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लंबे समय से भारी नुकसान और कर्ज के तले दबी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) के भविष्य को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं. बहुत से एक्सपर्ट ऐसा मान रहे हैं कि बुरी तरह फाइनेंशियल क्राइसिस में फंसी वोडाफोन आइडिया का फिलहाल उबर पाना अब मुश्किल है. लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से सरकार की ओर से संकेत मिल रहे हैं, वह वोडाफोन आइडिया को राहत देने वाले लग रहे हैं. टेलिकॉम सेक्टर की जानकारी रखने वाले एक्सपर्ट भी मान रहे हैं कि जिस तरह से मोबाइल अब आम आदमी की जरूरत बन गई है, सरकार इस क्षेत्र में गिनी चुनी 2 कंपनियों की मोनोपॉली नहीं चाहेगी. उनका मानना है कि वक्त लगेगा, लेकिन वोडाफोन आइडिया सर्वाइव कर जाएगी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 24 अक्टूबर को टेलिकॉम कंपनियों से एजीआर बकाया चुकाने को लेकर आदेश दिया था. इसके लिए कोर्ट ने 24 जनवरी तक का समय दिया था, जो अब निकल चुका है. लेकिन वोडाफोन आइडिया के अलावा एयरटेल ने भी यह समय सीमा बढ़ाने के लिए कोर्ट में याचिका दे रखी है. अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकीं हैं. हालांकि तय समय पर बकाया न चुकाए जाने के बाद सरकार ने कंपनी को राहत देते हुए कहा है कि बिना उसके आदेश के कोई भी सर्किल कंपनी के खिलाफ कदम नहीं उठाएगी. ऐसे में सुनवाई के दौरान डिपार्टमेंट आफ टेलिकम्युनिकेशंस का कोर्ट में क्या बयान होगा, यह बेहद अहम होगा.
2 कंपनियों की मोनोपॉली ठीक नहीं
फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि उम्मीद है कि वोडाफोन आइडिया खत्म नहीं होगी और इतने बड़े सेक्टर में सिर्फ 2 कंपनियों की मोनापॉली नहीं चलेगी. उन्होंने इसके पीछे सरकार की ओर से मिल रहे संकेतों का हवाला दिया. उन्होंने कहा कि जब वोडाफोन आइडिया 24 जनवरी तक एजीआर बकाया नहीं चुका पाई तो सरकार ने यह कहा कि बिना उसके आदेश के कंपनी पर कोई एक्शन न लिया जाए. ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि डीओटी को एजीआर की पूरी रकम तो चाहिए, लेकिन इसे भुगतान करने के लिए कंपनी को वक्त मिल सकता है. उनका कहना है कि सरकार इंटरेस्ट पर कुछ छूट दे सकती है.
क्या है विकल्प
ठक्कर का कहना है कि वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपये एजीआर की देनदारी है. इतनी रकम एक साथ चुकाने में कंपनी सक्षम नहीं है. ऐसे में कंपनी सरकार से इसके लिए ज्यादा समय मांग सकती है, जिससे इसे किस्तों में चुकाया जा सके. कंपनी की माली हालत देखते हुए सरकार इसके लिए 10 से 15 साल का समय दे सकती है. वहीं, डीओटी की ओर से जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, पेमेंट के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की बात पर सहमति बन सकती है. अगर ऐसा होता है तो वोडाफोन आइडिया पर तुरंत 7 से 8 हजार करोड़ रुपये की देनदारी बनेगी, जिसे चुकाने में वह सक्षम होगी.
लाखों नौकरियों पर संकट
ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक सरकार अगर अपनी ओर से राहत को कोई उपाय नहीं करती है तो वोडाफोन इंडिया पर तो बंद होने का भी खतरा बढ़ जाएगा. वोडाफोन आइडिया पर करीब 1.17 लाख करोड़ रुपये का भारी कर्ज बकाया है और वह डिफाल्ट कर सकती है. इससे टेलिकॉम सेक्टर में एक बार फिर हजारों या लाखों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं. हालांकि एयरटेल के पास इस संकट से निकलने की क्षमता है. इन सबके बीच जियो को सबसे ज्यादा फायदा होगा.
बिड़ला ने कहा था- बंद हो जाएगी कंपनी
वोडाफोन आइडिया पर एजीआर (अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के मद में 53,000 करोड़ रुपये का वैधानिक बकाया है और कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला पहले ही कह चुके हैं कि अगर सरकार या न्यायालय ने राहत नहीं दी तो कंपनी बंद हो जाएगी. उन्होंने कहा था कि अगर सरकार ने जरूरी राहत नहीं दी तो हम इसमें भविष्य में किसी तरह का निवेश नहीं करेंगे. इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाता कि हम गुड मनी को बैड मनी में बदल दें. उन्होंने यह भी कहा कि राहत न मिलने की कंडीशन में वह कंपनी को दिवाला प्रक्रिया में ले जाएंगे.