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Photograph: (AI Image)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फरवरी 2025 में हुई हाई-प्रोफाइल वाइट हाउस यात्रा और दोनों देशों के अच्छे रिश्तों के बावजूद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के खिलाफ बड़ा व्यापारिक कदम उठाया है. 1 अगस्त से भारत के निर्यात पर 25% टैरिफ लगाया गया है. इसका असर खासकर गहनों, दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो पार्ट्स और कपड़ा जैसी इंडस्ट्री पर पड़ने वाला है. वहीं पाकिस्तान, बांग्लादेश, यूरोपीय यूनियन (EU), जापान जैसे 50 से ज्यादा देशों को कम टैरिफ का फायदा मिलेगा, जिससे भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति कमजोर हो सकती है.
भारत के लिए क्यों चिंताजनक है ट्रंप का ये फैसला?
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल (Truth Social) प्लेटफार्म पर हाल ही में किए पोस्ट के जरिए कहा कि भारत दुनिया के "सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक" है और उसने “सबसे कठिन और परेशान करने वाली गैर-आर्थिक व्यापार बाधाएं” खड़ी की हैं. इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से भारत की तेल खरीद पर भी नाराजगी जताई और अतिरिक्त पेनल्टी की चेतावनी दी है.
ट्रंप का यह ऐलान ऐसे वक्त पर आया है जब भारत को उम्मीद थी कि उसे अमेरिका से बेहतर व्यापार शर्तें मिलेंगी, खासतौर पर वियतनाम और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले. लेकिन नई टैरिफ लिस्ट में वियतनाम पर 20%, इंडोनेशिया पर 19% और जापान पर 15% टैक्स लगाया गया है, जबकि भारत को सबसे ऊंची दर 25% पर रखा गया है.
किन सेक्टर्स पर होगा सबसे ज्यादा असर?
रत्न और आभूषण (Gems & Jewellery)
भारत का यह सेक्टर अमेरिका को हर साल 10 अरब डॉलर से ज्यादा का एक्सपोर्ट करता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक टैरिफ बढ़ने से लागत बढ़ेगी, सप्लाई चेन में देरी होगी और छोटे-बड़े सभी निर्यातकों पर दबाव पड़ेगा.
फार्मा सेक्टर (Generic Drugs)
भारत अमेरिका को 8 अरब डॉलर की नॉन-पेटेंटेड दवाएं भेजता है. सन फार्मा, सिप्ला, डॉ. रेड्डी जैसी कंपनियों की 30% से ज्यादा कमाई अमेरिका से होती है. टैरिफ के चलते दवाओं की कीमतें और डिलीवरी टाइम प्रभावित हो सकते हैं.
टेक्सटाइल और परिधान (Textile & Apparel)
Gap, Walmart और Costco जैसे अमेरिकी ब्रांड्स के लिए भारत से सप्लाई होती है. लेकिन अब भारत को वियतनाम जैसे देशों की तुलना में टैरिफ एडवांटेज नहीं मिलेगा, जिससे प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाएगी.
इलेक्ट्रॉनिक्स और स्मार्टफोन्स
Apple अब भारत में iPhone बनवा रहा है, जिससे भारत अमेरिका को स्मार्टफोन्स का टॉप सोर्स बन गया है. लेकिन 25% टैरिफ के बाद Apple अपनी सोर्सिंग स्ट्रैटेजी पर फिर से विचार कर सकता है.
रिफाइनर्स यानी तेल कंपनियों पर
भारत अपनी 37% कच्चे तेल की जरूरत रूस से पूरी करता है. अगर रूस से आयात पर ट्रंप ने पेनल्टी बढ़ाई, तो इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और रिलायंस जैसी कंपनियों की लागत बढ़ जाएगी और मुनाफा घटेगा.
भारत-अमेरिका व्यापार और आगे की राह
वेंचुरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही भारत की प्राइवेट तेल कंपनी नायरा एनर्जी पर रोक लगी, अमेरिका ने भारत से होने वाले एक्सपोर्ट पर 25 फीसदी टैक्स लगा दिया. इस टैरिफ के साथ वह संभावित पेनल्टी भी जुड़ी हुई है जो भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को लेकर लग सकती है.
इस फैसले का असर भारतीय एक्सपोर्ट पर पड़ने की आशंका है और यह देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है. जहां कई देशों ने अमेरिकी दबाव में आकर अपने बाजारों को खोल दिया, वहीं भारत ने किसानों, लघु उद्योगों और सस्ती ऊर्जा की जरूरतों को प्राथमिकता दी और अमेरिकी दबाव का मुकाबला करते हुए अपने बाजार संरक्षित रखे.
अभी संभावित ट्रेड डील के अटकने का डर बना हुआ है, जिससे शेयर बाजारों में बिकवाली देखी गई है. निवेशक फिलहाल यह जानने का इंतजार कर रहे हैं कि अमेरिका की पेनल्टी का असल स्वरूप क्या होगा.
इस अनिश्चित माहौल में अलग-अलग संभावनाओं का विश्लेषण किया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिका सिर्फ 25% टैक्स लगाए और कोई दूसरी पेनाल्टी न दे, तो भारत को हर साल लगभग 5 से 6.75 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट का नुकसान हो सकता है, अगर मांग में 20–30% की गिरावट आती है. भारत की 2025 की जीडीपी करीब 3.3 ट्रिलियन डॉलर (287 लाख करोड़ रुपये) है, तो इससे जीडीपी में लगभग 0.15% से 0.2% की सीधी गिरावट हो सकती है.
