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ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (Trai) ने आसान और पारदर्शी स्पेक्ट्रम सरेंडर गाइडलाइन्स की सिफारिश की है.
Spectrum Surrender Guidelines: ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of doing Business) को बढ़ावा देने के लिए टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (Trai) ने आसान और पारदर्शी स्पेक्ट्रम सरेंडर गाइडलाइन्स की सिफारिश की है. ट्राई के मुताबिक, इसके तहत फ्रीक्वेंसी सरेंडर करते समय टेलिकॉम ऑपरेटर को 1 लाख रुपये का शुल्क देना होगा. नए गाइडलाइन्स के अनुसार, टेलिकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के 10 साल बाद सरेंडर करने की अनुमति होगी. ट्राई ने अपनी नई गाइडलाइंस मंजूरी के लिए सरकार को भेज दी हैं, इनके लागू होने से टेलिकॉम कंपनियों के लिए बिजनेस आसान होने की उम्मीद है.
क्या है ट्राई की इस नई सिफारिश में
अगर दूरसंचार विभाग द्वारा इसे स्वीकार कर लिया जाता है, तो इस कदम का फायदा सभी ऑपरेटरों को होगा. हालांकि, इसका सबसे बड़ा फायदा वोडाफोन आइडिया को हो सकता है क्योंकि इससे कंपनी को कई सर्किलों में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम को सरेंडर करने की अनुमति मिल जाएगी. इससे कंपनी को लागत में कटौती करने में मदद मिलेगी. ट्राई की ताजा सिफारिश से रिलायंस जियो और भारती एयरटेल को भी फायदा होने की संभावना है. वर्तमान में, दूरसंचार कंपनियों के पास अतिरिक्त स्पेक्ट्रम को कम करने का एकमात्र तरीका निर्धारित स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग प्रोसेस के ज़रिए स्पेक्ट्रम को बेचना है. स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग गाइडलाइन्स के अनुसार, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (TSP) को इस तरह के स्पेक्ट्रम के असाइनमेंट के बाद दो साल की लॉक-इन अवधि के बाद अपने आंशिक/संपूर्ण स्पेक्ट्रम होल्डिंग को दूसरे TSP में ट्रेड करने की अनुमति है.
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सरेंडर फीस को लेकर ट्राई ने कहा है कि फीस ज्यादा नहीं रखी जानी चाहिए. ट्राई ने कहा, “यह सरेंडर एप्लिकेशन के प्रोसेसिंग के मकसद से एक तरह का प्रशासनिक शुल्क होना चाहिए. सरेंडर फीस प्रति LSA (लाइसेंस एरिया) प्रति स्पेक्ट्रम बैंड 1 लाख रुपये रखी जा सकती है.” ट्राई ने कहा है कि दूरसंचार विभाग को स्पष्ट टाइमलाइन के साथ गाइडलाइन्स जारी करना चाहिए और इस प्रक्रिया को एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए लागू किया जाना चाहिए. सिफारिशों के तहत, आवेदन की तारीख के 60 दिनों के भीतर, दूरसंचार विभाग (DoT) को सैद्धांतिक मंजूरी देना होगा. फिर, टेलीकॉम कंपनी को दूरसंचार विभाग द्वारा बताए गए स्पेक्ट्रम से संबंधित सभी बकाया राशि का भुगतान करना होगा.
सरकार सरेंडर किए गए स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए रखेगी. किसी भी दुरुपयोग से बचने के लिए, ट्राई ने सिफारिश की है कि जिस ऑपरेटर ने स्पेक्ट्रम सरेंडर किया है, उसे कम से कम दो साल तक उसी एयरवेव की नीलामी में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ट्राई ने कहा कि फ्रीक्वेंसी सरेंडर करते समय टेलीकॉम ऑपरेटर को 1 लाख रुपये का शुल्क देना होगा. ट्राई ने सिफारिश की है कि एक TSP को स्पेक्ट्रम के अधिग्रहण की तारीख से मिनिमम 10 वर्षों की अवधि के बाद स्पेक्ट्रम सरेंडर करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
(आर्टिकल - किरण राठी)