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संकट में फंसी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने आगाह किया है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने दरें तय करने के मामले में यदि हस्तक्षेप नहीं किया तो दूरसंचार बाजार ‘एक प्रकार से एकाधिकार’ की स्थिति में पहुंच जाएगा. वोडाफोन आइडिया ने हाल में ट्राई को भेजे पत्र में दूरसंचार क्षेत्र के गहरे वित्तीय संकट का उल्लेख किया है. इससे दूरसंचार कंपनियों की आय काफी घट गई है.
वोडाफोन आइडिया ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान आधा दर्जन ऑपरेटर बाजार से बाहर हुए हैं. इन ऑपरेटरों ने या तो मौजूदा दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) के साथ विलय किया है या खुद को दिवालिया घोषित किया है. आगे कहा कि यदि दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय संकट का लघु अवधि में हल नहीं निकाला गया, तो इससे और ऑपरेटर दिवालिया हो सकते हैं और बाजार से बाहर निकल सकते हैं. इससे बाजार में एकाधिकार की स्थिति पैदा हो जाएगी और प्रतिस्पर्धा नदारद हो जाएगी.
Airtel ने दो साल के लिए न्यूनतम कीमत की वकालत की
वोडाफोन आइडिया पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 53,000 करोड़ रुपये का बकाया है. उसने इसमें से अभी सिर्फ सात फीसदी का भुगतान किया है. वहीं भारती एयरटेल ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए दो साल के लिए न्यूनतम कीमत तय करने की वकालत की है. रिलायंस जियो का कहना है कि डेटा सेवाओं के लिए न्यूनतम कीमत तय करना दूरसंचार क्षेत्र के स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण है. साथ ही जियो ने वॉइस सर्विसेज के मामले में कंपनियों की सहन करने की नीति को जारी रखने के लिए कहा है.
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धीरे-धीरे बढ़ाया जाए मिनिमम प्राइस
जियो ने सुझाव दिया है कि न्यूनतम मूल्य में बढ़ोत्तरी धीरे-धीरे की जानी चाहिए. शुरुआत में इसे 15 रुपये प्रति जीबी किया जा सकता है. अभी यह 9 से 12 रुपये प्रति जीबी है. जियो ने कहा कि डेटा के इस्तेमाल में वृद्धि के आधार पर इसे छह से नौ माह में 20 रुपये प्रति जीबी किया जा सकता है. टेलिकॉम ऑपरेटरों ने यह प्रतिक्रिया ट्राई के ‘दूरसंचार सेवाओं में दरों का मुद्दा’ विषय पर जारी परिचर्चा पत्र को लेकर दी है.