फिर भी भारत चीन जैसे देशों के तुलना में अब भी मुकाबले में है, क्योंकि इन पर ज्यादा तैरिफ लगे हैं. भले ही भारत का एक्सपोर्ट कुछ कम हो जाए, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, UAE, EFTA, ASEAN और SAARC जैसे देशों के साथ किए गए नए व्यापार समझौते इस असर को काफी हद तक कम कर सकते हैं.
ठीक ऐसा ही भारत ने तब किया था जब नायरा एनर्जी पर पाबंदी लगी थी - उसने अफ्रीका और एशिया जैसे नए बाज़ारों की ओर रुख किया था. माना जा रहा है कि यह 25% टैक्स दवाओं, एनर्जी प्रोडक्ट्स और कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर लागू नहीं होगा, जैसा कि अप्रैल में बताया गया था.
उम्मीद वाली स्थिति
हालांकि ये टैरिफ और पाबंदियां 1 अगस्त से लागू हो गई हैं, लेकिन भारत और अमेरिका के बीच बातचीत अब भी जारी है ताकि कोई समाधान निकाला जा सके. उम्मीद है कि अगस्त के मध्य में फिर से बातचीत शुरू होगी और अक्टूबर तक कोई व्यापार समझौता हो सकता है. अगर ऐसा होता है, तो यह संकट सिर्फ थोड़े समय के लिए होगा और आगे व्यापार फिर से तेजी पकड़ सकता है.
नकारात्मक स्थिति
कुछ देशों का मानना है कि भारत और चीन रूस से तेल और हथियार खरीदकर यूक्रेन युद्ध को आर्थिक मदद दे रहे हैं. अमेरिका पहले ही ईरान, रूस और नॉर्थ कोरिया पर CAATSA नाम की सख्त पाबंदियां लगा चुका है. भारत पर भी ये पाबंदी लग सकती है क्योंकि वह अब भी रूस से हथियार खरीद रहा है (जैसे S-400 मिसाइल डील). पहले भारत को प्रेसिडेंशियल वेवर मिली थी, लेकिन अब वह छूट खत्म भी की जा सकती है.
अगर ऐसा हुआ, तो 25% टैक्स के साथ-साथ और भी पेनाल्टी लग सकती हैं, यहां तक कि जिन भारतीय सामानों को पहले टैक्स से छूट मिली थी, उन पर भी टैक्स लग सकता है ताकि भारत को अपने बाजार खोलने के लिए मजबूर किया जा सके.
सबसे खराब स्थिति में भी, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत की जीडीपी पर असर 0.5% से ज्यादा नहीं होगा. इससे पहले भी जब साल1998 में पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद भारत पर प्रतिबंध लगे, 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी आई, या कोविड-19 जैसी बड़ी आपदा आई, भारत ने हर बार खुद को और मजबूत साबित किया है और शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने सिर्फ रूस या ओपेक देशों पर निर्भर न रहकर 27 की जगह 40 देशों से तेल खरीदना शुरू कर दिया है. इसी तरह, अगर अमेरिका से एक्सपोर्ट में दिक्कत आती है, तो भारत बाकी दुनिया की तरफ रुख कर सकता है. हाल में जो फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हुए हैं, वो नए बाज़ार खोलने में मदद करेंगे.
उदाहरण के लिए, भारत और यूके के बीच ट्रेड डील पर बातचीत हो रही है, जबकि अभी भारत का यूके को एक्सपोर्ट सिर्फ 2.8% है, मतलब यहां बहुत बड़ा मौका है. कुल मिलाकर आने वाले कुछ महीनों में थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन भारत की इंडस्ट्री नए बाजारों की तलाश करके इस झटके से उबरने की पूरी क्षमता रखती है.
बाजार का हाल
1 अगस्त 2025 को शेयर बाजार का माहौल कमजोर दिखा, क्योंकि पिछली रात अमेरिका के बाजार गिरावट में बंद हुए - S&P 500 में 23 अंक, डाउ जोन्स में 330 अंक और नैस्डैक में 127 अंकों की गिरावट रही, जबकि GIFT Nifty भी 130 अंक नीचे ट्रेड कर रहा है, जिससे भारतीय बाजार की कमजोर शुरुआत के संकेत मिलते हैं. बीते दिन NSE और BSE दोनों में गिरने वाले शेयरों की संख्या चढ़ने वालों से कहीं ज्यादा थी, जिससे बाजार की कमजोरी साफ नजर आई.
ऑप्शन डेटा एनालिसिस के मुताबिक Sensex, Nifty और Bank Nifty में लोग सतर्क रुख अपना रहे हैं. सेक्टरों की बात करें तो FMCG में Emami, HUL और Godrej Consumer के दम पर 1.44% की तेजी रही, जबकि तेल-गैस, मेटल, फार्मा और एनर्जी सेक्टर में गिरावट देखने को मिली, जिसमें MGL, ATGL, Hindustan Copper, Adani Enterprises, IPCA Labs और SJVN जैसे स्टॉक्स सबसे ज्यादा दबाव में रहे. कुल मिलाकर वैश्विक संकेतों और सेक्टोरल कमजोरी को देखते हुए बाजार में डर और सतर्कता का माहौल बना हुआ है.