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The rise in the number of dead coins had gained momentum back in 2017.
टेस्ला (Tesla) ने बिटक्वॉइन (Bitcoin) में करीब 1.5 अरब डॉलर का अधिग्रहण किया है. यह एलन मस्क की अगुवाई वाली इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी की एक निवेश पॉलिसी के तहत किया गया है. कंपनी की योजना वाहनों के लिए जल्द डिजिटल मुद्रा को भुगतान के तौर पर मंजूर शुरू करना है. कैलिफोर्निया की कंपनी ने सोमवार को यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के साथ फाइलिंग में नई रणनीति का खुलासा किया. उसने कहा कि डिजिटल करेंसी और दूसरे रिजर्व एसेट्स में उसका निवेश बढ़ सकता है.
बिटक्वॉइन में 14 फीसदी का उछाल आया और कुछ समय के लिए अपनी सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंच गया. टेस्ला के शेयर भी ऊंचाई पर गए. पिछले महीने अपनी चौथी तिमाही की कमाई की रिपोर्ट में टेस्ला ने कहा था कि उसके पास 19.4 अरब डॉलर का कैश है.
BitCoin जैसी क्रिप्टो हैं वर्चुअल करंसी
बिटक्वॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसीज एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है. इसे अन्य प्रकार की करंसीज जैसे कि डॉलर या रुपये की तरह किसी भी प्रकार के लेन-देन के लिए करते हैं. इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. पेपाल ने अपने प्लेटफॉर्म पर बिटक्वॉइन के जरिए लेन-देन को मंजूरी दे दी है यानी कि पेपाल के जरिए किसी भी प्रकार के ट्रांजैक्शन के लिए बिट क्वाइन में भुगतान किया जा सकता है.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अभी तक कोई निर्धारित गाइडलाइंस नहीं हैं. तीन साल पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2018 में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर के मुताबिक केंद्रीय बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं पर क्रिप्टोकरंसीज से जुड़ी कोई भी सेवा प्रदान करने पर रोक लगा दी गई थी. इसके बाद यह मामला देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में गया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल मार्च 2020 में आरबीआई द्वारा क्रिप्टोकरंसीज पर लगाए गए प्रतिबंध को खारिज कर दिया. इसके बाद से भारत में बिट क्वाइन में निवेश पूरी तरह निवेशकों के अपने रिस्क पर होता है क्योंकि इससे जुड़ी कोई नियमन अभी यहां नहीं है.