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D-SIB: देश की GDP के लिए अहम हैं ये तीन बैंक, डूबे तो इकोनॉमी के लिए बहुत बड़ा झटका, डिटेल्स में समझें यहां

D-SIB: आरबीआई (RBI) ने हाल ही में उन बैंकों की सूची जारी की है जिनके डूबने का खतरा नहीं उठाया जा सकता है. इस सूची में निजी सेक्टर के भी दो बैंक शामिल हैं.

D-SIB: आरबीआई (RBI) ने हाल ही में उन बैंकों की सूची जारी की है जिनके डूबने का खतरा नहीं उठाया जा सकता है. इस सूची में निजी सेक्टर के भी दो बैंक शामिल हैं.

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these three banks including two from private sector important for indian economy gdp according to d sib by rbi

आरबीआई की सूची के मुताबिक एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक इतने अहम हैं कि अगर ये डूबे तो देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका लग सकता है.

D-SIB: केंद्रीय बैंक आरबीआई (RBI) ने पिछले हफ्ते उन बैंकों की सूची को जारी किया है जिनके डूबने का खतरा नहीं उठाया जा सकता है. इस सूची में निजी सेक्टर के भी दो बैंक शामिल हैं. 4 जुलाई की तारीख में जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक इस सूची में एसबीआई (SBI), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) शामिल हैं. आरबीआई की सूची के मुताबिक ये तीनों बैंक इतने अहम हैं कि अगर ये डूबे तो देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा झटका लग सकता है.

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क्या है D-SIB फ्रेमवर्क

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  • डी-एसबीआई फ्रेमवर्क के तहत आरबीआई वर्ष 2015 से कुछ बैंकों को चिन्हिंत कर उनके सिस्टमिक इंपोर्टेंस स्कोर (Systemic Importance Scores – SIS) यानी महत्ता के आधार पर एक श्रेणी में रखता है. इस श्रेणी में उन बैंकों को रखा जाता है जो इतने बड़े हैं कि उनके असफल होने का खतरा नहीं उठा सकते हैं यानी कि टू बिग टू फेल (Too Big To Fail). इसका मतलब हुआ कि इनके किसी संकट में आने पर सरकार इन्हें संभालने के लिए मदद भी कर सकती है.
  • इस श्रेणी में शामिल बैंकों को अपने रिस्क वेटेड एसेट्स (RWAs) का कुछ हिस्सा अतिरिक्त कॉमन इक्विटी टियर-1 (CET-1) के रूप में रखना होता है. CET-1 टियर-1 कैपिटल का वह हिस्सा जिसे बैंक या किसी वित्तीय संस्थान द्वारा इक्विटी के रूप में रखना होता है. टियर-1 कैपिटल किसी बैंक या वित्तीय संस्थान की मुख्य पूंजी होती है जो रिजर्व के रूप में रखी होती और इसके जरिए बैंकों के ग्राहकों के कारोबारी गतिविधियों की फंडिंग की जाती है. यह उनकी सेहत को दर्शाता है. इसमें कॉमन स्टॉकस डिस्क्लोज्ड रिजर्व व कुछ अन्य एसेट्स आते हैं.

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  • इस श्रेणी में बैंकों को बकेट में रखा जाता है और सभी बकेट के लिए अतिरिक्त पूंजी को (CET-1) की जरूरत अलग-अलग होती है. पांचवें बकेट में यह रिस्क वेटेड एसेट्स का 1 फीसदी, चौथे बकेट में 0.80 फीसदी, तीसरे में 0.60 फीसदी, दूसरे में 0.40 फीसदी और पहले बकेट में 0.20 फीसदी है.
  • आईसीआईसीआई बैंक व एचडीएफसी बैंक पहले बकेट में यानी कि इन्हें रिस्क वेटेड एसेट्स का 0.20 फीसदी अतिरिक्त सीईटी-1 के रूप में जरूरत है जबकि एसबीआई के लिए 0.60 फीसदी क्योंकि यह तीसरे बकेट में है.

सबसे पहले एसबीआई हुआ था शामिल

इस श्रेणी में सबसे पहले एसबीआई को शामिल किया गया था. एसबीआई इस श्रेणी में वर्ष 2015 में शामिल हुआ था. इसके बाद अगले साल वर्ष 2016 में आईसीआईसीआई बैंक को इसमें शामिल किया गया और फिर इसके बाद 31 मार्च 2017 तक बैंक से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक एचडीएफसी बैंक को भी डी-एसआईबी के रूप में चिन्हित किया गया.

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