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पिछले एक महीने में टमाटर के दाम तीन गुना बढ़ चुके हैं.
पिछले एक महीने से प्याज और टमाटर के दामों के तेज इजाफे ने आम लोगों का रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया है. सरकार के लिए यह सिरदर्द बनता जा रहा है क्योंकि इससे खुदरा महंगाई दर बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है. आने वाले त्योहारी सीजन की खरीदारी पर बढ़ी महंगाई का असर पड़ सकता है. दिल्ली में प्याज 50 से 55 रुपये किलो बिक रहा है, वहीं टमाटर के दाम 70 से 80 रुपये किलो तक पहुंच चुके हैं. अप्रैल से लेकर अब तक टमाटर के दाम 71 से 143 फीसदी तक बढ़ चुके हैं. पिछले एक महीने में तो इसके दाम 300 फीसदी तक बढ़ चुके हैं.
टमाटर पैदा करने वाले राज्यों में बारिश से सप्लाई कम
पिछले एक सप्ताह के दौरान हिमाचल और हरियाणा से आने वाले टमाटर की खेप प्रभावित हुई है. हिमाचल में मानसून से पहले की बारिश ने टमाटर की काफी फसल बर्बाद कर दी. इस वजह से यह टमाटर मंडी में कम आया है. कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में टमाटर और प्याज के बड़े उत्पादक और सप्लायर राज्य हैं. लेकिन यहां सितंबर में हुई बारिश ने इसकी फसल चौपट कर दी. महाराष्ट्र और कर्नाटक से टमाटर की नई फसल को आने में देर है. लिहाजा अगले दो-तीन महीनों तक इसकी कीमत नहीं होगी.
डीजल के दाम बढ़ने से सब्जियों की ढुलाई महंगी
बेंगलुरू में टमाटर के रेट 30 से 40 रुपये किलो चल रहे हैं लेकिन डीजल की कीमतों में तेजी की वजह से ढुलाई महंगी पड़ रही है. इस वजह से दिल्ली तक आते-आते यह 70-80 रुपये प्रति किलो हो जाता है. दिल्ली में थोक मार्केट में प्याज 25 से 35 रुपये किलो बिक रहा है लेकिन खुदरा मार्केट में इसकी कीमत 50 से 60 रुपये किलो पहुंच गई है. दिल्ली में प्याज नासिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात से आता है. सब्जियों के दाम में इजाफे की एक वजह डीजल के दाम में तेज बढ़ोतरी भी है. पिछले कुछ महीनों से डीजल के दाम बढ़ने से अलग-अलग राज्यों से दिल्ली में आने वाली सब्जियों की ढुलाई की लागत 18 फीसदी बढ़ गई है. पहले महाराष्ट्र से दिल्ली आने वाले टमाटर के एक कट्टे यानी 25 से 30 किलो के क्रेट पर 150 से 170 रुपये की लागत आती थी लेकिन अब यह बढ़ कर 200 से 300 रुपये हो गई है.