटायरमेंट की घोषणा के बाद 2012 में सायरस मिस्त्री ने समूह के चेयरमैन का पद संभाला था.
टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4% हिस्सेदारी
टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. मिस्त्री ने टाटा ग्रुप से हटाए जाने के फैसले के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में (NCLT) में अपील की थी. मिस्त्री परिवार की कंपनियां सायरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स की ओर से रतन टाटा समेत टाटा संस और 20 अन्य के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का केस किया गया. हालांकि, मार्च 2017 में ट्रिब्यूनल ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि वह ऐसे आरोप लगाने के लिए पात्र नहीं थे.
कंपनी कानून 2013 की धारा 244 के तहत यदि किसी शेयरहोल्डर के पास जारी शेयर कैपिटल का 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी है तो वह कंपनी के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मुकदमा फाइल कर सकता है.