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विनोद राय को IDFC LTD. के बोर्ड में नहीं मिली जगह.
पूर्व CAG विनोद राय IDFC Ltd के बोर्ड में दोबारा जगह पाने में नाकाम रहे. इनकी नियुक्ति डायरेक्टर के तौर पर 22 मई 2023 तक होनी थी. लेकिन कंपनी के शेयरहोल्डरों ने उनका नॉमिनेशन रिजेक्ट कर दिया. कंपनी के शेयरहोल्डरों के 62.28 वोट राय के खिलाफ पड़े. राय का नाम नॉन एक्जीक्यूटिव और नॉन -इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के पद के लिए प्रस्तावित किया गया था.
राय के पक्ष में नहीं पड़े पर्याप्त वोट
ब्लूमबर्ग की एक खबर के मुताबिक IDFC ने एक बीएसई फाइलिंग में कहा है कि राय को पर्याप्त वोट नहीं मिले इसलिए उन्हें बोर्ड में ऑफ डायरेक्टर में शामिल करने के लिए लाया गया साधारण प्रस्ताव पास नहीं हो सका. उनके पक्ष में सिर्फ 37.11 फीसदी वोट पड़े. जबकि साधारण प्रस्ताव के पारित होने के लिए 50 फीसदी वोटों की जरूरत होती है. शेयरहोल्डरों ने जैमिनी भगवती और अनिल सिंघवी की स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दे दी.
कंपनी का प्रबंधन निवेशकों के निशाने पर
22 सितंबर को आईडीएफसी ( IDFC Ltd ) के एजीएम के पिछले सप्ताह कंपनी के प्रबंधन को निवेशकों की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. निवेशक कंपनी की परिसंपत्तियों के विनिवेश की धीमी गति से बेहद नाराज था. इनमें बैंक और म्यूचुअल फंड में कंपनी के निवेश भी शामिल हैं. इसके अलावा IDFC Ltd की कुछ एंटिटी के मर्जर पर भी कोई तय अवधि नहीं दी गई थी. इससे भी निवेशक नाराज थे. उस वक्त चेयरमैन के तौर पर राय ने निवेशकों से कहा था कि कंपनी का काफी जटिल कॉरपोरेट स्ट्रक्चर है. इसमें तीन कंपनी हैं. इसमें एक नॉन ऑपरेटिंग फाइनेंस कंपनी, IDFC परियोजनाएं और IDFC फाउंडेशन शामिल हैं. नॉन ऑपरेटिंग एंटिटी में कई फाइनेंशियल सर्विसेज बिजनेस शामिल हैं. इनमें बैंक और फाइनेंस कंपनी शामिल हैं. बीएसई फाइलिंग के मुताबिक IDFC First Bank में IDFC Ltd. की 36.5 फीसदी हिस्सेदारी है.
राय का दूसरा कार्यकाल 30 जुलाई 2021 को खत्म होना था. लेकिन उन्होंने इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया था. बाद में उन्हें 25 मई 2021 से गैर एग्जीक्यूटिव और गैर स्वतंत्र निदेशक के तौर पर कंपनी में नियुक्ति दी गई थी.