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Union election cycle: इलेक्शन साइकिल में 21000 का लेवल तोड़ सकता है निफ्टी, PSU बैंक समेत इन सेक्टर पर रहेगा फोकस

Election Cycle: प्रीइलेक्‍शन ईयर में ज्‍यादातर साल में शेयर बाजार में तेजी रहने का ट्रेंड देखने को मिला है. इस साल भी यही ट्रेंड दिख रहा है, जो जारी रहने का अनुमान है.

Election Cycle: प्रीइलेक्‍शन ईयर में ज्‍यादातर साल में शेयर बाजार में तेजी रहने का ट्रेंड देखने को मिला है. इस साल भी यही ट्रेंड दिख रहा है, जो जारी रहने का अनुमान है.

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Sushil Tripathi
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Stock Market Outlook

Nifty Target: ब्रोकरेज रिपोर्ट में अगले 6 से 9 महीनों में निफ्टी के लिए 21400 का टारगेट दिया गया है. (pixabay)

Stock Market Outlook in Election Cycle: साल 2023 के अंत में 5 राज्‍यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहीं साल 2024 में आम चुनाव होंगे. फिलहाल चुनावी सीजन का शेयर बाजार पर भी असर होगा. वैसे आम चुनावों की बात करें तो प्रीइलेक्‍शन ईयर में आमतौर पर बाजार में तेजी रहती है. उसकी एक वजह यह भी सरकार कई तरह की योजनाओं का रिफॉर्म का एलान करती है. अभी जब शेयर बाजार अपने आलटाइम हाई पर ट्रेड कर रहा है तो बहुत से लोगों के मन में यह सवाल होगा कि इलेक्‍शन साइकिल में बाजार का क्‍या हाल रहेगा. पिछले कई साल के ट्रेंड पर नजर डालें तो फिलहाल बाजार के लिए पॉजिटिव आउटलुक दिख रहा है. ब्रोकरेज हाउस आईसीआईसीआई सिक्‍योरिटीज ने अगले 6 से 9 महीनों में निफ्टी के लिए 21400 का टारगेट दिया है.

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कैसा रहता है लोकसभा चुनाव के पहले का साल

साल 2024 में लोकसभा के लिए चुनाव होने हैं. 2023 प्रीइलेक्‍शन ईयर है. यह देखा गया है कि चुनाव के पहले वाले साल में बेंचमार्क इंडेक्‍स ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है. प्रीइलेक्‍शन ईयर में केंद्र सरकार द्वारा रिफॉर्म तेज होते हैं, निवेश बढ़ता है, पॉलिसी लेवल और घोषणाओं में भी तेजी आती है. इंडेक्‍स ने 10 में से 7 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया है. जिन 3 साल में निगेटिव रिटर्न मिला, उनमें 2 तो 1995 और 1998 के दौरान थे, जब भारत में अस्थिर पॉलिटिकल सिनेरियो था, जबकि तीसरा साल 2008 में ग्‍लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस था.

दशक का तीसरा साल अक्‍सर रहा है बेहतर

साल 2023 इस दशक का तीसरा साल है और इस साल बाजार रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बना रहा है. वैसे यह ट्रेंड लंबे समय से रहा है. ब्रोकरेज रिपोर्ट के अनुसार 1980 से अबतक देखें तो हर दशक के तीसरे साल में निफ्टी में तेजी आई है. 1983 में निफ्टी ने 7 फीसदी, 1993 में 28 फीसदी, 2003 में 73 फीसदी और 2013 में 9 फीसदी रिटर्न दिया है. अगर मीडियन एवरेज देखें तो साल 2023 में निफ्टी 18 फीसदी रिटर्न दे सकता है. इस लिहाज से करंट प्राइस से तुलना करें तो 2023 में इंडेक्‍स 21400 का लेवल दिखा सकता है.

