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Updater Services Listing: अपडेटर सर्विसेज के शेयर ने लिस्टिंग पर उन निवेशकों को निराश किया है, जिन्हें इसके शेयर अलॉट हुए थे.
Updater Services Listing Today: भारत की लीडिंग, फोकस्ड और इंटीग्रेटेड बिजनेस सर्विसेज प्लेटफॉर्म अपडेटर सर्विसेज (Updater Services) की आज शेयर बाजार में कमजोर एंट्री हुई है. कंपनी के शेयर ने लिस्टिंग पर उन निवेशकों को निराश किया है, जिन्हें इसके शेयर अलॉट हुए थे. अपडेटर सर्विसेज का शेयर बीएसई पर 299.9 रुपये और एनएसई पर 285 रुपये पर लिस्ट हुआ है. जबकि इश्यू प्राइस 300 रुपये था. इस लिहाज से एनएसई पर शेयर की लिस्टिंग इश्यू प्राइस से 5 फीसदी डिस्काउंट पर हुआ है. इश्यू का साइज 640 करोड़ का था. इसमें 400 करोड़ के फ्रेश इक्विटी शेयर जारी किए गए थे, जबकि 240 करोड़ का ओएफएस था. हालांकि इस आईपीओ को निवेशकों का सुस्त रिस्पांस मिला था. फिलहाल लिस्टिंग के बाद क्या शेयर बेच देना चाहिए.
निवेशकों का मिला था सुस्त रिस्पांस
अपडेटर सर्विसेज का आईपीओ 25 सितंबर से 27 सितंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला था. इसे निवेशकों का सुस्त रिस्पांस मिला था. आईपीओ में 10 फीसदी हिस्सा रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व था और यह हिस्सा 1.45 गुना सब्सक्राइब हुआ. क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स के लिए आईपीओ में 75 फीसदी हिस्सा रिजर्व था और यह 4.50 गुना सब्सक्राइब हुआ था. वहीं नॉन इंस्टीट्यूशनल बॉयर्स के लिए 15 फीसदी हिस्सा रिजर्व था और यह 0.89 गुना सब्सक्राइब हुआ. ओवरआल यह इश्यू 2.96 गुना भरा था. अपडेटर सर्विसेज भारत में एक अग्रणी, केंद्रित और एकीकृत व्यापार सेवा मंच है जो कंपनी की प्रेजेंस पूरे भारत में है और यह ग्राहकों को एंट्रीग्रेटेट सर्विसेज मैनेजमेंट और बिजनेस सपोर्ट बिजनेस प्रदान करती है.
निवेशकों को बेच देना चाहिए शेयर
Swastika Investmart की वेल्थ हेड शिवानी न्याति का कहना है कि अपडेटर सर्विसेज लिमिटेड ने 285 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट होकर शेयर बाजारों में अपनी शुरुआत की, जो इसके आईपीओ मूल्य 300 रुपये से 5% कम है. कुल मिलाकर, अपडेटर सर्विसेज की लिस्टिंग निवेशकों के लिए निराशाजनक है. हालांकि, कंपनी की हाई आईपीओ प्राइस, मिला जुला फाइनेंशियल प्रदर्शन और संबंधित रिस्क ने बाजार में निगेटिव रिएक्शन में योगदान दिया. इसके अतिरिक्त, मौजूदा बाजार सेंटीमेंट ने भी लिस्टिंग पर असर डाला है. जिन निवेशकों को आईपीओ में आवंटन मिला है, उन्हें इन सभी संबंधित जोखिमों पर विचार करना चाहिए और इस लिस्टिंग के बाद अपनी पोजिशन से बाहर निकलना चाहिए.
कहां होगा फंड का इस्तेमाल
आईपीओ से मिलने वाली रकम में से कंपनी 133 करोड़ रुपये का उपयोग कर्ज कम करने और 115 करोड़ रुपये का इस्तेमाल वर्किंग कैपिटल की जरूरतों के लिए करेगी. इसके अलावा, 80 करोड़ रुपये की लागत से इनआर्गेनिक पहल भी की जाएगी. शेष धनराशि का उपयोग सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.
कंपनी का कैसा है फाइनेंशियल
पिछले वित्त वर्षों में, कंपनी के मुनाफे में अस्थिरता देखी गई थी, हालांकि रेवेन्यू मजबूत रहा. मार्च 2023 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए कंपनी का नेट प्रॉफिट 34.6 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के 57.4 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021 में 47.56 करोड़ रुपये से कम है. वित्त वर्ष 2023 में परिचालन से रेवेन्यू तेजी से बढ़कर 2,098.9 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2022 में 1483.5 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021 में 1210 करोड़ रुपये था. अलग-अलग सेक्टर में कंपनी के 2,797 कस्टमर्स हैं. इसमें P&G, ABFRL, Mircosoft, Hyundai Motor India जैसे बड़े नाम शामिल हैं.