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क्रूड में गिरावट से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को ग्रोथ का मौका मिल सकता है, वहीं अपस्ट्रीम कंपनियों को नुकसान होगा.
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ओपेक देशों और नॉन ओपेक देशों के बीच क्रूड की कीमतों को थामने के लिए प्रोडक्शन कट पर सहमति न बनन से प्राइस वार छिड़ गया है. सऊदी अरब ने कूड की कीमतों में 20 साल की सबसे बड़ी कटौती की और प्रोडक्शन भी बढ़ाने का फैसला किया है. इससे सोमवार को क्रूड में 30 फीसदी की बड़ी गिरावट आ गई. क्रूड अभी 35 से 36 डॉलर प्रति बैरल की रेंज में है. इस साल की बात करें तो इसमें 2.5 महीने से भी कम समय में करीब 44 फीसदी गिरावट आ चुकी है. एक्सपर्ट का मानना है कि नियर टर्म की बात करें तो क्रूड में अभी कमजोरी बनी रहेगी. फिलहाल क्रूड की कीमतों में गिरावट से जहां ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को ग्रोथ का मौका मिल सकता है, वहीं अपस्ट्रीम कंपनियों को नुकसान होगा.
FY21/22 में ब्रेंट 50/55 डॉलर प्रति बैरल!
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल के अनुसार क्रूड में इस साल अच्छी खासी गिरावट आ चुकी है. कीमतों में रिकवरी अब इस बात पर निर्भर करती है कि आगे ओपेक और नॉन ओपेक देश साथ आते हैं या नहीं, अमेरिका में क्रूड प्रोडक्शन की क्या स्थिति रहती है. ग्लोबल इकोनॉमिक रिकवरी किस स्पीड से होती है, सरकारें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राहत पक्केज देती हैं या नहीं. फिलहाल इन सबमें वक्त लगेगा, ऐसे में आगे भी क्रूड में बहुत ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है. FY21/22 की बात करें तो ब्रेंट 50/55 डॉलर प्रति बैरल की रेंज में ही हने की उम्मीद है.
अपस्ट्रीम कंपनियां इन कंपनियों को होगा फायदा
केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव है. पहले से भी स्लोडाउन का माहौल बना हुआ था. इस वजह से इंडस्ट्रियल एक्टिविटी कमजोर पड़ी और क्रूड की मांग में कमी आई. वहीं, अब सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वार के चलते क्रूड में गिरावट बढ़ गई है. हालांकि रूस की ओर से क्रूड की कीमतों को लेकर ओपेक देशों के साथ सहयोग करने के संकेत मिले हैं. लेकिन यह स्थिति संभलने में अभी वक्त लग सकता है और क्रूड में नरमी जारी रहेगी. इसका फायदा ओएमसी के अलावा रॉ मटेरियल के रूप में क्रूड का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों को होगा. इसमें पेंट, प्लास्टिक, फर्टिलाइजर और शिपिंग कंपनियां शामिल हैं. वहीं, रिफाइनिंग कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा.
किन शेयरों में मिल सकता है फायदा
ब्रोकरेज हाउस एमके ग्लोबल का कहना है कि आफिशियल सेलिंग प्राइस में गिरावट से नियम टर्म में आयल मार्केटिंग कंपनियों को फायदा मिलेगा. हायर प्रोडक्ट डिमांड से GRM में सुधार होगा. वहीं, अपस्ट्रीम कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा.
ब्रोकरेज हाउस ने HPCL और BPCL में खरीद की सलाह दी है. इसके लिए टारगेट प्राइस 320 रुपये और 570 रुपये बरकरार रखा है. वहीं, IOCL के लिए टारगेट प्राइस 3 फीसदी बढ़ाकर 140 रुपये कर दिया है.
वहीं, ब्रोकरेज हाउस ने ONGC, Oil India और GAIL के लिए टारगेट प्राइस में 33 फीसदी, 33 फीसदी और 22 फीसदी घटा दिया है. हालांकि ONGC में 100 रुपये के लक्ष्य के साथ और GAIL में 125 रुपये के लक्ष्य के साथ खरीद की सलाह है. जबकि, Oil India में 100 रुपये के लक्ष्य के साथ होल्ड करने की सलाह दी है.