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सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास का कहना है कि रोजगार की तलाश कर रहे लोगों के लिए इकोनॉमी पर्याप्त मौके नहीं तैयार कर पा रही है.
Unemployment: कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के चलते तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है, उससे पहले ही बेरोजगारी दर में इजाफा दर्ज किया गया. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर चार महीने के रिकॉर्ड हाई स्तर पर पहुंच गई. पिछले महीने बेरोजगारी दर 7.91 फीसदी पर थी.
बेरोजगारी दर के आंकड़ों से रोजगार की बढ़ती मांग की चुनौतियों से निपटने में धीमी इकोनॉमिक रिकवरी के असफल होने संकेत मिल रहे हैं. कोरोना की तीसरी लहर इस स्थिति को और बुरा बना सकती है. हालांकि अनुमान लगाया जा रहा है कि अधिक से अधिक लोगों के वैक्सीनेशन और बड़े स्तर पर लॉकडाउन नहीं होने की संभावना के चलते बेरोजगारी दर में तेज उछाल की आशंका आगे कम है.
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शहरों और गांवों, दोनों जगहों पर बढ़ी बेरोजगारी दर
सीएमआईई डेटा के मुताबिक पिछले महीने बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी शहरों और गांवों दोनों जगहों में रोजगार की बेहतर स्थिति नहीं होने के कारण हुई. इससे पहले अगस्त 2021 में बेरोजगारी दर 8.32 फीसदी पर थी लेकिन उसके बाद अगले तीन महीने यह कम रही. सितंबर 2021 में बेरोजगारी दर 6.86 फीसदी, अक्टूबर 2021 में 7.75 फीसदी और नवंबर 2021 में 7 फीसदी रही.
सीएमआईई के मासिक आंकड़ों के मुताबिक शहरों में बेरोजगारी दर दिसंबर 2021 में चार महीने के रिकॉर्ड हाई 9.3 फीसदी पर थी जबकि सितंबर 2021 में यह 8.62 फीसदी, अक्टूबर 2021 में 7.38 फीसदी और नवंबर 2021 में 8.21 फीसदी पर थी. वहीं गांवों की बात करें तो यहां दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर दो महीने के हाई लेवल 7.28 फीसदी पर थी जबकि अक्टूबर 2021 में यह 7.91 फीसदी और नवंबर 2021 में 6.44 फीसदी पर थी.
रोजगार के नहीं बन पा रहे पर्याप्त मौके
सीएमआईई के एमडी और सीईओ महेश व्यास का कहना है कि रोजगार की तलाश कर रहे लोगों के लिए इकोनॉमी पर्याप्त मौके नहीं तैयार कर पा रही है. व्यास के मुताबिक दिसंबर 2021 में लेबर पार्टिसिपेशन रेट में बेहतर बढ़ोतरी हुई. लेबर फोर्स में 85 लाख की बढ़ोतरी हुई लेकिन रोजगार में सिर्फ 40 लाख की. इसके चलते बेरोजगारी दर में इजाफा हुआ.