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यूनियन इलेक्‍शन साइकिल

इक्विटी बाजारों में इलेक्‍शन साइकिल एक प्रमुख घटना है. इसे 4 हिस्‍सों में बांटा जा सकता है. पहला इलेक्‍शन ईयर, पोस्‍ट इलेक्‍शन ईयर, मिडटर्म ईयर और प्रीइलेक्‍शन ईयर. भारतीय इक्विटी बाजारों ने वर्तमान में प्रचलित इलेक्‍शन साइकिल के आधार पर कुछ विशेषताओं को भी हाईलाइट किया है. CY23 प्रीइलेक्‍शन ईयर होने के कारण इक्विटी बाजारों की सेंटीमेंट पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा. यह देखा गया है कि चुनाव के पहले वाले साल में बेंचमार्क इंडेक्‍स ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है. इंडेक्‍स ने 10 में से 7 बार पॉजिटिव रिटर्न दिया है.

निफ्टी को 18200 के लेवल पर सपोर्ट

जून 2023 में निफ्टी ने अपट्रेंड को मजबूत करते हुए लाइफटाइम हाई टच किया. इस दौरान निफ्टी ने पहली बार 19000 का लेवल पार किया. निफ्टी को अभी 18200 के लेवल पर मजबूत सपोर्ट है और इसके 6-9 महीनों में 21000 के लेवल तक पहुंचने का अनुमान है. निफ्टी में वर्तमान ब्रेकआउट CY14, CY17 के जैसा है, जिसमें, अगले 6 महीनों में ब्रेकआउट के बाद इंडेक्‍स 11% बढ़ गया. ऐसे में वर्तमान सिनेरियो में निफ्टी के लिए 21000 के लक्ष्य का अनुमान है. हालांकि इस दौरान कुछ इंटरमीडिएट करेक्‍शन की भी उम्‍मीद है.

इन फैक्‍टर्स का मिलेगा फायदा

सीजनैलिटी: पिछले 4 दशक की बात करें तो हर दशक का तीसरा कैलेंडर ईयर निफ्टी के लिए 18 फीसदी के औसत रिटर्न के साथ पॉजिटिव रहा है, यह बात भी निफ्टी के लिए 21000 के टारगेट को सपोर्ट करता है.

इलेक्‍शन साइकिल: 2004 के बाद की बात करें तो पिछले 4 आम चुनावों को देखें तो इलेक्‍शन ईयर में निफ्टी ने मिनिमम 11% (औसत: 22%) की बढ़त हासिल की है. इस दौरान इवेंट रिलेटेड वोलेटिलिटी के बावजूद निवेश में बने रहने वालों को फायदा हुआ है.

इंडियन इक्विटी पर पॉजिटिव: इंडियन इक्विटी को लेकर ब्रोकरेज पॉजिटिव है और मानना है कि आगे भारतीय बाजार आउटपरफॉर्म करेंगे. अगले कुछ साल में विकसित और इमर्जिंग मार्केट इक्विटी के बेहतर प्रदर्शन करने की उम्‍मीद है.

एफआईआई फ्लो: अमेरिकी डॉलर में कमजोरी के चलते उभरते बाजारों में विदेशी निवेशकों का फ्लो बढ़ा है और भारतीय बाजारों को इसका बड़ा फायदा मिल रहा है.

किन सेक्‍टर और शेयर पर करें फोकस

PSU बैंक: SBI, BOB, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, महाराष्ट्र बैंक

IT सेक्टर: Infosys, LTIM, परसिस्टेंट सिस्टम

Pharma सेक्टर: Sun Pharma, डिवाइस लैब, ग्रेनुअल्स, लॉरस लैब, Caplin Point

PSU सेक्टर: HAL, कोचिन शिपयार्ड, यूनियन बैंक, Midhani, SJVN, इंजीनियर्स इंडिया, IOC, BEML

(Source: Spider Software, ICICI Direct Research)

(Disclaimer: स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस के द्वारा दी गई है. यह फाइनेंशियल एक्सप्रेस के निजी विचार नहीं हैं. बाजार में जोखिम होते हैं, इसलिए निवेश के पहले एक्सपर्ट की राय लें.)  

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