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Stocks in WarTime: रूस-यूक्रेन की लड़ाई में भी जमे रहे ये शेयर, लेकिन इन स्टॉक्स में बिकवाली का दबाव

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के चलते क्रूड महंगा हुआ. हालांकि जिन कंपनियों का कारोबार क्रूड पर कम निर्भर रहा, बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान उनके शेयरों की मजबूती बनी रही.

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग के चलते क्रूड महंगा हुआ. हालांकि जिन कंपनियों का कारोबार क्रूड पर कम निर्भर रहा, बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान उनके शेयरों की मजबूती बनी रही.

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FE Online
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Top 12 stocks that weathered the Ukraine russia war

Stocks in WarTime: रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग (Russia-Ukraine War) के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट दिखी. इस युद्ध कारण क्रूड के भाव में उछाल रही. हालांकि जिन कंपनियों का कारोबार क्रूड पर कम निर्भर रहा, बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान उनके शेयरों की मजबूती बनी रही. इसके अलावा जिन कंपनियों का अधिकतम रेवेन्यू निर्यात पर निर्भर है, उनके प्रति भी निवेशकों का रूझान बढ़ा क्योंकि रुपये की कमजोरी से इन कंपनियों को कारोबारी सपोर्ट मिला.

रुपया 7 मार्च को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76.97 रुपये के रिकॉर्ड भाव तक फिसल गया. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यह 2.2 फीसदी कमजोर हुआ है. निफ्टी50 ने अपने लॉस को लगभग रिकवर कर लिया है और 7 फीसदी तक फिसल गया था लेकिन अब यह 24 फरवरी के बाद से करीब 0.52 फीसदी ही कमजोर है. ब्रेंट प्राइस 24 फरवरी के बाद से 3 फीसदी मजबूत हुआ है.

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इन शेयरों में रही तेजी

  • निफ्टी 100 इंडेक्स में शामिल फार्मा कंपनी सिप्ला (Cipla) का 60 फीसदी रेवेन्यू दूसरे देशों से आता है और 24 फरवरी के बाद इसके शेयर 15.4 फीसदी मजबूत हुए हैं.
  • सिगरेट बनाने वाली कंपनी आईटीसी 12.3 फीसदी मजबूत हुई है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021 में आईटीसी को सिगरेट से 42.7 फीसदी और ब्रांडेड पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स से 23.2 फीसदी रेवेन्यू हासिल हुआ था.

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  • रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद सप्लाई में गिरावट आई है जिसके चलते भारतीय मेटल शेयरों में तेजी का रूझान दिख रहा है. 24 फरवरी से अब तक जिंदल स्टील व पॉवर 15.4 फीसदी, टाटा स्टील 11.1 फीसदी और जेएसडब्ल्यू स्टील 6.6 फीसदी मजबूत हुई है. वित्त वर्ष 2021 में टाटा स्टील का 50 फीसदी रेवेन्यू यूरोप से आया था जबकि जेएसडब्ल्यू स्टील की 26.1 फीसदी सेल्स भारत के बाहर हुई. सप्लाई में इस समय जो गिरावट आई है, वह बड़े निर्यातक देशों जैसे कि चीन और जापान द्वारा शिपमेंट में कटौती के चलते हुई है. चीन और जापान दोनों ही कॉर्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए निर्यात घटा रहे हैं. चीन हर साल 6-12 करोड़ टन और जापान व कोरिया 3 करोड़ टन निर्यात करते हैं.

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ऑटो स्टॉक्स में गिरावट

तेल कीमतों में उछाल के चलते ऑटो कंपनियों के शेयरों में गिरावट दिखी. महंगे तेल के चलते देश में दोपहिया और कारों की मांग पर असर पड़ा. 24 फरवरी के बाद से मारुति सुजुकी और आयशर मोटर्स के शेयर 13-14 फीसदी कमजोर हुए. इसके अलावा हीरो मोटोकॉर्प और टाटा मोटर्स भी 24 फरवरी के बाद से 11 फीसदी कमजोर हो चुके हैं.

(Article: Yoosef KP)

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